कुछ लोग मानते हैं कि चूंकि परमेश्वर ने केवल एक वचन से स्वर्ग और पृथ्वी और हर चीज़ का सृजन किया, और केवल एक वचन से मरे हुओं को ज़िंदा कर दिया, इसलिए अंत के दिनों में जब प्रभु लौटेंगे, तो वे तत्क्षण हमारी छवियां बदल कर, हमें पवित्र बना कर, प्रभु से मिलाने के लिए हमें आकाश में उठा लेंगे। क्या स्वर्ग के राज्य में उठाया जाना ऐसे ही होता है? क्या अंत के दिनों में परमेश्वर के लौटने का कार्य इतना सरल है जितनी हम कल्पना करते हैं? परमेश्वर कहते हैं: "और मामलों को अतिसरल नहीं समझना चाहिये। परमेश्वर का कार्य किसी साधारण कार्य के समान नहीं है, मनुष्य का मन उसके अद्भुत स्वरूप को आत्मसात नहीं कर सकता, और न उसमें निहित बुद्धि को प्राप्त कर सकता है। परमेश्वर सब चीजों का सृजन नहीं कर रहा, और न ही विनाश कर रहा है। बल्कि, वह अपनी समस्त सृष्टि को बदल रहा है और शैतान के द्वारा अशुद्ध की गई सब चीजों को शुद्ध कर रहा है। इसलिये, परमेश्वर महान परिमाण का काम शुरू करेगा, और यह परमेश्वर के कार्य का कुल महत्व है। इन वचनो से, क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर का कार्य बहुत आसान है?" परमेश्वर के कार्य और उनकी बुद्धिमत्ता की थाह कोई नहीं पा सकता। अंत के दिनों में विश्वासियों का स्वर्गारोहण कैसे होगा, लोगों का शुद्धिकरण करने के लिए परमेश्वर न्याय का कार्य किस प्रकार करेंगे, इन सबके रहस्य पर से पर्दा केवल परमेश्वर स्वयं ही उठा सकते हैं..... यह संक्षिप्त वीडियो प्रभु के लौटने पर स्वर्ग के राज्य में आरोहण के एकमात्र मार्ग की जानकारी से आपको अवगत करायेगा!
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सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही एकमात्र सच्चा परमेश्वर है जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और सभी चीजों को बनाया है
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2018/02/23
2018/02/19
Hindi Gospel Movie Clip "बदलाव की घड़ी" (1) - बुदिमान कुंवारियां किस प्रकार स्वर्गारोहित होती हैं?
कुछ लोग स्वर्ग के राज्य में आरोहित होने के लिए प्रभु की प्रतीक्षा करने के मामले पर पौलुस के कथन पर चलते हैं: "और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा, क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाये जाएँगे, और हम बदल जाएँगे।" (1 कुरिन्थियों 15:52)। वे मानते हैं कि हालांकि पापी प्रवृत्ति के बंधन को तोड़े बिना हम अब भी निरंतर पाप करते रहते हैं, फिर भी प्रभु अपने आने पर हमारी छवियों को उसी पल बदल कर हमें स्वर्ग के राज्य में ले आयेंगे। और ऐसे लोग भी हैं, जो परमेश्वर के वचन पर चलते हैं: “जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।" (मत्ती 7:21)।"... पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (1 पतरस 1:16)। वे मानते हैं कि जो लोग अब भी निरंतर पाप करते हैं, वे पवित्रता प्राप्त करने से कोसों दूर हैं, और स्वर्ग के राज्य में आरोहित होने के निहायत अयोग्य हैं। इस प्रकार एक जबरदस्त वाद-विवाद शुरू हो गया ... तो किस प्रकार के लोग स्वर्ग के राज्य में आरोहित होने योग्य हैं? हम आपको यह छोटा सा वीडियो देखने को आमंत्रित करते हैं।
2018/02/01
परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय कार्य और प्रभु यीशु के कार्य में क्या अंतर है?
कुछ लोग मानते हैं कि प्रभु यीशु के पुनर्जीवित हो कर स्वर्ग में आरोहित होने के बाद, पिन्तेकुस्त के दिन मनुष्य पर कार्य करने के लिए पवित्र आत्मा नीचे आया। उसने पाप, धार्मिकता और न्याय के संसार की कटु आलोचना की। जब हम पवित्र आत्मा के कार्य को ग्रहण कर अपने पापों के लिए प्रभु के समक्ष पश्चाताप करते हैं, तब हम प्रभु के न्याय का अनुभव करते हैं। पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र आत्मा द्वारा किया गया कार्य परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य होना चाहिए। क्या इसको ग्रहण करने की हमारी विधि सही है? प्रभु यीशु के कार्य और परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय कार्य में क्या अंतर है?
2018/01/24
Hindi Christian Video"स्वर्गिक राज्य का मेरा स्वप्न" स्वर्ग का राज्य वास्तव में कहां है?
प्रभु में विश्वास करने वाले हम सबकी सबसे बड़ी इच्छा प्रभु के लौटने का स्वागत करने, स्वर्ग के राज्य में लाये जाने, और परमेश्वर के वचन और आशीष ग्रहण करने की होती है। अधिकतर लोग मानते हैं कि प्रभु के लौटने पर, प्रभु से मिलने के लिए हम आकाश में उठा लिये जायेंगे। परंतु बाइबल में कहा गया है कि नया यरुशलेम स्वर्ग से नीचे आयेगा। “परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है,” “जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया।” स्वर्ग का राज्य आकाश में है या पृथ्वी पर? अपने लौटने पर प्रभु संतों को स्वर्ग के राज्य में कैसे ले जायेंगे?
2018/01/15
"स्वर्गिक राज्य का मेरा स्वप्न" स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पाने के लिए कैसे प्रयास करें? (2)
प्रभु के अधिकांश विश्वासी यह समझते हैं कि जब तक हम प्रभु के वचनों का अनुसरण, विनय और धैर्य का पालन, और पौलुस के उदाहरण पर चल कर प्रभु के लिए त्याग, व्यय और परिश्रम करते हैं, हम परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट करेंगे। और प्रभु के लौटने पर हम स्वर्ग के राज्य में लाये जायेंगे। परंतु, क्या हमने कभी यह विचार किया है कि ऐसी खोज क्या सचमुच प्रभु से प्रशंसा और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश दिला सकेगी? यदि नहीं, तो प्रभु से प्रशंसा पाने और स्वर्ग के राज्य में लाये जाने के लिए हम कैसे प्रयास करें?
2018/01/13
"स्वर्गिक राज्य का मेरा स्वप्न" स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पाने के लिए कैसे प्रयास करें? (1)
प्रभु के अधिकांश विश्वासी यह समझते हैं कि जब तक हम प्रभु के वचनों का अनुसरण, विनय और धैर्य का पालन, और पौलुस के उदाहरण पर चल कर प्रभु के लिए त्याग, व्यय और परिश्रम करते हैं, हम परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट करेंगे। और प्रभु के लौटने पर हम स्वर्ग के राज्य में लाये जायेंगे। परंतु, क्या हमने कभी यह विचार किया है कि ऐसी खोज क्या सचमुच प्रभु से प्रशंसा और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश दिला सकेगी? यदि नहीं, तो प्रभु से प्रशंसा पाने और स्वर्ग के राज्य में लाये जाने के लिए हम कैसे प्रयास करें?
2018/01/06
Hindi Gospel Movie "परमेश्वर में आस्था" क्लिप 2
Hindi Gospel Movie "परमेश्वर में आस्था" क्लिप 2
बहुत से लोग परमेश्वर के वचनों और कार्यों पर इन कृत्यों को आधारित किए बिना ही सत्य का मार्ग प्राप्त करते और खोजते हैं। इसके बजाय वे धार्मिक संसार के चलनों का पालन करते हैं और वे मानते हैं कि जिसकी चीन की साम्यवादी सरकार और धार्मिक संसार निंदा करते हैं वह सही मार्ग नहीं है – क्या यह मार्ग अपनाना सही है? बाइबल कहती है, "और सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है (1यूहन्ना 5:19)" "इस युग के लोग बुरे हैं (लूका 11:29)" । इस प्रकार देखा जा सकता है कि नास्तिक वृत्ति का राजनैतिक शासन और धार्मिक संसार निश्चित तौर पर सही मार्ग को अस्वीकार करेगा और उसकी निंदा करेगा। जब प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग में अपना कार्य किया, यहूदियों और रोम की सरकार ने उनका पुरज़ोर विरोध किया और उन्हें सज़ा दी, और अंत में प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया गया। क्या यह वस्तुस्थिति के तथ्य नहीं हैं? जब अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए आते हैं, तब उन्हें चीन सरकार और धार्मिक संसार की घोर अवज्ञा और निंदा का सामना करना पड़ता है। यह क्या दर्शाता है? क्या हमें इस विषय में चिंतन नहीं करना चाहिए?
2018/01/05
Hindi Gospel Movie "परमेश्वर में आस्था" क्लिप 1
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बाइबल में पौलुस ने कहा, "हर एक व्यक्ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे, क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं। इसलिये जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का सामना करता है, और सामना करनेवाले दण्ड पाएँगे" (रोमियों 13: 1-2) हम विश्वासियों को सत्ताधारियों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए? क्या सत्ताधारियों के आदेशों का पालन करना परमेश्वर के आदेशों के पालन की तरह ही है?
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