मनुष्य का प्रबंध करना मेरा कार्य है, और जब मैंने संसार को बनाया मेरे द्वारा उसे जीत लिया जाना, उस से भी अधिक पूर्व निर्धारित था। लोग नहीं जानते हैं कि अंतिम दिनों में मैं उन्हें पूरी तरह से जीत लूँगा, और वे इसके बारे में भी अनजान हैं कि मानव जाति के अवज्ञाकारीसदस्यों को जीत लेना ही शैतान को मेरे द्वारा हराने का प्रमाण है। परन्तु मैंने अपने शत्रु को पहले से ही बता दिया था जब उसने मेरे साथ संघर्ष किया कि मैं उन सभी का जीतने वाला बनूँगा जो शैतान के द्वारा ले लिए गए थे और बहुत पहले उसकी संतान बन गए थे, और उसके वफादार सेवक उसके घर की निगरानी करने लगे थे। जीतने का मूल अर्थ है - हराना, अपमानित करना जिस तरह इस्रायली लोग इसे बयान करते हैं, वह है पूरी तरह से हराना, विनाश करना, और एक व्यक्ति को इतना अयोग्य कर देना कि आगे से वह मेरा विरोध न कर सके। परन्तु आज जैसे कि आप लोगों के मध्य में यह उपयोग किया जाता है, इसका अर्थ है जीतना। आपको आपको पता होना चाहिये कि मैं मानवजाति के अंदर से बुराई को पूरी तरह से समाप्त और नष्ट कर देना चाहता हूं, ताकि वह मेरे काम में बाधा डालने की तो बात ही क्या, वह मेरा विरोध तक भी न कर सके। इस प्रकार, जहाँ तक कि लोग का सवाल है, इसका अर्थ जीतना ही है। शब्द का संकेतार्थ चाहे कुछ भी हो, मेरा कार्य मानव जाति को हराना है। क्योंकि मानव जाति सचमुच में मेरे प्रबंध में एक अनुबंध है, परन्तु सही कहा जाये तोमानव जाति कुछ और नहीं मेरी शत्रु ही है। मानव जाति वह दुष्ट है जो मेरा विरोध करती है और अवज्ञाकारी है।मानव जाति और कोई नहीं मेरे द्वारा श्रापित दुष्ट की संतान ही है। मानव जाति और कोई नहीं उस प्रधान दूत की वंशज है जिसने मुझे धोखा दिया। मानव जाति और कोई नहीं उस शैतान कीविरासत है जो पहले ही मेरे द्वारा घृणित और तिरस्कृत है और जो मेरे विरुद्ध है। सारी मानव जाति के ऊपर का आसमान संदेहास्पद और अँधकारपूर्ण है, यहाँ तक कि उसमें स्पष्टता की एक झलक तक भी नहीं है। मानव संसार एक स्थिर अंधकार में है, और इसमें रहते हुए कोई जब ख़ुद के हाथ को अपने ही सामने फैलाता है तो इसे देख नहीं सकता और जब अपने सिर को ऊपर उठाता है तो सूर्य को भी नहीं देख सकता। उसके पैरों के नीचे का रास्ता कीचड़दार और सड़क के गड्ढों से भरा हुआ है, और यह घुमावदार और टेढ़ा-मेढ़ा है; पूरी जमीन पर लाशें ही लाशें बिखरी हुई हैं। अंधकार में के कोने मरे हुए लोगों के अवशेषों से भरे पड़े हैं। शांत और अँधेरे कोने शैतानों की भीड़ से भरे पड़े हैं, जहां वे निवास करते हैं। पूरी मानव जाति में, शैतानों की भीड़ भी आती जाती रहती है। गन्दगी से ढके हुए असंख्य पशु, एक क्रूर संघर्ष में, आमने-सामने लड़ाई कर रहे हैं, जिनकी आवाज़ हृदय में दहशत फैलाती है। ऐसे समयों में, एक ऐसा संसार, और एक ऐसा“सांसारिक स्वर्ग”,कोई कहाँ जीवन के आनंद की खोज करने जाता है? अपने जीवन की मंजिल की खोज करने के लिए कोई कहाँ जायेगा? मानव जाति, जो बहुत पहले से शैतान के पैर के नीचे रौंदी गयी, शैतान के स्वरुप में कार्य करती रही है-यहाँ तक की उसकी मूर्त रूप रही है। वे“साफतौर पर शैतान के गवाह”होने के सबूत हैं। ऐसी मानव जाति, ऐसे बेकार लोग, या इस भ्रष्ट मानव परिवार की ऐसी संतान, कैसे वे परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं? मेरी महिमा कहाँ से आती है? मेरे गवाह कहाँ हैं? वह शत्रु जो मेरे विरोध में खड़ा होता है और मानव जाति को भ्रष्ट करता है, उसने पहले से ही मानव जातिको, मेरी उस सृष्टि को दूषित कर दिया है, मेरी महिमा और मेरे जीवन से लबालब है। उसने मेरी महिमा को चुरा लिया है, और मनुष्य को शैतान की कुरूपता के ज़हर से, और अच्छाई और बुराई के ज्ञान के वृक्ष के फल के रस से बुरी तरह से रंग दिया है। शुरू में, मैंने मानव जाति की सृष्टि की, अर्थात् मैंने मानव जाति के पूर्वज आदम की सृष्टि की। वह स्पर्शगम्य था और बनाया गया था, जीवन से भरपूर, जीवनक्षमता से भरा हुआ, और उससे बढ़कर, उसके साथ मेरी महिमा की संगति थी। यह शानदार दिन था जब मैंने मनुष्य की सृष्टि की। उसके बाद, आदम के शरीर से हव्वा को बनाया गया था, वह भी मनुष्य की पूर्वज थी, और इस प्रकार मेरी सृष्टि के लोग मेरी श्वास और मेरी महिमा से भरे हुए थे। आदम को मूल रूप से मेरे हाथों के द्वारा बनाया गया था और वह मेरे स्वरुप का प्रतिनिधित्व था। अत:“आदम”का मूल अर्थ था मेरी वो सृष्टि का होना जो मेरी जीवनक्षमता में रंगा हुआ था, मेरी महिमा में रंगा हुआ था, स्पर्शगम्य था, और अच्छे आकार में था, जिसमें आत्मा और श्वास थी। वह ही एकमात्र ऐसी सृष्टि था जो एक ऐसी आत्मा से सुसंपन्न था जो मेरा,मेरे स्वरूप का प्रतिनिधित्व कर सकता था, और मेरी श्वास प्राप्त कर सकता था। शुरू में, हव्वा दूसरी ऐसी मनुष्य थीथी जिसमें आत्मा और श्वास थी जिसकी सृष्टि करने का मैंने निर्णय किया था, इसलिए “हव्वा” का मूल अर्थ मेरी जीवनक्षमता से परिपूर्ण और इसके अलावा मेरी महिमा से सुसंपन्न मेरी महिमा को जारी रखने के लिए एक सृष्टि होना था।हव्वा आदम से आई, इसलिए वह भी मेरा ही स्वरूप थी, क्योंकि वह मेरे स्वरूप में बनायी गई दूसरी मनुष्य थी।“हव्वा”का मूल अर्थ था एक जीवित प्राणी होना, जिसे एक आत्मा दी गयी, जो मांस और हड्डी में रहती थी, साथ ही साथ मेरी दूसरी गवाही होते हुए मानव जाति में मेरा दूसरा स्वरुप होना था। वे मानव जाति के पूर्वज थे, उसका शुद्ध और बहुमूल्य खजाना, और मूल रूप से ऐसे प्राणी जिनके पास एक आत्मा थी। लेकिन जो दुष्ट थे, उन्होंने मानव जाति के वंशजों को कुचल दिया और लूट लिया, और मानव संसार को पूरी तरह से अन्धेरे में कैद कर दिया, यहाँ तक कि इस संतान ने मेरे अस्तित्व में भी अब विश्वास करना बंद कर दिया। और अधिक घिनौना यह है कि उस समय जब, दुष्ट, लोगों को भ्रष्ट करता और कुचलता है, यह क्रूरतापूर्वक मेरी महिमा, मेरी गवाही, जीवनक्षमता जो मैंने लोगों को प्रदान की थी, श्वास और जीवन जो मैंने उनमें फूंका था, मानव संसार में मेरी महिमा, और सारे पीड़ादायक प्रयास जो मैंने मानव जाति पर ख़र्च किये हैं उन सब को भी छीन लेता है। मानव जाति अब प्रकाश में नहीं है, और उसने वह सबकुछ खो दिया है जो मैंने उसे प्रदान किया था, उस महिमा को भी फ़ेंक दिया जो मैंने उसे प्रदान की थी। वह कैसे कभी भी यह अंगीकार कर सकते हैं कि सृष्टि का परमेश्वर मैं हूँ? स्वर्ग में मेरे अस्तित्व में वह कैसे विश्वास कर सकते हैं? कैसे वे पृथ्वी पर मेरी महिमा के प्रकटीकरण की खोज कर सकते हैं? ये पोते और पोतियाँ उस परमेश्वर को कैसे ले सकते हैं जिसे ख़ुद उनके पूर्वज आदर करते थे और अपनी सृष्टि का प्रभु मानते थे? इन दयनीय पोते और पोतियों ने महिमा, स्वरूप, साथ ही साथ गवाही जो मैंने आदम और हव्वा को प्रदान की थी उसे उदारता से दुष्ट को“दे दिया है”और वह जीवन जो मानव जाति को दिया गया है जिस पर वे निर्भर करते हैं, दुष्ट की उपस्थिति का ज़रा सा भी विचार न करते हुए, मेरी सारी महिमा उसे दे दी है। क्या यह“बेकार लोगों”की उपाधि का स्रोत नहीं है? ऐसी मानव जाति, ऐसे बुरे शैतान, ऐसी चलती-फिरती लाशें, ऐसे शैतान के स्वरूप, ऐसे मेरे शत्रु मेरी महिमा को कैसे ले सकते हैं? मैं मनुष्यों से अपनी महिमा को वापिस ले लूंगा, अपनी गवाही को वापिस ले लूंगा और वह सब जो कभी मेरा था, जो मैंने बहुत पहले मानव जाति को दे दिया था- पूरी तरह से मानव जाति को जीत लूंगा। लेकिन तुम्हें यह जानना चाहिए कि वे मनुष्य जिनकी मैंने रचना की, जिनमें मेरा स्वरूप और महिमा थी,वे पवित्र लोग थे। वे मूल रूप में शैतान के नहीं थे, न ही वे कुचले गये थे, परन्तु पूर्ण रूप से मेरा ही प्रकटीकरण थे, उसका ज़रा सा भी ज़हर उनमें नहीं था। इस प्रकार, हर एक पर मैं यह ज़ाहिर करता हूँ, मैं सिर्फ़ इतना चाहता हूँ कि जो मेरे हाथों द्वारा बनाये गये थे, जो मेरे प्रिय पवित्र जन थे, वे कभी भी किसी और के न हों। इससे अलावा, मैं उनमें आनंद लूंगा और उन्हें अपनी महिमा के रूप में देखूंगा। तथापि, मैं जिसे चाहता हूँ यह वह मानवजाति नहीं है जिसे शैतान ने भ्रष्ट कर दिया है, यह वह नहीं है जो आज शैतान है, यह मेरी मेरी मूल रचना नहीं है। क्योंकि मैं अपनी महिमा मानव संसार में वापिस लेना चाहता हूं, मैं शैतान पर अपनी विजय की महिमा के प्रमाण के तौर पर, मानव जाति के बचे हुए उत्तरजीवियों पर पूरी तरह से, जीत हासिल करूंगा। मैं सिर्फ़ अपनी गवाही को, अपने आनंद की वस्तु के रूप में क्रिस्टलीकरण के तौर पर लूंगा। ऐसा मेरा इरादा है।
आज जहाँ पर मानवजाति है, वहाँ तक पहुँचने के लिए, उसे हज़ारों हज़ार साल लग गए। हालांकि, मेरी मूल सृष्टि का मानव बहुत पहले ही अधोगति को प्राप्त हो चुका है। मानवजाति वैसी नहीं है, जैसी मैं चाहता था, मैं लोगों को जिस प्रकार का पाता हूं, वे अब मानव कहलाने लायक नहीं रह गये हैं। बल्कि वे मानव जाति के ऐसे अयोग्य लोग हैं, जो शैतान द्वारा लूटे गए हैं, और सड़ी हुई चलती-फिरती लाशें हैं जिनमें शैतान जीवित है और आच्छादित है। लोग मेरे अस्तित्व में थोड़ा सा भी विश्वास नहीं करते हैं, न ही वे मेरे आने का स्वागत करते हैं। मानव जाति मेरे निवेदनों का प्रत्युत्तर सिर्फ़ जलते-भुनते हुए देती है, उनके साथ अस्थायी रूप से ही सहमत होती है, और अपने जीवन के सुखों और दुखों को मेरे साथ ईमानदारी से नहीं बांटती है। जब लोग मुझे अगम्य रूप में देखते हैं, तो वे मेरे सामने डाह से मुस्कुराने का दिखावा करते हैं, शक्ति के सामने अपने लाड़-प्यार के तरीके को धोखा देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोगों को मेरे कार्य के बारे में ज्ञान नहीं है, आज के लिए मेरे वह इरादे को तो वे बिल्कुल भी नहीं जानते हैं। मैं तुमसे से ईमानदारी से कहता हूं--- जब वह दिन आयेगा, हर वह व्यक्ति जो मेरी आराधना करता है उसका दुःख सहन करना तुम्हारे दुख से आसान होगा। मुझ में तुम्हारे विश्वास की मात्रा, वास्तव में, अय्यूब से अधिक नहीं है—और यहाँ तक कि यहूदी फरीसियों का विश्वास भी तुम से कहीं अधिक बढ़कर था—इसलिए जल्द आने वाले उन दिनों की आग में, तुम उन फरीसियोंसे भी बढ़कर गंभीर रूप से कष्ट सहोगे जब यीशु ने उनको डांटा था, उन 250 अगुओं से भी बढ़कर गंभीर रूप से जिन्होंने मूसा का विरोध किया था, और सदोम से भी बढ़कर जब आग के द्वारा उसका विनाश किया गया था। जब मूसा ने चट्टान पर लाठी मारी, और यहोवा द्वारा उसमें से पानी बहने लगा, तो यह उसके विश्वास के कारण ही था। जब दाऊद ने अपने हृदय को आनंद से भर कर मुझ यहोवा की स्तुति में संगीत बजाया—तो यह उसके विश्वास के कारण ही था। जब अय्यूब ने अपने सभी पशुओं को पहाड़ों पर खो दिया, परिवार की अनमोल सम्पत्ति को खो दिया, और उसका शरीर फोड़ों से भर गया था, तो यह उसके विश्वास के कारण ही था। जब वह मुझ यहोवा की आवाज़ को सुन सकता था, और मुझ यहोवा की महिमा को देख सकता था, यह उसके विश्वास के कारण ही था। यदि वह पतरस यीशु मसीह का अनुसरण कर सका, तो यह उसके विश्वास के ही कारण था। यदि वह क्रूस पर मेरे लिए कीलें सह सका और महिमामयी गवाही दे सका, तो यह भी उसके विश्वास ही के कारण ही था। जब यूहन्नाने मनुष्य के पुत्र के महिमामय स्वरूप को देखा, तो यह उसके विश्वास के द्वारा ही था। जब उसने अंतिम दिनों के बारे में दर्शन देखा, तो यह सब उसके विश्वास के द्वारा ही था। जब तथाकथित गैरयहूदी राष्ट्र के लोग मेरा प्रकाशन प्राप्त करते हैं, यह जानकारी प्राप्त करते हुए कि मैं मनुष्यों के मध्य में अपने कार्य को करने के लिए देह में लौट आया हूं, यह भी उनके विश्वास के कारण ही है। क्या यह सब उन्होंने विश्वास के कारण ही नहीं किया – कि वे सब जिन्होंने मेरे कठोर वचन के द्वारा प्यार से मार खाई और इस प्रकार सांत्वना पायी और बचाए गए हैं? वे जो मुझ में विश्वास करते और दुखों का सामना करते हैं, क्या वे भी संसार के द्वारा तिरस्कृत नहीं किये जाते हैं? वे जो मेरे वचन से बाहर जीते हैं, परीक्षा के दुखों से भाग रहे हैं, क्या वे संसार में भटक नहीं रहे हैं? वह मेरी सांत्वना के वचनों से बहुत दूर, पतझड़ के उन पत्तों के समान हैं जो यहां-वहां उड़ते हैं और कोई जगह नहीं पाते हैं। जबकि मेरी ताड़ना और शुद्धिकरण उनका पीछा नहीं करते, क्या वे इधर-उधर घूमते हुए भिखारी नहीं हैं, जो स्वर्ग के राज्य के बाहर सड़कों पर भटकते हैं? क्या संसार सचमुच में तुम्हारे आराम करने की जगह है? क्या तुम सचमुच में संसार से, मेरी ताड़ना को नज़रअंदाज़ करके, अपने लिए एक आराम की मुस्कुराहट को प्राप्त कर सकते हो? क्या तुम सचमुच में अपने क्षणभर के विलास आनंद को अपने हृदय के न छिप सकने वाले खालीपन को छुपाने के लिए प्रयोग कर सकते हो? तुम अपने परिवार में किसी को भी मूर्ख बना सकते हो, पर तुम मुझे मूर्ख बनाने में हमेशा अयोग्य हो। जैसे कि तुम्हारा विश्वास छोटा है, तुम आज भी, जीवन द्वारा मिल सकने वाली खुशियों को पाने के लिए शक्तिहीन ही हो। मैं तुम्हें सलाह देता हूं: बेहतर होगा कि तुम अपना आधा जीवन मेरे लिए बिताओ न कि अपना पूरा जीवन साधारणत: और शरीर के व्यस्त कामों में, उन सभी दुखों को सहन करते हुए जो एक व्यक्ति के लिए सहन कर पाना मुश्किल है। इसका क्या लाभ होगा कि, अपने आप को बहुमूल्य धन के समान समझ कर संभालने के लिए, तुम मेरी ताड़ना से बचते हुए भागते रहो? इसका क्या लाभ होगा कि, तुम मेरी क्षणिक ताड़ना से अपने आप को छुपाने के लिए, एक अनंतकाल की शर्मिन्दगी, एक अनंतकाल की ताड़ना की फसल को काटो? मैं अपनी इच्छा के लिए, वास्तव में, किसी को भी नहीं झुकाऊँगा। यदि कोई व्यक्ति सचमुच में मेरी सभी योजनाओं के प्रति समर्पण करने के लिए इच्छुक है तो, मैं उसके साथ बुरा बर्ताव नहीं करूँगा। परन्तु मैं चाहता हूं कि सब लोग मुझ में विश्वास करें, बिल्कुल वैसे ही जैसे अय्यूब ने मुझ यहोवा में विश्वास किया। यदि तुम्हारा विश्वास थोमा से बढ़कर होगा, तो फिर तुम्हारा विश्वास मेरी सराहना को प्राप्त करेगा, तुम अपनी ईमानदारी में मेरा परमानन्द पाओगे, और निश्चय ही तुम अपने दिनों में मेरी महिमा को पाओगे। हालांकि, जो संसार में विश्वास करते हैं और शैतान पर विश्वास करते हैं उन्होंने अपने हृदयों को कठोर बना लिया है, जैसे कि सदोम नगर के जनसमूह ने, अपनी आँखों में रेत के कणों के बहाव को डाल लिया और अपने मुंह को शैतान की भेंटों से भर लिया था। उनके विश्वासघाती हृदय बहुत पहले ही दुष्ट के द्वारा कब्ज़े में कर लिए गए हैं जिसने संसार को हड़प लिया था, और प्राचीन शैतान के द्वारा लगभग उनके सभी विचार लूट लिए गए हैं। इस प्रकार मानव जाति का विश्वास हवा के झोंके के साथ उड़ गया है, और यहाँ तक कि वे मेरे कार्य पर ध्यान देने के भी योग्य नहीं रहे हैं। वे केवल इतना ही कर सकते हैं कि सिर्फ़ सामना करें या एक मोटेतौर पर विश्लेषण करें, क्योंकि वे पहले से ही शैतान के ज़हर से भर चुके हैं।
मैं मानव जाति को जीत लूंगा क्योंकि वे कभी मेरे द्वारा बनाये गए थे और साथ ही साथ, उन्होंने मेरी सृष्टि की बहुतायत में दी गयी चीज़ों का आनंद लिया है। फिर भी, उन्होंने मुझे तिरस्कृत कर दिया है, और उनके हृदय मेरे बिना ही हैं, और मुझे अपने जीवन में एक बोझ समझते हैं। उस से भी अधिक बुरी बात यह है कि, उन्होंने मुझे स्पष्ट रूप से देख भी लिया है फिर भी मुझे तिरस्कृत कर दिया है, और मुझे हराने के लिए हर सम्भव तरीके का विचार किया है। लोग मुझे उनके साथ गंभीर रूप से व्यवहार नहीं करने देते हैं, न ही उन पर सख्त मांगों को डालने देते हैं, और न ही वे अपनी अधार्मिकता के लिए मेरे न्याय और ताड़ना को अनुमति देते हैं। वे ऐसे व्यवहार को रुचिकर नहीं पाते हैं, बल्कि इसके विपरीत, यह उन्हें चिढ़ा देता है। इस प्रकार मेरा कार्य उस मानव जाति को हराना है, जो मुझ से खाती है, पीती है और मुझ में मौज-मस्ती करती है, लेकिन मुझे जानती भी नहीं है। मैं उन्हें निरस्त्र कर दूंगा, और फिर, मैं अपने स्वर्गदूतों और अपनी महिमा के साथ अपने निवास स्थान में लौट जाऊंगा। क्योंकि लोगों ने मेरे हृदय को पूरी तरह से तोड़ दिया है और मेरे कार्य को बहुत पहले ही टुकड़ों में बिखेर दिया है। मैं हँसते-हँसते जाने से पहले अपनी महिमा को वापिस लेना चाहता हूं जिसे शैतान ने पहले चुरा लिया था, और चाहता हूं कि मानव जाति का जीवन चलता रहे, वे अपना“जीवन और कार्य शांति”से चलाते रहें, “निरंतर खेती करते रहें," और अपने जीवन में मेरे हस्तक्षेप से स्वतंत्र रहें। परन्तु मैं अब अपनी महिमा को दुष्ट के हाथ से पूरी तरह से वापिस ले लूंगा, महिमा की सम्पूर्णता को जिसे मैंने मनुष्य में संसार की सृष्टि के समय डाला था वापिस ले लूंगा, और फिर दोबारा कभी भी इसे पृथ्वी की मानव जाति को प्रदान नहीं करूंगा। क्योंकि, लोग न केवल मेरी महिमा को सुरक्षित रखने में ही असफल हुए हैं, बल्कि वह इसे शैतान की प्रतिमा में बदल रहे हैं। लोग मेरे आने को बहुमूल्य नहीं समझते, न ही वे मेरी महिमा के दिनों को महत्त्व देंगे। वे मेरी ताड़ना की स्वीकृति का आनंद नहीं लेते, मेरी महिमा मुझे वापिस दिलाने के इच्छुक होना तो बहुत दूर की बात है। न ही वे दुष्ट के ज़हर को निकाल फेंकने के इच्छुक हैं। लोग मेरे साथ निरंतर चालें चलते रहे हैं, और वे हमेशा अपनी खिलती हुई मुस्कुराहट और ख़ुशनुमा चेहरों को दिखाते हैं। वे अंधकार की उस गहरायी से अनजान हैं जिसका सामना मानव जाति उस समय करेगी जब मेरी महिमा उन्हें छोड़ देगी, और विशेषकर उस बात से अनजान हैं जब मेरा दिन सारी मानव जाति के लिये आयेगा, उस वक्त उनका समय नूह के दिनों के लोगों से भी अधिक मुश्किल होगा। क्योंकि वे नहीं जानते हैं कि जब इस्रायल से मेरी महिमा हटी थी तो वह कितना बन गया था, क्योंकि मनुष्य भोर के आने पर भूल जाता है कि अंधकार की गहरी रात में से गुज़रना कितना मुश्किल होता है। जब सूर्य वापिस छुप जाता है और मनुष्य पर अंधकार छा जाता है, तो वह फिर दोबारा विलाप करेगा और अंधकार में अपने दांत पीसेगा। क्या तुम भूल गए हो कि जब मेरी महिमा इस्रायल से हट गई थी, तब वहाँ के लोगों के लिए उन दुखों में से गुज़रना कितना मुश्किल हो गया था? अब यह वे दिन हैं जब तुम मेरी महिमा को देखते हो, और ये वह महिमामयी दिन भी हैं जिन में से तुम मेरे साथ होकर गुज़र रहे हो। मनुष्य अंधकार में विलाप करेगा जब मेरी महिमा गंदगी से भरी धरती को छोड़ देगी। अब महिमा से भरे वह दिन हैं जब मैं अपना कार्य कर रहा हूं, और ये वे दिन भी हैं जब मैं मानव जाति को दुःख से छुटकारा दिलाता हूं, क्योंकि मैं उनके साथ दुखद और बुरे समय में से नहीं गुज़रुंगा। मैं सिर्फ़ मानव जाति पर सम्पूर्ण विजय प्राप्त करना चाहता हूँ और मानव जाति की सारी बुराइयों को मिटाना चाहता हूं।
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