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2018/10/13

सातवाँ कथन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, वचन देह में प्रकट होता है, राज्य का युग

सातवाँ कथन


पश्चिम की सभी शाखाओं को मेरी आवाज़ सुननी चाहिएः
अतीत में, क्या तुम लोग मेरे प्रति निष्ठावान रहे हो? क्या तुम लोगों ने मेरे परामर्श के उत्कृष्ट वचनों का पालन किया है? क्या तुम लोगों के पास ऐसी आशाएँ हैं जो वास्तविक हैं और अस्पष्ट और अनिश्चित नहीं हैं। मनुष्य की वफादारी, उसका प्रेम उसकी निष्ठा—जो कुछ मुझ से आता है उसके अलावा और कुछ नहीं है, जो कुछ मेरे द्वारा प्रदान किया जाता है उसके अलावा और कुछ नहीं है। मेरे लोगो, जब तुम लोग मेरे वचनों को सुनते हो, तो क्या तुम लोग मेरी इच्छा को समझते हो?

2018/03/25

हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है?


परमेश्वर कहते हैं: "जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं।"


2017/12/16

जब परमेश्वर की बात आती है, तो तुम्हारी समझ क्या होती है


एक लम्बे समय तक लोगों ने परमेश्वर में विश्वास किया है, फिर भी उनमें से ज्यादातर को इस "परमेश्वर" शब्द के बारे में कोई समझ नहीं है। वे केवल एक अव्यवस्था में अनुसरण करते हैं। उनके पास कोई सुराग नहीं है कि वास्तव में क्यों उन्हें परमेश्वर में विश्वास करना चाहिए या वास्तव में परमेश्वर क्या है। यदि लोग सिर्फ़ परमेश्वर पर विश्वास करना और उसका अनुसरण करना जानते, परन्तु परमेश्वर क्या है इस बारे में नहीं जानते, न ही वे परमेश्वर को समझते, तो क्या यह संसार में सबसे बड़ा मज़ाक नहीं है? भले ही लोगों ने अब तक बहुत से स्वर्गिक रहस्यों को देखा है और बहुत गहरे ज्ञान के बारे में सुना है जिसे मनुष्य पहले कभी नहीं समझा था, तब भी वे बहुत से अत्यंत प्राथमिक, अब तक अचिंतित सत्यों पर अँधेरे में हैं।

2017/12/10

केवल परमेश्वर को प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है

आज, जैसे तुम लोग परमेश्वर को जानने और प्रेम करने की कोशिश करते हो, एक प्रकार से तुम लोगों को कठिनाई और परिष्करण से होकर जाना होगा और दूसरे में, तुम लोगों को एक मूल्य चुकाना होगा। परमेश्वर को प्रेम करने के सबक से ज्यादा कुछ भी गहरा सबक नहीं है और ऐसा कहा जा सकता है कि सबक जो मनुष्य जीवन भर विश्वास करने से सीखते हैं वह परमेश्वर को किस प्रकार से प्रेम करना होता है। अर्थात् यदि तू परमेश्वर पर विश्वास करता है तो तुझे उसे प्रेम करना होगा।

2017/12/07

तीसरा कथन

चूंकि तुम लोगों को मेरे लोग बुलाया जाता है, चीज़ें अब वैसी नहीं रही जैसी पहली थीं; तुम लोगों को मेरे आत्मा के कथनों को सुनना और उनका पालन करना चाहिए, मेरे कार्य का करीब से अनुसरण करना चाहिए, और मेरे आत्मा और मेरे शरीर को अलग नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम स्वाभाविक रूप से एक हैं, अलग नहीं। जो कोई भी व्यक्ति या आत्मा से अधिक प्रेम करके आत्मा और व्यक्ति को विभाजित करता है, उसे हानि पहुँचेगी, और वह केवल अपने कड़वे प्याले से ही पी पाएगा—और कहने के लिए बस यही एक बात है।

2017/12/06

तीन चेतावनियाँ

परमेश्वर के विश्वासी के रूप में, तुम लोगों को सभी बातों में परमेश्वर के अलावा और किसी के प्रति वफादार नहीं होना चाहिए और सभी बातों में उसके हृदय के अनुरूप होना चाहिए। हालाँकि, यद्यपि सभी इस सिद्धांत को समझते हैं, परन्तु मनुष्य के लिए अज्ञानता, मूर्खता या भ्रष्टता जैसी उसकी कठिनाईयों के कारण ये अत्यंत स्पष्ट और मूल सत्य, उसमें पूरी तरह साकार हुए नहीं दिखाई दे सकते हैं। इसलिए, इससे पहले कि तुम लोगों का अंत निर्धारित हो, मुझे सब से पहले तुम लोगों को कुछ चीज़ें बतानी चाहिए, जो तुम लोगों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इससे पहले कि मैं आरंभ करूँ, तुम लोगों को पहले इसे समझना चाहिएः जिन वचनों को मैं कहता हूँ वे समस्त मानवजाति की ओर निर्देशित सच्चाईयाँ हैं, न कि केवल किसी विशिष्ट व्यक्ति या विशेष प्रकार के व्यक्ति के लिए।

2017/12/04

तेइसवाँ कथन

जैसे-जैसे मेरी आवाज़ उच्चारित हो रही है, जैसे-जैसे मेरी आँखों से ज्वाला निकल रही है, मैं पूरी पृथ्वी पर निगरानी रख रहा हूँ, मैं पूरे ब्रह्मांड का अवलोकन कर रहा हूँ। संपूर्ण मानवता मुझ से प्रार्थना कर रही है, मुझे टकटकी लगाकर देख रही है, मुझसे मेरे क्रोध को समाप्त करने के लिए विनती कर रही है, और मेरे विरुद्ध अब विद्रोह नहीं करने की शपथ खा रही है। किन्तु अब यह अतीत नहीं है; यह वर्तमान है। कौन मेरी इच्छा को पीछे मोड़ सकता है? निश्चित रूप से मनुष्यों के हृदयों के भीतर का आह्वान तो नहीं, और न ही उनके मुँह के वचन? यदि मेरी वजह से नहीं है, तो कौन वर्तमान तक जीवित रहने में समर्थ रहा है? मेरे मुँह से निकले हुए वचनों के द्वारा के सिवाय कौन जीवित रहता है? कौन मेरी चैकन्नी निगाहों के नीचे नहीं पड़ता है? जब मैं संपूर्ण पृथ्वी पर अपने नए कार्य को करता हूँ, तो कौन कभी भी इससे बच निकलने में समर्थ रहा है? क्या ऐसा हो सकता है कि पर्वत अपनी ऊँचाई की वजह से इस से बच निकल सकते हैं? क्या ऐसा हो सकता है कि जल, अपनी विस्तृत विशालता के द्वारा, इससे बचाव करने में समर्थ है? मेरी योजना में, मैंने किसी भी चीज़ को कभी भी आसानी से जाने नहीं दिया है, और इसलिए कोई ऐसा व्यक्ति या कोई चीज़ नहीं रही है, जो मेरे हाथों के चंगुल से धोखा दे कर निकल गया हो।

2017/11/29

एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता होना है

भ्रष्टाचार के हजारों सालों बाद, मनुष्य सुन्न और मूर्ख बन गया है, एक दुष्ट आत्मा जो परमेश्वर का विरोध करती है, इस हद तक कि परमेश्वर के प्रति मनुष्य की विद्रोहशीलता इतिहास की पुस्तकों में दर्ज है, और यहाँ तक कि मनुष्य खुद भी अपने विद्रोही स्वभाव का पूरा लेखा देने के अयोग्य है—क्योंकि मनुष्य शैतान के द्वारा पूरी तरह से भ्रष्ट किया जा चुका है, और शैतान के द्वारा रास्ते से भटका दिया गया है कि नहीं जानता कि कहाँ मुड़ना हैं। आज भी, मनुष्य परमेश्वर को धोखा देता है: जब मनुष्य परमेश्वर को देखता है, वह उसे धोखा देता है, और जब वह परमेश्वर को नहीं देख सकता, तब भी वह उसे धोखा देता है। कुछ ऐसे भी हैं, जो परमेश्वर के श्रापों और परमेश्वर के कोप का अनुभव भी किया है, फिर भी उसे धोखा देते हैं।

2017/11/26

क्या आप जाग उठे हैं?

जब आप सामान्य मनुष्यत्व से बाहर निकलकर जीवन व्यतित करना प्राप्त कर लेते हैं, और पूर्ण किए गए हो, तो हालांकि आप भविष्यवाणी करने, या कोई रहस्य बताने में असमर्थ होंगे, आप एक मनुष्य के स्वरूप को प्रगट करेंगे और जीवन व्यतित करेंगे। परमेश्वर ने मनुष्य की रचना की, जिसके बाद मनुष्य शैतान द्वारा भ्रष्ट किया गया, और इस भ्रष्टाचार ने मनुष्यों को मृत देह बना दिया - और परिणामस्वरूप आपके बदलने के बाद, आप इन मृत देहों से भिन्न हो जाएंगे। वह परमेश्वर के वचन हैं जो लोगों की आत्मा को जीवन देते हैं और उन्हें नया जन्म देते हैं, और जब लोगों की आत्माएं नया जन्म लेंगी वे जाग उठेंगे। 'मृतक' का उल्लेख यहां शव की ओर इशारा करता जिसमें आत्मा नहीं होती है, तथा उन लोगों की ओर जिनकी आत्मा मर चुकी है। जब लोगों की आत्मा को जीवन दिया जाता है तो वे जीवित हो जाते हैं। जिन संतों की बात पहले की गई थी, ये वे लोग हैं जो जीवित हो चुके हैं, जो शैतान के अधिकार में तो थे परंतु उन्होंने शैतान को हराया है।

2017/11/20

राज्य का युग वचन का युग है

राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। वह देहधारी हुआ ताकि विभिन्न दृष्टिकोणों से बातचीत कर सके, मनुष्य वास्तव में परमेश्वर को देख सके, जो देह में प्रकट होने वाला वचन है, उसकी बुद्धि और आश्चर्य को जान सके। उसने यह कार्य इसलिए किये ताकि वह मनुष्यों को जीतने, उन्हें पूर्ण बनाने, और दुष्टों का नाश करने के लक्ष्यों को बेहतर ढंग से हासिल कर सके। वचन के युग में वचन को उपयोग करने का यही वास्तविक अर्थ है।

2017/11/19

केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है

प्रत्येक व्यक्ति यह महसूस करता है कि परमेश्वर का प्रबंधन अजीब है, क्योंकि लोग यह सोचते हैं कि परमेश्वर का प्रबंधन पूरी तरह से मनुष्य से सम्बन्धित नहीं है। वे यह सोचते हैं कि यह प्रबंधन केवल परमेश्वर का ही कार्य है, यह उसी के मतलब का है, और इसलिए मनुष्य परमेश्वर के प्रबंधन के प्रति बिल्कुल तटस्थहै। इस प्रकार से, मानवजाति का उद्धार अस्पष्ट और अनिश्चित हो गया है, और अब केवल खाली भाषणबाजी है। हालांकि मनुष्य परमेश्वर का अनुसरण करता है ताकि वह बच जाए और खूबसूरत गंतव्य में प्रवेश कर जाए, मनुष्य को कुछ भी चिंता नहीं है कि परमेश्वर अपना कार्य किस प्रकार से करता है। मनुष्य चिंता ही नहीं करता कि परमेश्वर कार्य की योजना किस प्रकार से बनाता है और बचाने के लिए उसे क्या भूमिका अदा करनी होगी।

2017/11/18

परमेश्वर में अपने विश्वास में तुम्हें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए

तुम परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हो? अधिकांश लोग इस प्रश्न से हैरान हैं। उनके पास व्यावहारिक परमेश्वर और स्वर्ग के परमेश्वर के बारे में हमेशा से बिलकुल दो भिन्न दृष्टिकोण रहे हैं, जो दिखाता है कि वे आज्ञापालन के लिए नहीं, बल्कि कुछ निश्चित लाभों को प्राप्त करने, या विपत्तियों के कष्ट से बच निकलने के लिए परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। केवल तभी वे थोड़ा बहुत आज्ञाकारी होते हैं, किन्तु उनकी आज्ञाकारिता सशर्त है, यह उनकी स्वयं की व्यक्तिगत भावी संभावनाओं के वास्ते है, और जो उन पर जबरदस्ती डाली जाती है। इसलिए: तुम परमेश्वर पर विश्वास क्यों करते हो? यदि यह केवल तुम्हारी संभावनाओं, और तुम्हारे भाग्य के लिए है, तो बेहतर है कि तुम विश्वास ही मत करो। इस प्रकार का विश्वास आत्म-वंचना, आत्म-आश्वासन, और आत्म-प्रशंसा है।

धार्मिक सेवा समाप्त करो

संपूर्ण जगत में अपने कार्य की शुरूआत से ही, परमेश्वर ने अनेक लोगों को अपनी सेवा के लिए पूर्वनियत किया है, जिसमें हर व्यवसाय के लोग शामिल हैं। उसका प्रयोजन अपनी इच्छा को पूरा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि पृथ्वी में उसके कार्य को सफलता तक पहुँचाया जाए। परमेश्वर का लोगों को अपनी सेवा हेतु चुनने का यही प्रयोजन है। परमेश्वर की सेवा करने वाले हर व्यक्ति को परमेश्वर की इस इच्छा को अवश्य समझना चाहिए। उसके इस कार्य के माध्यम से, लोग परमेश्वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता को बेहतर ढंग से देखने और पृथ्वी पर उसके कार्य के सिद्धान्तों को देखने में समर्थ होते हैं। अपना काम करने और लोगों से संपर्क करने के लिए परमेश्वर व्यावहारिक रूप से पृथ्वी पर आता है जिसकी वजह से वे उसके कर्मों को अधिक स्पष्ट रूप से जान लेंगे।

2017/11/14

भ्रष्ट मनुष्य परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है

मनुष्य, शैतान के प्रभाव से मुक्ति के बिना बेड़ी में बँधा हुआ, अंधकार के प्रभाव के आवरण में रह रहा है। और मनुष्य का स्वभाव, शैतान के द्वारा परिवर्तित होकर, तेज़ी से भ्रष्ट होता जा रहा है। दूसरे शब्दों में, मनुष्य, परमेश्वर को वास्तव में प्यार करने में असमर्थ, निरंतर अपने भ्रष्ट शैतानी स्वभाव में रहता है। इसलिए, यदि मनुष्य परमेश्वर को प्यार करने की इच्छा करता है, तो उसे स्वयं को सही मानना, आत्म-महत्व, घमंड, अहंकार तथा इसी तरह की अपनी चीजों को अवश्य निकाल देना चाहिए जो शैतान के स्वभाव से संबंधित हैं। अन्यथा, मनुष्य का प्रेम अशुद्ध प्रेम, पूरी तरह शैतान का प्रेम है, और ऐसा प्रेम है जो परमेश्वर का अनुमोदन बिल्कुल नहीं प्राप्त कर सकता है।

2017/11/13

पवित्र आत्मा का कार्य और शैतान का कार्य

तुम आत्मा के सुनिश्चित विवरणों को कैसे समझते हो? पवित्र आत्मा मनुष्य में कैसे कार्य करता है? शैतान मनुष्य में कैसे कार्य करता है? दुष्ट आत्माएँ मनुष्य में कैसे कार्य करती हैं? और इस कार्य के प्रकटीकरण क्या हैं? जब तुम्हारे साथ कुछ घटित होता है, तो क्या यह पवित्र आत्मा की ओर से होता है, और क्या तुम्हें उसे मानना चाहिए या ठुकरा देना चाहिए? लोगों की वास्तविक क्रिया उसे बहुत बढ़ा देती है जो मनुष्य की इच्छा से आती है, परंतु फिर भी लोग मानते हैं कि वह पवित्र आत्मा की ओर से है। कुछ बातें दुष्ट आत्माओं की ओर से आती हैं, परंतु फिर भी लोग सोचते हैं कि यह पवित्र आत्मा से जनित है, और कभी-कभी पवित्र आत्मा भीतर से लोगों की अगुवाई करता है, फिर भी लोग डर जाते हैं कि ऐसी अगुवाई शैतान की ओर से होती है, और फिर आज्ञा मानने का साहस नहीं करते, जबकि वास्तविकता में यह पवित्र आत्मा का प्रकाशन होता है।

2017/11/11

आशीषों से तुम लोग क्या समझते हो?

यद्यपि इस युग में जन्मे लोग शैतान और गंदे राक्षसों के भ्रष्टाचार के अधीन हैं, यह भी सच है कि वे इस विकृति के कारण महान उद्धार प्राप्त करने में सक्षम हैं, यहाँ तक ​​कि पहाड़ों और मैदानों पर फैले हुए पशुओं और अय्यूब द्वारा हासिल की गई काफी पारिवारिक संपत्ति से भी अधिक, और यह उस आशीष से भी बढ़कर है जो अय्यूब को अपनी परीक्षाओं के बाद यहोवा को देखने के रूप में प्राप्त हुआ था। यह केवल अय्यूब की मौत की परीक्षा के बाद ही हुआ था कि वह यहोवा के वचन सुन पाया और बादल से उनकी गर्जनापूर्ण आवाज़ को सुन सका था। फिर भी, उसने यहोवा का चेहरा नहीं देखा और वह उनके स्वभाव को नहीं जान सका था।

2017/11/10

सात गर्जनाएँ – भविष्यवाणी करती हैं कि राज्य के सुसमाचार पूरे ब्रह्माण्ड में फैल जाएंगे

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, सुसमाचार, उद्धार, राज्य का युग

सात गर्जनाएँ—भविष्यवाणी करती हैं कि राज्य के सुसमाचार पूरे ब्रह्माण्ड में फैल जाएंगे


मैं अपना कार्य अन्यजाति देशों में फैला रहा हूँ। मेरी महिमा पूरे ब्रह्माण्ड में चमकती है; मेरी इच्छा कुछ यत्र-तत्र फैले लोगों में समाहित है, सब मेरे हाथ के इशारों पर चलते हैं और उन कामों को प्रचारित करते हैं जो मैंने उन्हें सौंपे हैं। इस बिंदु से आगे, सभी लोगों को एक दूसरे विश्व में लाते हुए, मैंने एक नए युग में प्रवेश किया है। जब मैं अपनी "मातृभूमि" लौटा तो मैंने अपनी मूल योजना के कार्य का एक और भाग आरम्भ किया, ताकि इंसान मुझे और गहराई से जान जाए। मैं दुनिया को पूरी समग्रता में देखता हूं और सोचता हूं कि यह मेरे कार्य के लिए अनुकूल समय है, इसलिए इधर-उधर जाता हूं और इंसान पर अपना नया कार्य करता हूं।

पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें


वचन देह में प्रकट होता है, परमेश्वर को जानना, मसीह

पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें


परमेश्वर के सामने तुम सभी पुरस्कार प्राप्त करने और उसके द्वारा मान्य किए जाने पर प्रसन्न होते हो। यह प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है जब वह परमेश्वर पर विश्वास करना प्रारम्भ करता है, क्योंकि मनुष्य सम्पूर्ण हृदय से ऊंची बातों की खोज करता है और कोई भी दूसरे से पीछे नहीं होना चाहता। यही मनुष्यों का तरीका है। इसी कारण से, तुम लोगों के मध्य में से कई लोग स्वर्ग के परमेश्वर से हमेशा तरफदारी प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं, फिर भी वास्तव में, परमेश्वर के प्रति तुम्हारी वफादारी और ईमानदारी, तुम्हारे स्वयं के प्रति वफादारी और ईमानदारी से कहीं कम है।

2017/11/06

परमेश्वर के काम का दर्शन (1)

यूहन्ना ने यीशु के लिए सात साल तक काम किया, और यीशु के आने से पहले ही मार्ग तैयार कर दिया था. इसके पहले, यूहन्ना द्वारा प्रचारित स्वर्गराज्य का सुसमाचार पूरे देश में सुना जा चुका था, इस प्रकार यह पूरे यहूदिया में फैल गया, और सभी ने उसे नबी कह कर पुकारा। उस समय राजा हेरोदस, यूहन्ना को मारने की इच्छा रखता था, फिर भी उसने हिम्मत नहीं की, क्योंकि लोग यूहन्ना को बहुत सम्मान देते थे, और हेरोदस को डर था कि अगर वह यूहन्ना को मार देगा तो वे उसके खिलाफ विद्रोह कर देंगे। यूहन्ना द्वारा किया गया काम, आम लोगों के बीच जड़ें जमा चुका था और उसने यहूदियों को विश्वासी बना दिया था। सात सालों तक उसने यीशु के लिए मार्ग तैयार किया, ठीक उस समय तक जब यीशु ने अपना सेवा-कार्य शुरू किया।

2017/11/05

वास्तविकता को कैसे जानें

परमेश्वर वास्तविकता का परमेश्वर है: उसका समस्त कार्य वास्तविक है, सभी वचन जिन्हें वह कहता है वास्तविक हैं, और सभी सच्चाईयाँ जिन्हें वह व्यक्त करता है वास्तविक हैं। हर चीज़ जो उसके वचन नहीं हैं वे खोखले, अस्तित्वहीन, और अनुचित हैं। आज, पवित्र आत्मा परमेश्वर के वचनों में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए है। यदि लोगों को वास्तविकता में प्रवेश की खोज करनी है, तो उन्हें अवश्य वास्तविकता को ढूँढ़ना, और वास्तविकता को जानना चाहिए, जिसके बाद उन्हें अवश्य वास्तविकता का अनुभव करना चाहिए, और वास्तविकता को जीना चाहिए।

Hindi Christian Song | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे  अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र उतरी है आदम हव्वा से, लेकिन भविष्य की म...