2017/09/01

जिनके स्वभाव परिवर्तित हो चुके हैं, वे सत्य की वास्तविकता में प्रवेश पायेंगे

पवित्र आत्मा मनुष्य के हृदय को पहले सभी व्यक्तियों, कार्यक्रमों और चीजों से अलग करता है, ताकि वह विश्वास करे कि परमेश्वर का वचन पूर्ण रूप से और बिना संदेह के, सत्य मानने योग्य है। क्योंकि आप परमेश्वर पर विश्वास करते हैं अतः उसके वचनों पर भी विश्वास करें; यदि आप बरसों से उस पर अपना भरोसा धरे हुए हैं, परंतु पवित्र आत्मा के तरीकों को नहीं समझ पाए हैं, तो क्या आप सही अर्थ में एक विश्वासी हैं? परमेश्वर के साथ एक साधारण एवं उचित जिंदगी प्राप्त करने हेतु पहले उसके वचनों पर विश्वास करना होगा। अगर आपने उस कार्य के पहले चरण को पूरा नहीं किया है जो पवित्र आत्मा मनुष्य में करता है तो आपमें कोई आधार नहीं है। अगर आप सबसे बुनियादी सिद्धांत को ही ग्रहण ना कर पाए हैं तो आप आगे का सफर कैसे तय कर सकते हैं? परमेश्वर द्वारा मनुष्य को सिद्ध किए जाने के सही मार्ग में प्रवेश करना पवित्र आत्मा के वास्तविक कार्य के सही मार्ग में प्रवेश करना है; और यही पवित्र आत्मा के मार्ग पर चलना भी है। इस वक्त पवित्र आत्मा जिस मार्ग को अपनाता है वह परमेश्वर के वास्तविक वचन है। अतः उस मार्ग पर चलने के इच्छुक व्यक्ति को देहधारी परमेश्वर के वास्तविक वचनों का पालन करना चाहिए, और उन्हें खाना तथा पीना चाहिए। वह वचनों का कार्य कर रहा है, और सब कुछ उसके वचनों से कहा जाता है, और सब कुछ उसके वचनों, उसके वास्तविक वचन, पर स्थापित है। परमेश्वर का सत्य वचन। चाहे बात बिना संदेह परमेश्वर के देह-धारण की हो या उसे जानने की, हमें उसके वचनों पर ध्यान देने का अधिक प्रयास करना चाहिए। अन्यथा हम कुछ प्राप्त नहीं कर पाएंगे और हमारे पास कुछ शेष नहीं रहेगा। सिर्फ परमेश्वर को जान करके ही और उसके वचनों को खाने और पीने के आधार पर उसे संतुष्ट करके ही कोई व्यक्ति धीरे-धीरे उसके साथ उचित संबंध स्थापित कर सकता है। उसके वचनों को खाना और पीना तथा उन्हें अभ्यास में लाना ही परमेश्वर के साथ श्रेष्ठ सहयोग है, और यह अभ्यास ही परमेश्वर के जन होने की गवाही देगा। जब एक व्यक्ति परमेश्वर के वास्तविक वचनों को समझता है और उसके सार का पालन करने में सक्षम होता है, तो वह पवित्र आत्मा द्वारा दिखाए मार्ग पर जीवन जी रहा होता है और वह परमेश्वर द्वारा मनुष्य को सिद्ध करने के सही मार्ग में प्रवेश कर चुका है। पहले लोग अनुग्रह के लिए प्रयास करते था तथा शांति और आनंद के लिए प्रयास करते थे, और तब परमेश्वर के कार्य को प्राप्त करने में सक्षम हो पाते थे। अब ऐसा नहीं है। यदि उनके पास परमेश्वर द्वारा देहधारण करने के वचन नहीं हैं, यदि उन्हें उन वचनों की वास्तविकता नहीं पता है, तो वे परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त नहीं कर सकते हैं और परमेश्वर द्वारा खत्म कर दिए जाएँगे। एक उचित आध्यात्मिक जीवन प्राप्त करने के लिए, पहले परमेश्वर के वचनों को खाएँ और पीएँ और उनका अभ्यास करें; और इस आधार पर मनुष्य और परमेश्वर के बीच एक समुचित नाता स्थापित करें। सहयोग कैसे करें? आप परमेश्वर के जन के रूप में गवाही कैसे देते हैं? आप परमेश्वर के साथ एक उचित रिश्ता कैसे स्थापित करते हैं?
दैनिक जिंदगी में परमेश्वर के साथ अपने समुचित संबंध को इस प्रकार परखें:
1. क्या आप स्वयं परमेश्वर की गवाही पर विश्वास रखते हैं?
2. क्या आप अपने मन में विश्वास करते हैं कि परमेश्वर के वचन पूरी तरह सत्य और अचूक हैं?
3. क्या आप उसके वचनों को अपनी जिंदगी में अमल करते हैं?
4. क्या आप उसके द्वारा सुपुर्द कार्यों के प्रति समर्पित हैं? आप किस प्रकार उस समर्पित हो सकते हैं?
5. क्या आप अपना हर कार्य परमेश्वर के प्रति वफादार रहने और उसे प्रसन्न करने के लिए करते हैं?
इन चीजों के माध्यम से, आप पता लगा सकते हैं कि क्या इस वर्तमान चरण में आपका परमेश्वर के साथ समुचित रिश्ता है।
परमेश्वर आपको जो कार्यभार देता है यदि आप उसे स्वीकार कर पाते हैं, उसके वादे को स्वीकार कर पाते हैं, और पवित्र आत्मा के बताए मार्ग का अनुसरण कर पाते हैं, तो यह परमेश्वर की इच्छा का पालन करना है। क्या पवित्र आत्मा के मार्ग के बारे में आपमें अंदरूनी स्पष्टता है? क्या आप के मौजूदा चाल-चलन उसके मार्ग के अनुरूप है? क्या आपका हृदय परमेश्वर के समीप जा रहा है? क्या आप पवित्र आत्मा के नए प्रकाश का अनुसरण करने को तैयार हैं? क्या आप परमेश्वर द्वारा अपना लिये जाना चाहते हैं? क्या आप पृथ्वी पर परमेश्वर की महिमा की अभिव्यक्ति बनना चाहते हैं? क्या आपमें परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए इच्छा शक्ति है? परमेश्वर के बोलते ही यदि आप सहयोग करने की इच्छा रखते हैं, और आप उसे संतुष्ट करने के इच्छा रखते हैं, यदि यह ही आप की आंतरिक गति की है तो समझ ले कि परमेश्वर का वचन आपके हृदय में फलदायक हुआ है। यदि आप ऐसी चाहत नहीं रखते और आपके प्रयास में ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, तो इसका यह अर्थ है कि आपका हृदय अभी तक परमेश्वर द्वारा प्रभावित नहीं हुआ है।
अब जब लोग आधिकारिक रूप से परमेश्वर के राज्य की तैयारी में प्रवेश कर चुके हैं, परमेश्वर की अपेक्षाएं भी बढ़ चुकी हैं। यह हम कैसे देख सकते हैं? पहले कहा गया है कि लोगों में जीवन नहीं है, लेकिन अब लोग जीवन की खोज में है, परमेश्वर का जन बनने की इच्छा रखते हैं और परमेश्वर द्वारा अपना लिये और सिद्ध किए जाना चाहते हैं। क्या यह उत्थान नहीं है? हकीकत में मनुष्य की अपेक्षाएं पहले से सरल हो गयीं है। लोगों को सेवाकर्ता बनने या मृत्यु प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है- उनसे सिर्फ यह आशा है कि वह परमेश्वर के जन बनें। क्या यह सरल नहीं है? जब तक आप अपना हृदय परमेश्वर को अर्पित करके, उसकी आज्ञा मानते रहेंगे, सब कुछ सफल होगा। आपको ऐसा क्यों लगता है कि यह बहुत कठिन है? जीवन में प्रवेश करने के बारे में जो अब कहा गया है वह पहले के बदले और स्पष्ट है; लोग इस बारे में अस्पष्ट हुआ करते थे और जीवन के सत्य से अनजान थे। जो परमेश्वर के वचनों को सुनकर प्रतिक्रिया देते हैं, जो पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और प्रकाश को प्राप्त कर चुके हैं, और जो उसके द्वारा सिद्ध किए जा चुके हैं और उसके सामने जिनके स्वभाव में बदलाव आ चुका है- वे सब लोग जीवन को प्राप्त कर चुके हैं।
परमेश्वर जीवित प्राणियों को चाहता है निष्प्राण चीजों को नहीं। यदि आप निष्प्राण हैं तो आपमें जीवन नहीं है और परमेश्वर आपसे बात नहीं करेगा, और वह खास तौर पर आपको उसका जन होने के लिए विकसित नहीं करेगा। क्योंकि परमेश्वर के द्वारा आप का उत्थान हुआ है, उसके द्वारा ऐसा महान आशीष प्राप्त करने के बाद, इसका अर्थ है कि आपलोग में जीवन है और आप लोगों को जीवन परमेश्वर से प्राप्त हुआ है।
अपने स्वभाव में परिवर्तन का प्रयास करने के लिए, अभ्यास का मार्ग सरल है। यदि आप अपने व्यावहारिक अनुभव में पवित्र आत्मा के वचनों का पालन कर सकते हैं, तो आप अपने स्वभाव में परिवर्तन हासिल कर पाएँगे। यदि आप पवित्र आत्मा की हर बात का अनुसरण करते हैं और उनके लिए प्रयास करते हैं, आप उसकी आज्ञा का पालन करने वाले हैं, और इस प्रकार आप अपने स्वभाव में परिवर्तन प्राप्त कर पाएँगे। मनुष्य का स्वभाव पवित्र आत्मा के वास्तविक वचनों से परिवर्तित होता है। यदि आप हमेशा अपने पुराने अनुभव और नियम कायम रखते हैं, तो आपके स्वभाव में परिवर्तन नहीं आएगा। यदि आज पवित्र आत्मा सभी मनुष्य को एक साधारण जिंदगी में प्रवेश करने को कहे, और आप सतह पर ही केंद्रित रहे और आप सत्य के बारे में अनिश्चित हैं और इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो आप उसके कार्य के अनुसार नहीं चलते हैं तो आप पवित्र आत्मा द्वारा दिखाए मार्ग में प्रवेश करने वाले लोगों में नहीं होंगे।
आपके स्वभाव में परिवर्तन इस बात पर निर्भर करता है कि आप पवित्र आत्मा के वास्तविक वचनों के साथ चलते हैं या नहीं और उनकी असली समझ आपमें है या नहीं। यह आप लोगों की पूर्व की समझ से अलग है। जो पहले स्वभाव परिवर्तन के विषय आपकी समझ थी वह ये थी की आप, जो न्याय के अधीन हैं, परमेश्वर द्वारा अनुशासित किये जाने के कारण अब लापरवाही से नहीं बोलते हैं। पर यह परिवर्तन का सिर्फ एक पहलू है, और अभी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पवित्र आत्मा के दिशा निर्देश में रहेंl परमेश्वर की हर बात का अनुसरण करें और आज्ञा का पालन करें।
लोग अपना स्वभाव स्वयं परिवर्तित नहीं कर सकते; उन्हें परमेश्वर के वचनों के न्याय, दण्ड और दर्दनाक शोधन से गुजरना होगा, या उसके वचनों द्वारा निपटाया, अनुशासित और काँटा-छाँटा जाना होगा। इन सब के बाद ही वे परमेश्वर के प्रति भक्ति भाव और आज्ञाकारिता प्राप्त कर सकते हैं और उसे मूर्ख बनाने तथा बेपरवाही से पेश आने की कोशिश नहीं करें। परमेश्वर के वचनों के शोधन के द्वारा ही मनुष्य के स्वभाव में परिवर्तन आ सकता है। वे लोग जो उसके वचनों से निवेश, न्याय पाते हैं, अनुशासित होते हैं और निपटाए जाते हैं, वे कभी लापरवाह नहीं होंगे, और शांत और उत्तेजनाहीन रहेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे परमेश्वर के वास्तविक वचनों का पालन करने में सक्षम होते हैं और उसके कार्यों का पालन करते हैं, और भले ही यह मनुष्य की धारणाओं से परे हो, वे उन्हें नज़रअंदाज करके सभिप्राय पालन कर सकते हैं।
पहले जब भी स्वभाव में बदलाव की बात की गई है, यह मुख्यतः अपने आपको तिरस्कार करने, शरीर को कष्ट सहने देने, अपने शरीर को अनुशासित करने, और अपने आप को शारीरिक प्राथमिकताओं से दूर करने के बारे में था- यह एक तरह का स्वभाव परिवर्तन है। लोग अब जानते हैं कि स्वभाव में बदलाव की वास्तविक अभिव्यक्ति परमेश्वर के सत्य वचन को मानने में है, और साथ ही साथ उसके नए कार्य को असल में समझ पाने में है। इस प्रकार लोग परमेश्वर के बारे में अपने पुराने विचारधारा से दूर होंगे और परमेश्वर की सच्ची समझ और आज्ञाकारिता प्राप्त कर पाएंगे। केवल यही है स्वभाव में बदलाव का वास्तविक प्रकटीकरण।
लोगों का जीवन में प्रवेश करने की चेष्टा परमेश्वर के वचनों पर आधारित है; यह पहले भी बताया जा चुका है कि सब कुछ उसके वचनों के द्वारा ही प्राप्त हुई है, पर किसी ने भी सत्य को नहीं देखा। अगर इस अवस्था में आप अनुभव में प्रवेश करेंगे तो आपको सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी। भविष्य की परीक्षाओं के लिए एक अच्छी नींव यहां बन रही है। परमेश्वर चाहे जो कहे, आपको केवल उसके वचनों में प्रवेश करना है। जब परमेश्वर कहता है कि वह लोगों को दंड देना आरंभ कर रहा है तो आपको उसका दंड स्वीकार करना चाहिए। जब परमेश्वर लोगों से प्राण त्यागने का आग्रह करता है, तो आपको वह परीक्षा भी स्वीकार करना चाहिए।
यदि आप सदा उसकी नई वाणी पर जीवन बिताते हैं तो अंत में परमेश्वर के वचन आपको सिद्ध कर देंगे। जितना अधिक आप परमेश्वर के वचनों में प्रवेश करेंगे, उतनी ही शीघ्रता से आपको सिद्ध किया जाएगा। मैं बार-बार क्यों आपसे परमेश्वर के वचनों को समझने और उनमें प्रवेश करने को कह रहा हूं? यह इसलिए कि परमेश्वर के वचनों में केंद्रित होने, और उनका अनुभव करने, और उनकी सच्चाई में प्रवेश करने से ही पवित्र आत्मा को आपके अंदर कार्य करने का अवसर मिलेगा। इसलिए परमेश्वर के कार्य की सभी पद्धति में आप सब प्रतिभागी हैं, और भले ही अंत में आपका कष्ट बड़ा या छोटा क्यों ना हो आप सबको प्रतिफल मिलेगा। अपनी अंतिम सिद्धता प्राप्त करने के लिए, आपको परमेश्वर के सारे वचनों में प्रवेश करना होगा। क्योंकि पवित्र आत्मा लोगों को सिद्ध करता है, वह एकतरफा कार्य नहीं करता है। वह लोगों की सहभागिता चाहता है; वह चाहता है कि हर कोई पूरे विवेक से उसके साथ सहभागिता करे। परमेश्वर चाहे जो भी कहे, आपको उनके वचनों में प्रवेश करना है। यह आपके जीवन के लिए बहुत लाभकारी होगा । सारी बातें आपके स्वभाव परिवर्तन के लिए ही है। जब आप परमेश्वर के वचनों में प्रवेश करेंगे, आपका हृदय परमेश्वर द्वारा द्रवित किया जाएगा और आप वह सारी बातें समझ पाएंगे, जो परमेश्वर कार्य के इस चरण में प्राप्त करना चाहता है और आप में भी उसे प्राप्त करने की इच्छा जागृत होगी। ताड़ना के समय कुछ लोगों ने समझा कि यही कार्य करने का तरीका है और परमेश्वर के वचन पर विश्वास नहीं किया। इसके फलस्वरूप उनका शुद्धिकरण नहीं हुआ और वे ताड़ना के समय से बाहर तो आ गए पर उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं हुया और ना ही वे कुछ समझ पाए। कुछ लोग ऐसे हैं जो सच्चाई के साथ बिना किसी संदेह के वचन में प्रवेश करते हैं; वे कहते हैं कि परमेश्वर का वचन सच्चा है और कभी टलता नहीं और कि लोगों को ताड़ना मिलनी चाहिए।
इस दौरान वे संघर्ष करते हैं और अपने भविष्य और गंतव्य को खो देते हैं, परंतु जब वे इससे बाहर निकलते हैं, तो उनका स्वभाव काफी बदल जाता है और वे परमेश्वर को और गहराई से जानने लगते हैं। जो लोग ताड़ना से निकल आते हैं, वे सब परमेश्वर की सुंदरता को अनुभव करते हैं, और वे जानते हैं कि परमेश्वर के कार्य का यह चरण मानवजाति को प्राप्त होने वाला उसका प्रचुर प्रेम है, कि यह परमेश्वर के प्रेम का विजय और उद्धार है। और वे यह भी कहते हैं कि परमेश्वर के विचार सदैव अच्छे हैं, और जो कुछ परमेश्वर मनुष्य में करता है, वह प्रेम है, द्वेष नहीं। जो लोग परमेश्वर के वचनों पर विश्वास नहीं करते, या उन्हें महत्व नहीं देते, वे ताड़ना के समय में खरा नहीं बन पाए, और परिणामस्वरूप उनको पवित्र आत्मा की सहभागिता प्राप्त नहीं हुई, और उन्होंने कुछ भी नहीं पाया। जो लोग ताड़ना से होकर निकले परंतु खरा नहीं बन पाए, तब भी पवित्र आत्मा उनके अंदर गुप्त तरीके से कार्य कर रहा था और उसके फलस्वरूप उन्होंने अपने स्वभाव में बदलाव का अनुभव किया। कुछ लोग बाहर से बहुत सकारात्मक दिखते हैं। वे सदा आनंदित रहते हैं, लेकिन वे परमेश्वर के वचनों के द्वारा शुद्धिकरण की अवस्था में प्रवेश नहीं किए होते हैं और इसलिए बिल्कुल नहीं बदले हैं, जो कि परमेश्वर के वचनों में विश्वास नहीं करने का परिणाम है। यदि आप परमेश्वर के वचनों में विश्वास नहीं रखते हैं तो पवित्र आत्मा आपके अंदर कार्य नहीं करेगा। परमेश्वर उन सबके सामने प्रकट होता है जो उसके वचनों पर विश्वास करते हैं। जो लोग उसके वचनों पर विश्वास रखते हैं और उन्हें समझते हैं, वे ही उसका प्रेम प्राप्त करेंगे।
परमेश्वर के वचनों की अवस्था में प्रवेश करें, उसे तत्परता से करने के लिए ध्यान लगाएं और मालूम करें कि किन बातों का हमें अभ्यास करना है; ऐसा करने से ही आप अपने स्वभाव में परिवर्तन हासिल कर पाएँगे। केवल इसी तरीके से आप परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाएंगे और परमेश्वर द्वारा इस तरह से सिद्ध हुए लोग ही उसकी इच्छा के अनुसार हो सकते हैं। नयी ज्योति पाने के लिए, आपको उसके वचनों में जीना होगा। यदि आप केवल एक बार पवित्र आत्मा के द्वारा द्रवित किए गए हैं, तो यह काफी नहीं है, आपको और गहराई जाना होगा। जो केवल एक बार पवित्र आत्मा द्वारा द्रवित किए गए हैं, उनमें बस उत्साह जाग जाता है और वे चेष्टा करने को इच्छुक बन जाते हैं, परंतु वे उसे लंबे समय तक कायम नहीं रख सकते हैं, और उन्हें हमेशा पवित्र आत्मा द्वारा द्रवित किए जाने की आवश्यकता है। कई बार ऐसा हुआ है कि मैंने आशा की कि पवित्र आत्मा लोगों की आत्माओं को द्रवित करे, कि वे अपने जीवन स्वभाव में बदलाव लाने का प्रयास करें, और जब वे परमेश्वर द्वारा द्रवित किए जाने की इच्छा करते हैं वे अपनी कमियों को समझ पाते हैं, और उसके वचनों को समझने की प्रक्रिया में, वे अपने अंदर की अपवित्र चीजों को निकाल फेंकते हैं जैसे कि स्व-धार्मिकता, घमंड, उनकी अपनी धारणाएँ इत्यादि। यह न मानें कि बस नई ज्योति को प्राप्त करना ही काफी है, आपको नकारात्मक पहलुओं से भी चीजें निकाल फेंकने की जरूरत है। आप लोगों को न केवल सकारात्मक पहलुओं में प्रवेश करने की जरूरत है, बल्कि आप लोगों को नकारात्मक पहलुओं की अपवित्र चीजों से भी छुटकारा पाने की जरूरत है। आपको लगातार अपने आप का और अपने भीतर अभी भी मौजूद अपवित्र चीजों का परीक्षण करना चाहिए। लोगों की धार्मिक धारणाएँ, इरादे, आशाएं, स्व-धार्मिकता, और घमंड आदि सारी बातें अशुद्ध हैं। अपने आपको परमेश्वर के प्रकाशन के वचनों से तुलना करें, और अपने अंदर झांके कि आपमें कोई धार्मिक धारणा तो नहीं है। उन्हें सही तरह से पहचान पाने के बाद ही आप उन्हें निकाल फेंक सकते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि अब पवित्र आत्मा के वर्तमान कार्य की ज्योति का बस अनुसरण पर्याप्त है और किसी भी दूसरी चीज पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। तो आप अपनी उन धार्मिक धारणाओं से कैसे छुटकारा पाएँगे जब वे सामने आती हैं? क्या आप सोचते हैं कि परमेश्वर के वचनों का पालन करना इतना सरल है? आपके असली जीवन में, अभी भी ऐसी धार्मिक चीजें हैं जो हानिकारक हो सकती हैं, और जब ये चीजें सामने आती हैं, तो वे आपकी नई चीजें अपनाने की क्षमता को नष्ट कर सकती हैं। यह सब वे समस्याएं हैं जो वास्तव में विद्यमान हैं। यदि आप केवल पवित्र आत्मा के वास्तविक वचनों का ही अनुसरण करते हैं, तो आप परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे। जब आप पवित्र आत्मा की वर्तमान ज्योति का अनुसरण करते हैं, तो आपको यह पहचानना चाहिए कि आपके भीतर कौन सी धारणाएँ और इरादे अभी भी हैं, विशेषकर कौन सी मानवीय स्व-धार्मिकता वहाँ है, और कौन से व्यवहार परमेश्वर के प्रति अवज्ञाकारी हैं। और इन सारी चीजों को जान लेने के बाद, आपको उन्हें निकाल फेंकना चाहिए। अपने पुराने क्रियाकलापों और स्वभाव को त्यागना सब पवित्र आत्मा के वर्तमान के वचनों का अनुसरण करने के लिए है क्योंकि स्वभाव में बदलाव, एक ओर परमेश्वर के वचनों द्वारा हासिल होता है और दूसरी ओर इसके लिए लोगों की सहभागिता आवश्यक है। इसका मतलब है कि परमेश्वर का कार्य और लोगों का अभ्यास दोनों ही अपरिहार्य हैं।
अपनी सेवा के भविष्य पथ में, आप परमेश्वर की इच्छा को कैसे पूरा कर सकते हैं।
एक महत्वपूर्ण बिंदु जीवन में प्रवेश करने का प्रयास करना है, अपने स्वभाव में बदलाव का प्रयत्न करना है, और सच्चाई की गहराई में प्रवेश करने का यत्न करना है। यह परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाने और अपनाये जाने का मार्ग है।
आप सबको परमेश्वर से कार्यभार प्राप्त करना है। इसका क्या अर्थ है? यह कार्य के अगले क़दम के लिए प्रासंगिक है, जो पूरी सृष्टि में होने वाला एक बड़ा कार्य है। इसलिए अब आपको अपने जीवन स्वभाव बदलाव लाने की चेष्टा करनी चाहिए ताकि आप भविष्य में उसके कार्य के माध्यम से परमेश्वर के महिमा पाने का एक प्रमाण बन जाए, और उसके भविष्य के कार्यों के लिए एक नमूना बना दिए जाएँ। आज जो कुछ भी किया जा रहा है वह भविष्य के कार्य के लिए एक नींव है। यह इसलिए है कि आप परमेश्वर द्वारा उपयोग किए जा सकें और उसकी गवाही देने में सक्षम बन सकें। अगर आपके परिश्रम का ये ही लक्ष्य है, तो आप पवित्र आत्मा के सानिध्य को प्राप्त कर पाएंगे। आप अपने लक्ष्य को जितना ऊंचा रखेंगे, उतना अधिक आपके सिद्ध किए जाने के आसार बढ़ेंगे। जितना अधिक आप सत्य के लिए प्रयास करेंगे, उतना ही अधिक पवित्र आत्मा कार्य करेगा। लक्ष्य का पीछा करने में आप जितनी ऊर्जा लगाएँगे, उतना अधिक आप प्राप्त करेंगे। पवित्र आत्मा लोगों को उनकी आंतरिक अवस्था के आधार पर सिद्ध करता है। कुछ लोग कहते हैं कि वे परमेश्वर द्वारा उपयोग होने या उसके द्वारा सिद्ध किए जाने के इच्छुक नहीं हैं, कि बढ़िया होगा यदि वे शरीर में शांत हैं, और उन्हें कोई दुर्गति नहीं झेलना पड़ता है। कुछ लोग परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना नहीं चाहते हैं, परंतु उस अथाह कुंड में उतरना चाहते हैं, और परमेश्वर आपके लिए वह भी पूरा करेगा। आप जो भी लक्ष्य रखेंगे परमेश्वर उसे पूरा करेगा। तो इस समय आपका लक्ष्य क्या है? क्या आप सिद्ध किए जाने का लक्ष्य रखते हैं? क्या आप सिद्ध किए जा रहे हैं? क्या आपके वर्तमान कार्यकलाप और व्यवहार परमेश्वर द्वारा सिद्ध किए जाने के उद्देश्य से है, उसके द्वारा अपनाए जाने के लिए है? आपको अपने रोजमर्रा के जीवन में इस तरह से आंकलन निरंतर करना चाहिए। यदि आप अपने हृदय को एक लक्ष्य का पीछा करने में केंद्रित करते हैं, तो परमेश्वर आपको निस्संदेह सिद्ध करेगा। यह पवित्र आत्मा का मार्ग है। पवित्र आत्मा द्वारा दिखाया गया मार्ग लोगों के अनुसरण से प्राप्त होता है।
जितना अधिक आप परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाने और अपनाए जाने की कामना करेंगे, पवित्र आत्मा आपके अंदर उतना ही अधिक काम करेगा। जितना अधिक आप प्रयास करने से दूर रहते हैं, जितना अधिक आप नकारात्मक और पीछे हटने वाले होते हैं, पवित्र आत्मा के पास कार्य करने के अवसर उतने ही कम होते हैं। धीरे-धीरे पवित्र आत्मा आपको त्याग देगा। क्या आप परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाने के लिए तत्पर हैं? क्या आप परमेश्वर के द्वारा अपनाए जाने के लिए तैयार हैं? क्या आप परमेश्वर के द्वारा उपयोग किए जाने के लिए तैयार हैं? आप लोगों को सिद्ध किए जाने, अपनाए जाने, और उपयोग किए जाने के उद्देश्य से हर संभव कार्य करना चाहिए जिससे सृष्टि की सब चीज को आपको भीतर परमेश्वर का कार्य प्रकट होता दिखाई दे। सभी चीजों के बीच, आप उनके स्वामी हैं, और उन सबके बीच, आप परमेश्वर को उसकी गवाही और उसकी महिमा प्राप्त करने देंगे। यह दर्शाता है कि आप सबसे सौभाग्यशाली पीढ़ी हैं।

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