2017/10/27

अभ्यास (8)

लोगों के बारे में काफी कुछ ऐसा है जो बहुत ही विकृत और ग़लत है, वे स्वयं को कभी भी संभाल नहीं पाते हैं, और इस प्रकार सही मार्ग पर प्रवेश करने में अभी भी उनका मार्गदर्शन करना आवश्यक है; दूसरे शब्दों में, वे अपने मानवीय जीवन और आध्यात्मिक जीवन को नियंत्रित करने के लिए, दोनों पहलुओं को अभ्यास में डालने के लिए सक्षम हैं, और उन्हें अक्सर समर्थित और निर्देशित होने की आवश्यकता नहीं है। तभी तो वे सही कद-काठी से संपन्न होंगे। इसका मतलब यह होगा कि, भविष्य में, जब कोई भी तुम्हारा मार्गदर्शन करने वाला न होगा, तब भी तुम स्वतः से अनुभव कर पाओगे। आज, अगर तुम्हें इसकी समझ है कि क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं, तो भविष्य में तुम वास्तविकता में प्रवेश करने में सक्षम होगे। आज, तुम लोगों को सही रास्ते पर ले जाया जा रहा है, जिससे तुम सब कई सच्चाइयों को समझ सको, और भविष्य में तुम लोग अधिक गहराई तक जा सकोगे। यह कहा जा सकता है कि लोगों को जो अब समझने दिया जा रहा है, वह सबसे शुद्ध मार्ग है। आज, तुम्हें सही रास्ते पर ले जाया जा रहा है—और एक दिन, जब कोई भी तुम्हारा मार्गदर्शन करने वाला न होगा, तब तुम इसके अनुसार, जो सभी मार्गों में सबसे शुद्ध है, गहनतर अभ्यास करोगे और आगे बढ़ोगे। अब, लोगों को समझाया जा रहा है कि क्या सही है, और क्या पथ-भ्रष्ट है, और इन चीजों को समझने के बाद, भविष्य में उनके अनुभव गहनतर होंगे। आज, जिन चीज़ों को तुम लोग समझ नहीं पाते हो, वे पलटायी जा रही हैं, और सकारात्मक प्रविष्टि का मार्ग तुम सब के सामने प्रकट हो रहा है, जिसके बाद कार्य का यह चरण समाप्त हो जाएगा, और तुम लोग उस रास्ते पर चलना शुरू कर दोगे जिस पर मनुष्यों को चलना चाहिए। उस समय, मेरा कार्य समाप्त हो जाएगा, और उस बिंदु से आगे तुम मुझे और नहीं मिलोगे। आज, तुम्हारी कद-काठी अभी भी बहुत कम है। कई कठिनाइयाँ हैं जो कि मानव के तत्व और उसकी प्रकृति की चीजें हैं, साथ ही कुछ गहरी जड़ों वाली चीजें भी हैं जिन्हें अभी भी खोद कर निकाला जाना बाकी है। तुम लोगों के सार और उनकी प्रकृति की सूक्ष्मतर बातों को नहीं समझते हो, और अभी भी उनको ये बता देने के लिए मेरी आवश्यकता है; वर्ना तुम लोग नहीं जान पाओगे। जब यह एक निश्चित बिंदु तक पहुँच जाएगा और तुम्हारी हड्डियों और खून के भीतर की चीजों को उजागर किया जाएगा, तो यही वह चीज़ है जिसे ताड़ना और न्याय कहा जाता है। केवल जब मेरा कार्य अच्छी तरह से और सम्पूर्ण रूप से पूरा किया जाएगा, तभी मैं इसे समाप्त करूँगा। जितनी अधिक गहराई से तुम सब को उघाड़ा जाएगा, तुम लोग उतना अधिक ज्ञान प्राप्त करोगे, और यह तुम सब की भविष्य की गवाही और पूर्णता के लिए बहुत महत्व का होगा। केवल जब ताड़ना और न्याय का कार्य पूर्ण रूप से संपन्न हो जाएगा, यह मेरे कार्य की सम्पूर्णता होगी, ताकि तुम सभी मेरी ताड़ना और मेरे न्याय के द्वारा मुझे जान सको। न केवल तुम लोग मेरे स्वभाव और मेरी धार्मिकता को जानोगे, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि तुम मेरी ताड़ना और मेरे न्याय को जान लोगे। तुम लोगों में से बहुतों को मेरे कार्य में निहित नवीनता और विस्तृतता के बारे में महान धारणाएँ हैं। फिर भी, तुम लोगों को यह देखना चाहिए कि मेरा कार्य नया और विस्तृत है, और यह कि मैं तुम सब को आमने-सामने, हाथ में हाथ लिए अभ्यास करना सिखाता हूँ। भविष्य में केवल यही तुम सब के अभ्यास और तुम्हारे अटल रह पाने में लाभदायक होगा; अन्यथा, तुम सब शरद ऋतु के पत्तों की तरह मुरझाये, पीले और सूखे हो जाओगे, बिना रत्ती भर मोल के। तुम सभी को पता होना चाहिए कि मैं तुम्हारे दिलों और तुम्हारी आत्माओं के बारे में सब कुछ जानता हूँ; और इसी तरह, जो कार्य मैं करता हूँ और जिन वचनों को मैं कहता हूँ, वे बड़ी सूक्ष्मता लिए हुए हैं। तुम्हारे स्वभाव और क्षमता के आधार पर, तुमसे इस तरह से व्यवहार किया जाना चाहिए। केवल इसी तरह से मेरी ताड़ना और मेरे न्याय का ज्ञान तुम लोगों के लिए स्पष्टतर हो जाएगा, और हालाँकि तुम आज इसे न भी जानो, तुम संभवतः कल इसे जान लोगे। कोई भी सृजित व्यक्ति मेरी ताड़ना और मेरे न्याय के वचनों के अंतर्गत होगा, क्योंकि मैं किसी भी व्यक्ति के प्रतिरोध को बर्दाश्त नहीं करता।
तुम सभी को अपने जीवन को नियंत्रण में रखना चाहिए। हर दिन को तुम लोग जैसा चाहो वैसा संगठित कर सकते हो, तुम सभी जो चाहो उसे करने, पढ़ने, सुनने, और लिखने के लिए मुक्त हो, और यदि यह तुम्हारी दिलचस्पी हो तो तुम भजन लिख सकते हो। क्या इन सब से एक उपयुक्त जीवन नहीं बनता है? ये सभी चीजें हैं जो एक मानवीय जीवन के भीतर सन्निहित होनी चाहिए। जो भी आये, लोगों को स्वाभाविक रूप से उसे करना चाहिए; केवल जब वे अपने मानवीय और आध्यात्मिक जीवन में फल भुगत चुके हैं, तब ही उन्होंने सामान्य जीवन में प्रवेश कर लिया है ऐसा माना जा सकता है। आज जब मानवता की बात आती है, तो तुममें अंतर्दृष्टि और सूझबूझ की कमी ही नहीं होती है। ऐसी कई परिकल्पनाएँ हैं जिन्हें जानना चाहिए ताकि लोग उनके साथ सुसज्जित हों, और तुम जिस किसी सबक का सामना करो, वह सबक तुम्हें सीखना चाहिए; परिवेश को देख पाने में तुम्हें सक्षम होना चाहिए, और इसके अनुकूल बनना चाहिए। तुम्हारी शिक्षा और साक्षरता के स्तर में सुधार दीर्घकालिक तौर पर किया जाना चाहिए। तभी तुम एक फसल काट सकोगे। सामान्य मानवता में रहने के संबंध में, अब भी ऐसी चीजें हैं जिनसे तुम्हें खुद को लैस करना होगा और तुम्हें अपनी जिंदगी के प्रवेश पर भी पकड़ होनी चाहिए। आज तक पहुँचने के बाद, कई बातें हैं जो इससे पहले बोली गईं थीं, जिन्हें तुम समझ नहीं पाए थे, लेकिन आज फिर से उन्हें पढ़कर तुम समझ जाते हो, और अपने दिल में तुम काफी अधिक स्थिर हो जाते हो। यह भी एक फसल की कटाई की तरह है। जिस दिन तुम परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हो और तुम्हारे भीतर थोड़ा-सा ज्ञान होता है, तुम अपने भाइयों और बहनों के साथ स्वतंत्र रूप से बातचीत कर सकते हो। क्या यह वो ज़िंदगी नहीं जो तुम्हारे लिए होनी चाहिए? कभी-कभी, तुम कुछ सवाल पूछते हो या किसी विषय पर विचार करते हो और यह तुम्हें फर्क कर पाने में बेहतर बनाता है, और तुम्हें अधिक अंतर्दृष्टि और ज्ञान देता है, जिससे तुम कुछ सच्चाइयों को समझ पाते हो—और क्या यह आध्यात्मिक जीवन में निहित वो नहीं है जिसकी आज बात की जा रही है? यह स्वीकार्य नहीं है कि आध्यात्मिक जीवन का केवल एक ही पहलू व्यवहार में लाया जाए; परमेश्वर के वचनों को खाना-पीना, प्रार्थना करना, और भजनों को गाना, ये सभी आध्यात्मिक जीवन का निर्माण करते हैं, और जब तुम आध्यात्मिक जीवन प्राप्त करते हो, तो तुम्हारा एक सामान्य मानवीय जीवन भी होना चाहिए। आज, जो कहा गया है उसमें से काफी कुछ लोगों को तर्कसंगतता और अंतर्दृष्टि देने के लिए है, ताकि उन्हें सामान्य मानवता का जीवन प्राप्त हो सके। अंतर्दृष्टि होने का क्या मतलब है, सामान्य पारस्परिक संबंधों के होने का क्या मतलब है, तुम्हें लोगों के साथ कैसे बातचीत करनी चाहिए— परमेश्वर के वचनों को खाने-पीने के द्वारा तुम्हें इन चीजों के साथ स्वयं को लैस करना चाहिए, और तुमसे जो अपेक्षित है वह सामान्य मानवता के द्वारा प्राप्य है। तुम्हें उन चीजों से खुद को सज्जित करना चाहिए जो तुम्हें करनी ही हैं, लेकिन बहुत दूर मत निकल जाओ; कुछ लोग सभी तरह के शब्दों और शब्दावली का उपयोग करते हैं, और इसमें वे आडम्बर कर रहे होते हैं। ऐसे अन्य भी लोग हैं जो सभी प्रकार की पुस्तकों को पढ़ते हैं, जो देह की इच्छाओं को खुली छूट देना है। वे यहाँ तक ​​कि दुनिया के महान व्यक्तियों की जीवनी और उद्धरणों का अध्ययन और उनका अनुकरण करते हैं और अश्लील पुस्तकें पढ़ते हैं—यह तो और भी हास्यास्पद है! इस तरह के लोग न केवल जीवन में प्रवेश करने का रास्ता जानते हैं, बल्कि, साथ ही, परमेश्वर के आज के कार्य को भी नहीं जानते, और उन्हें पता नहीं है कि प्रत्येक दिन कैसे बिताना है। उनका जीवन बहुत खाली है! वे पूरी तरह से अनजान हैं कि वे स्वयं को किसमें प्रविष्ट करें। वे बस इतना ही करते हैं कि दूसरों के साथ बातचीत और संवाद करते हैं, मानो कि बातचीत करना उनकी प्रविष्टि की जगह ले लेता है। क्या उन्हें कोई शर्म नहीं है? ये वे लोग हैं जो नहीं जानते कि कैसे जीना है, और जो मानव जीवन को नहीं समझते हैं; वे पूरे दिन खाते रहते हैं, और निरर्थक बातें करते हैं—और इस तरह जीने का क्या अर्थ है? मैंने कई लोगों को देखा है कि उनके अपने कार्य करने, खाने और कपड़े पहनने के अलावा, पूरे दिन उनके अनमोल समय पर व्यर्थ चीज़ों का कब्जा होता है, चाहे वह इधर-उधर भटकना और बेवकूफी करना, दोस्तों से मिलना और गपशप करना, या चैन से सोना हो। क्या ऐसा जीवन संतों का जीवन है? क्या यह सामान्य लोगों का जीवन है? क्या तुम पूर्ण बनाए जा सकते हो जब तुम्हारा जीवन अधम, पिछड़ा और बेफ़िक्र है? क्या तुम खुद को शैतान के लिए खो बैठने को तैयार हो? जब लोगों का जीवन आसान होता है, और उनके परिवेश में कोई दुःख नहीं होता है, तो वे अनुभव करने में असमर्थ होते हैं। आरामदायक परिवेश में लोगों के लिए भ्रष्ट होना आसान है—लेकिन प्रतिकूल वातावरण तुम्हें अधिक तात्कालिकता के साथ प्रार्थना करने के लिए प्रेरित करता है और इससे तुम परमेश्वर को छोड़ने का दुस्साहस नहीं करते हो। जितना आसान और सुस्त उनका जीवन होता है, उतना ही अधिक लोगों का यह मानना होता ​​है कि जीवित रहने का कोई मतलब नहीं है, और यह कि मर जाना बेहतर है। ऐसा होता है भ्रष्ट लोगों का देह; वे केवल परीक्षण के अनुभव द्वारा ही लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
यीशु के कार्य का यह चरण यहूदिया और गलील में किया गया था, और अन्य गैर-यहूदी जातियों को इसके बारे में पता नहीं था। जो कार्य उन्होंने किया वह बहुत ही गुप्त था, और इजराइल के अलावा किसी भी राष्ट्र को इसके बारे में जानकारी नहीं थी। केवल जब यीशु ने अपना कार्य पूरा किया और इससे शोर मचा, लोग इसके बारे में जागरुक हुए, और उस समय वे विदा हो चुके थे। यीशु कार्य के एक चरण को करने के लिए आये, लोगों के एक समूह को प्राप्त किया, और कार्य का एक चरण पूरा किया। परमेश्वर द्वारा किये गए कार्य के किसी भी चरण में, ऐसे कई होते हैं जो एक पूरक के रूप में सेवा करते हैं। यदि यह केवल परमेश्वर द्वारा ही किया जाता, तो यह अर्थहीन होता; ऐसे लोग होने चाहिए जो परमेश्वर का अनुसरण करें और कार्य के इस चरण को बिलकुल अंत तक पूरा करें। केवल जब परमेश्वर का स्वयं का कार्य पूरा हो जाता है, तो लोग परमेश्वर द्वारा नियुक्त कार्य को पूरा करना शुरू करते हैं, और उसके बाद ही परमेश्वर का कार्य फैलना शुरू होता है। परमेश्वर केवल एक नए युग को ले आने का कार्य करता है, और इसे आगे ले जाने का कार्य लोगों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार, आज का कार्य लंबे समय तक नहीं रहेगा; मानव के साथ मेरा जीवन बहुत लंबे समय तक जारी नहीं रहेगा। मैं केवल अपने कार्य को पूरा करता हूँ, और तुम सब से वह कर्तव्य करवाता हूँ जो तुम लोगों को करना चाहिए, ताकि यह कार्य और यह सुसमाचार अन्य जातियों और अन्य राष्ट्रों में जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी फैल सके—केवल उस समय तुम सब इंसानों का कर्तव्य पूरा हो जाएगा। आज का समय सब से अधिक मूल्यवान है। यदि तुम इसे अनदेखा करते हो, तो तुम उनमें से एक हो जो मूर्ख हैं; यदि इस परिवेश में, तुम इन वचनों को खाते-पीते हो और इस कार्य का अनुभव करते हो, और फिर भी इसका अनुसरण करने का कोई इरादा नहीं रखते हो, और तुम्हें दायित्व के भार की थोड़ी-सी भी समझ नहीं है, तो तुमसे क्या संभावनाएँ हैं जिनकी तुम बात करोगे? क्या ऐसे लोगों को हटा नहीं दिया जाएगा?

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