यह बात कि लोग परमेश्वर की सुंदरता की खोजने में, इस युग में परमेश्वर को प्यार करने का तरीका तलाश करने में सक्षम हैं, और यह कि वे आज के राज्य के प्रशिक्षण को स्वीकार करने के इच्छुक हैं-यह सब परमेश्वर का अनुग्रह है और इससे भी ज़्यादा, वही है जो मानव जाति का उत्थान कर रहा है। जब भी मैं इस बारे में सोचता हूँ, तो मुझे दृढ़ता से परमेश्वर की सुंदरता महसूस होती है। यह सच है कि परमेश्वर हमें प्यार करता है। अन्यथा, उसकी सुदरता को खोजने में कौन सक्षम हो सकेगा? यह केवल इस बात से है कि मैं देखता हूँ कि यह सब कार्य व्यक्तिगत रूप से स्वयं परमेश्वर के द्वारा किया जाता है, और लोगों को परमेश्वर द्वारा मार्गदर्शित और निर्देशित किया जाता है। मैं इसके लिए परमेश्वर का धन्यवाद देता हूँ, और मैं चाहूँगा कि मेरे भाई और मेरी बहनें परमेश्वर की स्तुति करने में मेरे साथ शामिल हों: “सभी महिमा आप, सर्वोच्च परमेश्वर स्वयं, तेरे के लिए हो! आपकी तेरी महिमा में वृद्धि हो और हममें से उन पर प्रकट हो जिन्हें आपकेतुम्हारे तेरे द्वारा चुना और प्राप्त कर लिया गया है।” मैंने परमेश्वर से प्रबुद्धता प्राप्त कर ली है-युगों से पहले परमेश्वर ने हमें पहले ही पूर्वनियत कर दिया था और अंत के दिनों में हमें प्राप्त करना चाहता था, इस प्रकार ब्रह्मांड में उपस्थित सभी को हमारे माध्यम से परमेश्वर की महिमा को इसकी संपूर्णता में देखने की अनुमति दी। इस प्रकार, हम परमेश्वर की छह हज़ार वर्षों की प्रबंधन योजना के एक निश्चित और स्पष्ट आकार हैं; हम समस्त ब्रह्मांड में परमेश्वर के कार्य के आदर्श हैं, नमूने हैं। अब जाकर मुझे पता लगा कि परमेश्वर का हमारे लिए वास्तव में कितना प्यार है, और यह कि वह हममें जो कार्य करता है और जो बातें वह कहता है वह सब बीते युगों की बातों से लाखों गुना अधिक हैं। यहाँ तक कि इस्राएल में और पतरस में भी, परमेश्वर ने कभी भी इतना कार्य नहीं किया और इतनी बात नहीं की। यह दर्शाता है कि हम, लोगों का यह समूह, वास्तव में अविश्वसनीय रूप से धन्य हैं-अतीत के संतों की अपेक्षा अतुलनीय रूप से अधिक धन्य हैं। यही कारण है कि परमेश्वर ने हमेशा कहा है कि अंतिम युग के लोग धन्य हैं। इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि अन्य लोग क्या कहते हैं, मुझे विश्वास है कि हम उनमें से हैं जिन्हें परमेश्वर द्वारा सबसे अधिक धन्य किया गया है। हमें परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए आशीषों को स्वीकार करना चाहिए; शायद कुछ ऐसे लोग हैं जो परमेश्वर से शिकायत करेंगे, किन्तु मुझे विश्वास है कि आशीष परमेश्वर से आते हैं और यह साबित करता है कि ये वही हैं जिनके हम पात्र हैं। यहाँ तक कि यदि अन्य लोग शिकायत करते हैं या हमारे साथ खुश नहीं हैं, तब भी मुझे हमेशा विश्वास है कि कोई भी परमेश्वर द्वारा हमें दिए गए आशीषों को स्वीकार नहीं कर सकता है या दूर नहीं कर सकता है। क्योंकि परमेश्वर का कार्य हम पर किया जाता है और वह हमारे साथ आमने-सामने बात कर रहा है-हमसे, दूसरों से नहीं—इसलिए परमेश्वर जो कुछ भी चाहता है वह करता है, और यदि लोग आश्वस्त नहीं हैं, तो क्या यह सिर्फ परेशानी माँगना नहीं है? क्या यह अपमानित होने के लिए निवेदन करना नहीं है? मैं ऐसा क्यों कहूँगा? ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे पास इसका गहन अनुभव है। ठीक जिस प्रकार से परमेश्वर मुझ पर कार्य करता है जिसे केवल मैं ही स्वीकार कर सकता हूँ-क्या कोई अन्य ऐसा कर सकता है? मैं भाग्यशाली हूँ कि परमेश्वर ने मुझे इसे सौंपा है-क्या कोई अन्य सिर्फ बिना किसी भेद विचार के ऐसा कर सकता है? किन्तु मुझे आशा है कि मेरे भाई और मेरी बहनें मेरे हृदय को समझ सकते हैं। यह लोगों के सामने शेखी बघारने के लिए अपना स्वयं का परिचय प्रदर्शित करना नहीं है, बल्कि यह किसी मुद्दे को समझाने के लिए है। मैं समस्त महिमा परमेश्वर को देने का और हममें से प्रत्येक के हृदय की उससे निगरानी करवाने का इच्छुक हूँ ताकि परमेश्वर के सामने हमारे हृदय शुद्ध हो जाएँ। मैं अपने हृदय की गहराई से एक कामना करना चाहूँगा: मैं परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से प्राप्त किए जाने की, एक शुद्ध कुँवारी बनने की जिसे वेदी पर बलिदान किया जाता है, और इससे भी अधिक एक मेमने के जैसे आज्ञाकारिता पाने की, और समस्त मानवजाति के बीच में एक पवित्र आध्यात्मिक शरीर के रूप में प्रकट होने की आशा करता हूँ। यह मेरा वादा, वह क़सम है जो मैंने परमेश्वर के सामने निर्धारित की है। मैं इसे पूरा करने और इस के माध्यम से परमेश्वर के प्यार को चुकाने का इच्छुक हूँ। क्या आपतुम ऐसा करने के इच्छुक हैंहो? मेरा मानना है कि मेरा यह वादा छोटे भाईयों और बहनों को अधिक मज़बूत बनाएगा, और युवा लोगों को अधिक आशा देगा। मुझे लगता है कि परमेश्वर युवा लोगों पर विशेष ज़ोर देता है। शायद यह मेरा अपना पूर्वाग्रह हो, लेकिन मुझे हमेशा लगता है कि युवा लोगों में अपने भविष्य के लिए आशा है; ऐसा लगता है कि परमेश्वर युवा लोगों में अतिरिक्त कार्य करता है। यद्यपि उनमें अंतर्दृष्टि और बुद्धि की कमी होती है और वे सभी नवजात बछड़ों की तरह अत्यधिक उल्लासपूर्ण और उग्र स्वभाव के होते हैं, किन्तु मेरा मानना है कि युवा पूरी तरह से अपने गुणों से विहीन नहीं होते हैं। आपतुम युवाओं में उनकी निर्दोषता देख सकते होहैं और उनके लिए नई चीजों को स्वीकार करना आसान है। यद्यपि युवा लोगों में अहंकार, प्रचंडता और आवेग की प्रवृत्ति तो होती है, किन्तु ये चीजें नई रोशनी प्राप्त करने की उनकी क्षमता पर प्रभाव नहीं डालती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि युवा लोग आमतौर पर पुराने ढंग की चीजों से कस कर नहीं चिपके रहते हैं। यही कारण है कि मैं युवा लोगों में, और उनकी जीवन शक्ति में असीम आशा देखता हूँ; यही कारण है कि उनके लिए मेरे दिल में एक कोमल अनुभूति है। यद्यपि मेरे वृद्ध भाइयों और बहनों के लिए मेरी नापसंदगी नहीं है, किन्तु मेरी उनमें कोई रुचि भी नहीं है। हालाँकि, मैं वृद्ध भाइयों और बहनों से माफ़ी माँगता हूँ। शायद मैंने जो कुछ कहा है वह अनुचित हो या अविवेकी हो, किन्तु मुझे आशा है कि आपतुम सभी लोग मेरे दुस्साहस को माफ़ कर सकते होहैं, क्योंकि मैं बहुत छोटा हूँ और अपने बोलने की शैली को बहुत ज़्यादा महत्व नहीं देता हूँ। हालाँकि, सच्चाई को बताने के लिए, आख़िरकार, वृद्ध भाईयों और बहनों के अपने कार्य होंगे जो उन्हें करने चाहिए—वे व्यर्थ बिल्कुल नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास मामलों से निपटने का अनुभव है, वे चीजों को जिस तरह से सँभालते हैं उसमें सुस्थिर हैं, और वे इतनी गलतियाँ नहीं करते हैं। क्या ये उनकी ताक़तें नहीं हैं? मैं चाहूँगा कि हम सभी परमेश्वर के सामने कहें: “हे परमेश्वर! हम सभी अपनी अलग-अलग स्थितियों में अपने कार्यों को पूरा करें, और हम सभी आपकीतेरी इच्छा के लिए अपना सबसे सर्वोत्तम करें!” मेरा विश्वास है कि यह परमेश्वर की इच्छा होनी चाहिए!
मैंने अपने अनुभव में जो कुछ देखा है उससे, कई लोग जिन्होंने इस धारा का खुल कर विरोध किया है, अर्थात्, ऐसे कई लोग जिन्होंने सीधे परमेश्वर की आत्मा का विरोध किया है, वृद्ध लोग हैं। धार्मिक अवधारणाएँ जो ये लोग धारण करते हैं बहुत मज़बूत होती हैं और वे हर पहलू में पुराने ज़माने की चीजों की परमेश्वर के वचनों के साथ तुलना करते हैं। वे हमेशा उन चीजों को परमेश्वर के वचनों में लागू करते हैं जो उन्होंने अतीत में स्वीकार की थीं। क्या वे बेहूदा नहीं हैं? क्या इस तरह का कोई परमेश्वर का कार्य कर सकता है? क्या परमेश्वर अपने कार्य के लिए इस तरह के व्यक्ति का उपयोग कर सकता है? किसी भी दिए गए दिन के लिए अपना कार्य करने का पवित्र आत्मा का एक तरीका है; यदि लोग पुराने ज़माने वाली चीजों से चिपकते हैं, तो एक दिन ऐसा आएगा जब उन्हें इतिहास के मंच से धक्का दे दिया जाएगा। अपने कार्य के प्रत्येक चरण में, परमेश्वर हमेशा नए लोगों का उपयोग करता है। यदि किसी को अप्रचलित चीजों के साथ दूसरों को व्याख्यान देना होता, तो क्या यह सिर्फ़ लोगों को नष्ट करना नहीं होता? क्या यह उसके कार्य को रोकना नहीं होता? तो परमेश्वर का कार्य कब पूरा किया जा सकता है? हो सकता है कि ऐसे कुछ लोग हों जिनकी इस बारे में कुछ अवधारणाएँ हों जो मैंने अभी-अभी कहा है। हो सकता है कि वे आश्वस्त नहीं होंगे। हालाँकि, मुझे आशा है कि आपतुम चिंतित नहीं होहैं; निकट भविष्य में इस तरह की कई चीजें होंगी, और इसे केवल तथ्यों के माध्यम से ही स्पष्ट किया जा सकता है। हम संभ्रांत जनों, कुछ प्रतिष्ठित पादरियों या बाइबल के प्रतिपादकों से जा कर भी मुलाकात कर सकते हैं और उन्हें इस धारा की सलाह दे सकते हैं। शुरू में, वे निश्चित रूप से खुल कर विरोध नहीं करेंगे, किन्तु वे आपकेतुम्हारे साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बाइबल निकालेंगे। वे आपकोतुम्हें यशायाह की पुस्तक और दानीएल की पुस्तक का ब्योरा दिलवाएँगे, और यहाँ तक कि वे आपतुमसे प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की व्याख्या भी करवाएँगे। और यदि आपतुम इस पर बात नहीं कर सकते हैंहो, तो वे आपकोतुम्हें अस्वीकार कर देंगे, और आपकोतुम्हें एक झूठा मसीह कहेंगे, कहेंगे कि आपतुम एक तरह की बेहूदगी फैला रहे होहैं। एक घंटे के बाद वे आपकेतुम्हारे ख़िलाफ़ इस स्तर तक झूठे आरोप लगाएँगे कि आपतुम प्राणहीन हो जाएँ। जाओ। क्या यह खुला प्रतिरोध नहीं है? लेकिन यह तो सिर्फ़ शुरुआत है। वे परमेश्वर के कार्य के अगले चरण में बाधा नहीं डाल सकते हैं, और शीघ्र ही, पवित्र आत्मा उन्हें इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य कर देगा। यह सामान्य प्रवृत्ति है; यह ऐसा कुछ है जिसे मानव नहीं कर सकते हैं और कुछ ऐसा है जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। मेरा विश्वास है कि परमेश्वर का कार्य पूरे विश्व में निर्विघ्न फैलेगा। यह परमेश्वर की इच्छा है, और इसे कोई नहीं रोक सकता है। परमेश्वर हमें प्रबुद्ध करें करे और हमसे नए प्रकाश स्वीकार करवाएँ करवाए और इस मामले में परमेश्वर के प्रबंधन में बाधा न डलवाएँ। डलवाए। परमेश्वर हम पर दया करें करे ताकि हम सब उसकी महिमा के दिन के आगमन को देखने में सक्षम हो जाएँ। जब परमेश्वर की पूरे ब्रह्मांड में महिमा होती है, यही वह समय भी होगा कि हम उसके साथ-साथ महिमा प्राप्त करेंगे। ऐसा लगता है कि यही वह समय भी होगा कि मैं उन लोगों से विदा लूँगा जो मेरे साथ-साथ चलते हैं। मुझे आशा है कि मेरे भाई और मेरी बहनें परमेश्वर से अनुनय करने में मेरे साथ अपनी आवाज़ उठा सकते हैं: परमेश्वर का महान कार्य शीघ्र पूरा हो ताकि हम अपने जीवन-काल में उसकी महिमा के दिन को देख सकें। मुझे अभी भी अपने जीवनकाल के भीतर परमेश्वर की इच्छा को प्राप्त करने की आशा है, और मुझे आशा है कि परमेश्वर हमारे अंदर अपना कार्य करना जारी रख सकता है और इसमें कभी भी कोई बाधा नहीं आएगी। यह मेरी शाश्वत अभिलाषा है। परमेश्वर हमेशा हमारे बीच रहे और उसका प्यार हमारे बीच एक ऐसे सेतु का निर्माण करे जो हमारे बीच की दोस्ती को अधिक मूल्यवान बनाए। मुझे आशा है कि प्यार हमारे बीच और अधिक समझ पैदा करता है और यह कि प्यार हमें अधिक करीब ला सकता है, हमारे बीच की किसी भी दूरी को हटा सकता है, और यह कि हमारे बीच का प्यार अधिक गहरा, व्यापक और मधुर हो सकता है। मेरा मानना है कि यह मेरे परमेश्वर की इच्छा होनी चाहिए, और मुझे आशा है कि मेरे भाई और मेरी बहनें मेरे साथ अधिक घनिष्ठ हो सकते हैं, और यह कि हम सभी उन दिनों को संजो कर रख सकते हैं जो हमने साथ मिलकर बिताए और वे हमारे लिए सुंदर यादें बन सकती हैं।
मुख्य भूमि चीन में परमेश्वर के कार्य के और अधिक कदम रहे हैं किन्तु वे बिल्कुल भी जटिल नहीं हैं। उन सभी कदमों के बारे में सोचने पर, वे अकारण नहीं हैं—वे सभी परमेश्वर स्वयं के द्वारा पूरे किए गए हैं, और सभी लोग उसके कार्य के भीतर विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं। इस नाटक में हर अभिनय लोगों के लिए मज़ेदार है, और आश्चर्यजनक रूप से इसमें हर किसी की एक भूमिका है। हर परीक्षण में, लोगों के प्रदर्शन जीवन के प्रति सत्य हैं, और परमेश्वर की कलम से प्रत्येक व्यक्ति का बहुत सजीवतापूर्क और संपूर्ण रूप से रेखाचित्र बनाया गया है। हर किसी के पास ऐसा बहुत कुछ है जो दिन की रोशनी में उजागर होता है। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि परमेश्वर अपने कार्य से लोगों का मज़ाक उड़ा रहा है; इसमें कोई विवेक वाली बात नहीं होगी। परमेश्वर के सभी कार्यों का उद्देश्य है; वह ऐसा कुछ भी बिल्कुल नहीं करता है जिसका महत्व या मूल्य न हो। वह जो कुछ भी करता है वह मानवजाति को सिद्ध और प्राप्त करने के लिए है। यह केवल इसी बात से है कि मैंने सचमुच में देखा है कि परमेश्वर का हृदय पूरी तरह से मनुष्य के भले के लिए है। यद्यपि इसे एक नाटक कहा जा सकता है, यह भी कहा जा सकता है कि यह नाटक वास्तविक जीवन का एक उदाहरण है, किन्तु नाटक के प्रमुख निर्देशक, परमेश्वर, के लिए सभी लोगों को इस कार्य को पूरा करने में उसके साथ सहयोग करना है। लेकिन दूसरी तरफ़, इसके माध्यम से परमेश्वर लोगों को प्राप्त करता है और लोगों से अपने को अधिक प्यार करवाता है। क्या यह उसकी इच्छा नहीं है? इसलिए मुझे आशा है कि किसी को भी कोई चिंता नहीं है। क्या आपतुम परमेश्वर की इच्छा के बारे में कुछ नहीं जानते हैंहो? मैंने इतना कुछ कहा है-मुझे आशा है कि मेरे भाई और मेरी बहनें सभी मेरे हृदय को समझ सकते हैं और गलत नहीं समझते हैं। मुझे विश्वास है कि परमेश्वर अवश्य आपतुम लोगों को प्राप्त करेगा। मुझे आशा है कि आपकेतुम्हारे पैरों के नीचे का मार्ग ही वह मार्ग है जिसे परमेश्वर ने खोला है, और यह कि आपतुम सभी लोग प्रार्थना कर सकते होहैं और कह सकते होहैं: “हे परमेश्वर! आपतू मुझे प्राप्त कर लें ले ताकि मेरा आत्मा आपकीतेरी ओर लौट जाए।” क्या आपतुम अपनी आत्मा की गहराई में परमेश्वर के मार्गदर्शन की तलाश करने के इच्छुक हो?
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