विजय कार्य का अंदरूनी अभिप्राय
लौटना परमेश्वर के पास फिर से, हैं इंसान की जीत के अंदरूनी मायने।
त्याग कर शैतान को पूरी तरह लौटना है पास परमेश्वर के, इंसान को।
है यही पूरी तरह इंसान का उद्धार। मुश्किलों भरी जीत है जंग आखिरी।
आख़िरी पड़ाव है ये परमेश्वर के विजय-लक्ष्य का।
बच नहीं सकता बिना इसके कोई इंसान, जीता जा नहीं सकता है शैतान,
लक्ष्य बेहतर पा नहीं सकता कोई इंसान।
शैतान के पंजे में है हर कोई इंसान।
है ज़रूरी पहले हार हो शैतान की, ताकि फिर इंसानों का उद्धार हो।
क्योंकि हर काम परमेश्वर का है इंसान की ख़ातिर।
जीत आखिरी लाए उद्धार, और प्रकाशित करे मंज़िल को।
इंसान पश्चाताप करता, न्याय हो जाने के बाद, चल पड़ता है सही राह पर। जाग जायेंगे ह्रदय उनके भी जो कि सुन्न हैं। होगा उनका फ़ैसला जो हैं हठीले, अंदरूनी द्रोह खुलकर आयेगा। जो मगर इंसान ना पछतायेगा, धर्मिता की राह पर ना आयेगा, और ना छोड़ेगा जो दोष अपने, उसकी ना मुक्ति है, ना उद्धार है, उसको शैतान निगल जायेगा। है यही मकसद परमेश्वर की जीत का--इंसान को बचाना और उसका अंत दिखलाना, है भला या कि बुरा है, जीत में परमेश्वर की, पता चल जायेगा। लौटना परमेश्वर के पास फिर से, हैं इंसान की जीत के अंदरूनी मायने। त्याग कर शैतान को पूरी तरह लौटना है पास परमेश्वर के, इंसान को। (इंसान को, इंसान को, इंसान को।) "वचन देह में प्रकट होता है" से
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
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