2018/10/14

आठवाँ कथन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, राज्य का युग, अंतिम दिनों के मसीह के कथन- संकलन

आठवाँ कथन


जब मेरे प्रकाशन अपने चरम तक पहुँचते हैं, और जब मेरा न्याय एक अंत की ओर आता है, तो यह वह समय होगा जब मेरे सभी लोग प्रकट और पूर्ण किए जाते हैं। मेरे कदम उन लोगों की खोज करने के लिए संसार के सभी कोनों में चलते हैं जो मेरी रुचि को साझा करते हैं और मेरे उपयोग के लिए उचित हैं। कौन मेरे साथ खड़ा हो सकता है और मुझे सहयोग दे सकता है? मनुष्य का मेरे लिए प्रेम बहुत कम है और उसका मेरे ऊपर भरोसा दयनीय रूप से थोड़ा है। अगर मेरे वचनों की चोट मनुष्य की कमज़ोरियों पर निर्देशित नहीं होती, तो वह शेखी बघारता और लम्बी चौड़ी हाँकता, और सिद्धान्तवादी बातें करता और आडम्बरपूर्ण सिद्धांतों को गढ़ता, मानो कि वह पृथ्वी के सभी मामलों के बारे में सर्वदर्शी और सर्वज्ञ हो। कौन अभी भी उन लोगों के बीच अहंकार करने की हिम्मत कर सकता है जो अतीत में मेरे प्रति "वफादार" थे, और जो आज मेरे समक्ष डटे हैं? कौन गुप्त रुप में अपने स्वयं की भविष्य की संभावनाओं से हर्षित नहीं है? जब मैंने सीधे तौर पर उजागर नहीं किया, तो मनुष्य के पास छुपने का कहीँ स्थान नहीं था और वह शर्म से संतप्त था। जब मैं अन्य साधनों के माध्यम से बात करूँ तो यह कितना अधिक बुरा होगा? लोगों के पास आभार का और भी अधिक भाव होगा, वे मानेंगे कि कोई भी चीज़ उन्हें ठीक नहीं कर सकती है, और सभी अपनी निष्क्रियता के द्वारा कसकर बँध जाएँगे। जब मनुष्य आशा खो देता है, तो राज्य की सलामी औपचारिक रूप से बाहर बजती है, जो कि "वह समय है जब सात गुना तेज़ पवित्रात्मा कार्य करना शुरू कर देता है," जैसा की मनुष्य द्वारा कहा गया है, जब, दूसरे शब्दों में, राज्य का जीवन आधिकारिक तौर से पृथ्वी पर शुरू होता है, अर्थात्, जब मेरी दिव्यता प्रत्यक्ष रूप से कार्य करने के लिए सामने आती है (मस्तिष्क द्वारा प्रक्रिया किए बिना)। सभी लोग मधुमक्खियों के सामान व्यस्त हो जाते हैं; ऐसा प्रतीत होता है मानो कि वे पुनर्जीवित हो रहे हों, मानो कि वे किसी सपने से जागे हों, और जैसे ही वे जागते हैं, वे अपने आप को ऐसी परिस्थितियों में पाकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। अतीत में, मैंने कलीसिया के निर्माण के बारे में काफी कहा था, मैंने कई रहस्यों को प्रकट किया, और जब कलीसिया का निर्माण अपने चरम तक पहुँचा, तो यह अचानक एक समाप्ति पर आ गया। राज्य का निर्माण, हालाँकि, भिन्न है। केवल जब आध्यात्मिक क्षेत्र में लड़ाई अपने अंतिम चरण तक पहुँचती है तभी मैं पृथ्वी पर नए सिरे से शुरूआत करता हूँ। कहने का मतलब है, कि यह केवल तभी है जब मनुष्य पीछे हटने ही वाला होता है कि मैं औपचारिक रूप से अपने नये काम की शुरुआत करता हूँ और उसे बढ़ाता हूँ। राज्य के निर्माण और कलीसिया के निर्माण के बीच अंतर यह है कि, कलीसिया के निर्माण में, मैंने ईश्वर द्वारा नियंत्रित मानवजाति में कार्य किया। मैंने प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य के पुराने व्यवहार के साथ व्यवहार किया, प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य की कुरूप अस्मिता को प्रकट किया, और मनुष्य के सार को उजागर किया। परिणामस्वरूप, मनुष्य को इस आधार पर स्वयं के बारे में पता चला, और इसलिए वह हृदय में और वचन द्वारा पूरी तरह से आश्वस्त था। राज्य के निर्माण में मैं प्रत्यक्ष रूप से अपनी दिव्यता में कार्य करता हूँ, और मेरे वचनों के ज्ञान के आधार पर सभी लोगों को वह जानने की अनुमति देता हूँ जो मेरे पास है और जो मैं हूँ, अंततः उन्हें मेरे बारे में जो कि देह में हूँ ज्ञान प्राप्त करने की अनुमति देता हूँ। इस प्रकार यह समस्त मानवजाति की अस्पष्ट ईश्वर की खोज का अंत करता है, और मनुष्य के हृदय में स्वर्ग के परमेश्वर के स्थान को समाप्त करता है, कहने का मतलब है, कि यह मेरी देह में मेरे कर्मों को जानने की मनुष्य को अनुमति देता है, और इसलिए पृथ्वी पर मेरे समय को समाप्त करता है।
राज्य का निर्माण प्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक क्षेत्र पर लक्षित है। दूसरे शब्दों में, आध्यात्मिक क्षेत्र की लड़ाई को मेरे सभी लोगों के बीच प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट किया जाता है, और इससे देखा जा सकता है कि सभी लोग हमेशा युद्धरत रहते हैं, केवल कलीसिया में ही नहीं, बल्कि राज्य के युग में और भी अधिक, और यह कि यद्यपि मनुष्य देह में है, तब भी आध्यात्मिक क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होता है, और मनुष्य अध्यात्मिक क्षेत्र के जीवन के साथ जुड़ जाता है। इस प्रकार, जब तुम वफादार होना शुरू करते हो, तो तुम लोगों को ठीक ढंग से मेरे नए काम के अगले भाग के लिए तैयार अवश्य रहना चाहिए। तुम लोगों को अपने हृदय की सम्पूर्णता देनी चाहिए, और केवल तभी तुम लोग मेरे हृदय को संतुष्ट कर सकते हो। मनुष्य ने पहले कलीसिया में क्या किया था मैं उसके बारे में कोई परवाह नहीं करता हूँ; आज, यह राज्य में है। मेरी योजना में, शैतान ने हमेशा हर कदम का बहुत तेजी से पीछा किया है, और, मेरी बुद्धि की विषमता के रूप में, हमेशा मेरी वास्तविक योजना को बिगाड़ने के लिए उसने तरीके और संसाधनों को खोजने की कोशिश की है। परन्तु क्या मैं उसकी धोखेबाज़ योजनाओं से परास्त हो सकता हूँ? सभी जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर हैं मेरी सेवा करते हैं—क्या शैतान की कपटपूर्ण योजनाएँ कुछ अलग हो सकती हैं? यह निश्चित रूप से मेरे ज्ञान का प्रतिच्छेदन है, यह निश्चित रूप से वह है जो मेरे कर्मों के बारे में चमत्कारिक है, और यही वह सिद्धांत है जिसके द्वारा मेरी पूरी प्रबंधन योजना की जाती है। राज्य के निर्माण के समय के दौरान, तब भी मैं शैतान की कपटपूर्ण योजनाओं से बचता नहीं हूँ, बल्कि उस कार्य को करता रहता हूँ जो मुझे अवश्य करना चाहिए। ब्रम्हांड में सभी वस्तुओं के बीच, मैंने अपनी विषमता के रूप में शैतान के कर्मों को चुना है। क्या यह मेरी बुद्धि नहीं है? क्या यह निश्चित रूप से वह नहीं है जो मेरे कार्यों के बारे में अद्भुत है? राज्य के युग में प्रवेश के अवसर पर, स्वर्ग में और पृथ्वी पर सभी वस्तुओं में आश्चर्यजनक बदलाव आते हैं, और वे जश्न मनाते हैं और आनन्द उठाते हैं। क्या तुम लोग कुछ अलग हो? कौन अपने हृदय में शहद के समान मिठास महसूस नहीं करता है? कौन अपने हृदय में खुशी से नहीं फट पड़ता है? कौन खुशी से नृत्य नहीं करता है? कौन प्रशंसा के वचन नहीं बोलता है?
अभी तक मैंने जो कुछ ऊपर बताया और कहा है उसमें, क्या तुम लोग मेरे कथन के लक्ष्यों और मूल को समझते हो, या तुम लोग नहीं समझते हो? यदि मैं यह नहीं पूछता, तो ज्यादातर लोगों का मानना होता कि मैं केवल बक-बक कर रहा हूँ, और मेरे वचनों के स्रोत का पता लगाने में असमर्थ होते। यदि तुम लोग उन पर ध्यान से विचार करोगे, तो तुम लोगों को मेरे वचनों का महत्व पता चलेगा। तुम उन्हें बारीकी से पढ़ कर अच्छा करोगे: उनमें से कौन से तुम्हारे लाभ के लिए नहीं हैं? उनमें से कौन तुम्हारे जीवन के विकास के वास्ते नहीं हैं? उनमें से कौन आध्यात्मिक क्षेत्र की वास्तविकता की बात नहीं करते हैं? अधिकांश लोगों का मानना है कि मेरे वचनों में कोई काव्य अथवा तर्क नहीं है, कि उनमें स्पष्टीकरण और व्याख्या का अभाव है। क्या मेरे वचन वास्तव में बहुत गूढ़ और गहन हैं? क्या तुम लोग सच में मेरे वचनों के प्रति समर्पण करते हो? क्या तुम लोग सच में मेरे वचनों को स्वीकार करते हो? क्या तुम लोग उनके साथ खिलौनों के रूप में व्यवहार नहीं करते हो? क्या तुम उन्हें अपने कुरूप चेहरे को ढकने के लिए कपड़ों के रूप में उपयोग नहीं करते हो? इस विशाल दुनिया में, कौन मेरे द्वारा व्यक्तिगत रूप से जाँचा गया है? किसने मेरे आत्मा के वचनों को व्यक्तिगत रूप से सुना है? बहुत से लोग अँधेरे में इधर-उधर टटोलते हैं, बहुत से लोग विपत्ति के बीच प्रार्थना करते हैं, बहुत से लोग जबकि भूखे हैं और ठण्ड में रहते हैं आशा से देखते हैं, बहुत से शैतान द्वारा जकड़े हुए हैं, फिर भी बहुत से नहीं जानते हैं कि कहाँ मुड़ना है, बहुत से खुशी के बीच मेरे साथ विश्वासघात करते हैं, बहुत से कृतघ्न हैं, और बहुत से शैतान की धोखेबाज योजनाओं के प्रति वफादार हैं। तुम लोगों के बीच अय्यूब कौन है? पतरस कौन है? मैंने अय्यूब का उल्लेख बार-बार क्यों किया है? और मैंने पतरस को बार-बार संदर्भित क्यों किया है? क्या तुम लोगों ने कभी तुम लोगों के लिए मेरी आशाओं को महसूस किया है? तुम लोगों को ऐसी बातों पर विचार करने के लिए अधिक समय व्यतीत करना चाहिए।
पतरस कई वर्षों तक मेरे प्रति वफ़ादार था, मगर वह कभी भी कुड़कुड़ाया नहीं या उसका हृदय कभी भी शिकायती नहीं था, और यहाँ तक कि अय्यूब भी उसके बराबर नहीं था। युगों के दौरान सभी संत भी उससे बहुत छोटे पड़े हैं। उसने न केवल मेरे बारे में ज्ञान की खोज की, बल्कि उसे उस समय के दौरान मेरे बारे में पता चला जब शैतान अपनी धोखेबाज योजनाओं को चला रहा था। यह कई वर्षों की सेवा का कारण बना जो मेरे स्वयं के हृदय के अनुसार थी, जिसके परिणामस्वरूप उसे शैतान द्वारा कभी भी शोषित नहीं किया गया था। पतरस, अय्यूब के विश्वास को अमल में लाया, मगर वह उसकी कमियों को भी स्पष्ट रूप से महसूस करता था। यद्यपि अय्यूब महान विश्वास वाला था, किन्तु उसके पास आध्यात्मिक क्षेत्र के मामलों में ज्ञान का अभाव था, और इस तरह उसने कई वचन कहे जो कि वास्तविकता के अनुरूप नहीं थे; यह दर्शाता है कि उसका ज्ञान अभी भी उथला था, और पूर्ण बनाए जाने में अक्षम था। और इसलिए, पतरस हमेशा आत्मा की समझ को पाने के लिए ताकता था, और हमेशा आध्यात्मिक क्षेत्र की गतिशीलता को देखने पर ध्यान केन्द्रित करता था। परिणामस्वरूप, वह न केवल मेरी इच्छाओं के बारे में कुछ पता लगाने में सक्षम था, बल्कि शैतान की धोखेबाज योजनाओं को भी थोड़ा-थोड़ा समझने में सक्षम था, और इसलिए उसका ज्ञान और युगों के दौरान किसी भी अन्य की अपेक्षा अधिक था।
पतरस के अनुभवों से यह देखना कठिन नहीं है कि यदि मनुष्य मुझे जानना चाहता है, तो उसे अवश्य आत्मा में मनन पर सावधानीपूर्वक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। मैं नहीं कहता हूँ कि तुम बाह्य तौर पर अधिक मात्रा में मेरे प्रति समर्पित हो जाओ; यह गौण चिंता का विषय है। यदि तुम मुझे नहीं जानते हो, तो समस्त विश्वास, प्रेम और निष्ठा जिसकी तुम बात करते हो वे केवल भ्रम हैं, वे व्यर्थ बकवाद हैं, और तुम निश्चित रूप से कोई ऐसा बनोगे जो मेरे सामने बड़ा घमण्ड करता है परन्तु स्वयं को नहीं जानता है, और इसलिए तुम एक बार फिर शैतान के द्वारा फँसा लिए जाओगे और अपने आपको छुड़ाने में असमर्थ हो जाओगे; तुम तबाही के पुत्र बन जाओगे, और विनाश की वस्तु बन जाओगे। परन्तु यदि तुम मेरे वचनों के प्रति उदासीन और उनकी परवाह नहीं करने वाले हो, तो तुम निस्संदेह मेरा विरोध करते हो। यह सत्य है, और तुम बहुत सी और विभिन्न आत्माओं को जो मेरे द्वारा ताड़ित की जाती हैं आध्यात्मिक क्षेत्र के द्वार के माध्यम से देख कर अच्छा करोगे। उनमें से कौन निष्क्रिय, और परवाह नहीं करने वाले, और मेरे वचनों के प्रति असहमत नहीं थे? उनमें से कौन मेरे वचनों के प्रति दोषदर्शी नहीं थे? उनमें से किन्होंने मेरे वचनों से कुछ ऐसा प्राप्त करने की कोशिश नहीं की जिससे दूसरों को नुकसान पहुँचाया जाए? उनमें से किन्होंने स्वयं को बचाने के लिए मेरे वचनों का एक रक्षात्मक हथियार की तरह उपयोग नहीं किया? उन्होने मेरे वचनों के माध्यम से मेरे बारे में ज्ञान को नहीं खोजा, बल्कि उन्हें केवल खेलने के लिए खिलौनों की तरह उपयोग किया। इसमें, क्या उन्होंने सीधे मेरा विरोध नहीं किया? मेरे वचन कौन हैं? मेरा आत्मा कौन है? कितनी ही बार मैंने ऐसे वचनों को तुम लोगों के समक्ष रखा है, फिर भी क्या कभी भी तुम लोगों के दृष्टिबोध उच्चतर और स्पष्ट रहे हैं? क्या तुम लोगों का अनुभव कभी वास्तविक रहा है? मैं तुम लोगों को एक बार फिर से याद दिलाता हूँ: यदि तुम लोग मेरे वचनों को नहीं जानते हो, उन्हें स्वीकार नहीं करते हो, और उन्हें अभ्यास में नहीं लाते हो, तो तुम अपरिहार्य रूप से मेरी ताड़ना की वस्तु बन जाओगे! तुम निश्चित रूप से शैतान के शिकार बन जाओगे!
29 फरवरी 1992

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