2018/10/24

उन्तीसवाँ कथन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, अवतरण, यीशु का दूसरा आगमन, मसीह

उन्तीसवाँ कथन


जिस दिन सभी चीज़ें पुनर्जीवित हुईं थीं, मैं मनुष्यों के बीच आया, और मैंने उसके साथ अद्भुत दिन और रात बिताये हैं। केवल इस अवसर पर ही मनुष्य मेरी सुलभता को थोड़ा सा समझता है, और जैसे-जैसे मेरे साथ उसकी अंतःक्रिया बार-बार होने लगती है, तो वह जो मेरे पास है और जो मैं हूँ उसमें से थोड़ा सा देखता है—और परिणामस्वरूप, उसे मेरे बारे में कुछ ज्ञान प्राप्त हो जाता है। सभी लोगों के बीच, मैं अपना सिर उठाता हूँ और देखता हूँ, और वे सभी मुझे देखते हैं। फिर भी जब संसार पर आपदा आती है, तो वे तुरन्त व्याकुल जाते हैं, और उनके हृदयों से मेरी छवि ग़ायब हो जाती है; आपदा के आने से आतंक से त्रस्त, वे मेरे प्रोत्साहनों पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। मैंने मनुष्यों के बीच बहुत वर्ष बिताये हैं, फिर भी वह हमेशा अनभिज्ञ रहा है, और उसने मुझे कभी नहीं जाना। आज मैं अपने स्वयं के मुँह से उसे बताता हूँ, और मुझ से कुछ प्राप्त करने के लिए सभी लागों को अपने सामने लेकर आता हूँ, फिर भी वे मुझ से अभी भी अपनी दूरी बनाए हुए हैं, और इसलिए वे मुझे नहीं जानते हैं। जब मेरे कदम ब्रह्माण्ड के कोने-कोने में पड़ेंगे, तब मनुष्य खुद पर चिंतन करना शुरू कर देगा, और सभी लोग मेरे पास आएँगे और मेरे सामने दण्डवत करेंगे और मेरी आराधना करेंगे। यह मेरी महिमा का दिन, मेरी वापसी का दिन, और साथ ही मेरे प्रस्थान का दिन भी होगा। अब मैंने अपना कार्य पूरी मानवजाति के बीच आरम्भ कर दिया है, और मैंने पूरे ब्रह्माण्ड में, अपनी प्रबन्धन योजना के अंतिम अंश की औपचारिक शुरूआत कर दी है। इस क्षण से आगे, जो कोई भी सावधान नहीं हैं वे किसी भी क्षण निर्दयी ताड़ना के बीच डूबने के लिए उत्तरदायी हैं। यह इसलिए नहीं है क्योंकि मैं निर्दयी हूँ, बल्कि यह मेरी प्रबन्धन योजना का एक कदम है; सभी को अवश्य मेरी योजना के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए, और कोई भी मनुष्य इसे बदल नहीं सकता है। जब मैं औपचारिक रूप से अपना कार्य शुरू करता हूँ, तो सभी लोग वैसे ही चलते हैं जैसे मैं चलाता हूँ, इस तरह कि समस्त संसार के लोग मेरे साथ कदम मिलाते हुए चलने लगते हैं, संसार भर में "उल्लास" होता है, और मनुष्य को मेरे द्वारा आगे की ओर प्रेरित किया जाता है। परिणाम स्वरूप, बड़ा लाल अजगर मेरे द्वारा उन्माद और व्याकुलता की स्थिति में भगा दिया जाता है, और वह मेरा कार्य करता है, और, अनिच्छुक होने के बावजूद भी, अपनी स्वयं की इच्छाओं का अनुसरण करने में समर्थ नहीं होता है, और उसके पास मेरे नियन्त्रण में समर्पित होने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता है। मेरी सभी योजनाओं में, बड़ा लाल अजगर मेरी विषमता, मेरा शत्रु, और मेरा सेवक भी है; वैसे तो, मैंने उससे अपनी "अपेक्षाओं" को कभी भी शिथिल नहीं किया है। इसलिए, मेरे देहधारण के काम का अंतिम चरण उसके घराने में पूरा होता है। इस तरह से, बड़ा लाल अजगर मेरी उचित तरीके से सेवा करने में अधिक समर्थ है, जिसके माध्यम से मैं उस पर विजय पाऊँगा और अपनी योजना को पूरा करूँगा। जब मैं कार्य करता हूँ, तो सभी स्वर्गदूत निर्णायक युद्ध में मेरे साथ शुरू हो जाते हैं और अंतिम चरण में मेरी इच्छाओं को पूरा करने का दृढ़ निश्चय करते हैं, ताकि पृथ्वी के लोग मेरे सामने स्वर्गदूतों के समान समर्पण कर दें, और मेरा विरोध करने की इच्छा न करें, और ऐसा कुछ न करें जो मेरे विरुद्ध विद्रोह करता हो। समस्त संसार में ये मेरे कार्य की गतिशीलताएँ हैं।
मनुष्य के बीच मेरे आगमन का उद्देश्य और महत्व सम्पूर्ण मानवजाति का उद्धार करना, सम्पूर्ण मानवजाति को अपने घराने में वापस लाना, स्वर्ग और पृथ्वी का पुनर्मिलन करना, और मनुष्य से स्वर्ग और पृथ्वी के बीच "संकेतों" का सम्प्रेषण करवाना है, क्योंकि मनुष्य का अंतर्निहित प्रकार्य ऐसा ही है। जिस समय जब मैंने मानवजाति का सृजन किया, उस समय मैंने सभी चीज़ों को मानवजाति के लिए तैयार किया था, और बाद में, मैंने मानवजाति को उस सम्पत्ति को प्राप्त करने की अनुमति दी जो मैंने उसे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार दी। इस प्रकार, मैं कहता हूँ कि यह मेरे मार्गदर्शन के अंतर्गत है कि संपूर्ण मानवजाति आज के दिन पहुँची है। और यह सब मेरी योजना है। संपूर्ण मानवजाति के बीच, अनगिनित लोग मेरे प्रेम की सुरक्षा में विद्यमान हैं, और अनगिनित संख्या में मेरी घृणा की ताड़ना के आधीन रहते हैं। यद्यपि सभी लोग मुझ से प्रार्थना करते हैं, तब भी वे अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदलने में असमर्थ हैं; एक बार जब वे आशा खो देते हैं, तो वे केवल प्रकृति को अपना काम करने दे सकते हैं और मेरी अवज्ञा करने से रूक सकते हैं, क्योंकि यह वह सब कुछ है जिसे मनुष्य के द्वारा पूरा किया जा सकता है। जब मनुष्य के जीवन की अवस्था की बात आती है, तो मनुष्य को अभी भी वास्तविक जीवन को ढूँढ़ना है, उसने अभी भी अन्याय, वीरानी और संसार की दयनीय स्थितियों की वास्तविक प्रकृति का पता नहीं लगाया है—और इसलिए, यह आपदा के आगमन के लिए नहीं होता, तो अधिकतर लोग अभी भी प्रकृति माँ को गले से लगाते, और अभी भी अपने आपको "जीवन" के स्वाद में तल्लीन कर देते। क्या यह संसार की सच्चाई नहीं है? क्या यह उस उद्धार की आवाज़ नहीं है जिसे मैं मनुष्य से कहता हूँ? क्यों, मानवजाति के बीच, कभी भी किसी ने मुझ से सच में प्रेम नहीं किया है? क्यों मनुष्य केवल ताड़ना और परीक्षणों के बीच ही मुझ से प्रेम करता है, मगर कोई भी मेरी सुरक्षा के अधीन मुझ से प्रेम नहीं करता है? मैंने कई बार मानवजाति को ताड़ना प्रदान की है। वे इस पर एक नज़र डालते हैं, लेकिन फिर वे उसे अनदेखा कर देते हैं, और वे इस समय इसका अध्ययन और मनन नहीं करते हैं, और इसलिए मनुष्य के ऊपर जो कुछ भी आता वह है निष्ठुर न्याय। यह मेरे कार्य करने के तरीकों में से केवल एक है, परन्तु यह तब भी मनुष्य को बदलने और उसे मुझसे प्रेम करवाने के लिए है।
मैं राज्य में शासन करता हूँ, और, इसके अतिरिक्त, मैं पूरे ब्रह्माण्ड में शासन करता हूँ; मैं राज्य का राजा और ब्रह्माण्ड का मुखिया दोनो हूँ। इस समय से आगे, मैं उन सभी को इकट्ठा करूँगा जो चुने हुए नहीं हैं और अन्यजातियों के बीच अपना कार्य आरम्भ करूँगा, और मैं पूरे ब्रह्माण्ड के लिए अपनी प्रशासनिक आज्ञाओं की घोषणा करूँगा, ताकि मैं अपने कार्य में अगले कदम की शुरूआत कर सकूँ। अन्यजातियों के बीच अपने कार्य को फैलाने के लिए मैं ताड़ना का उपयोग करूँगा, जिसका अर्थ है, कि मैं उन सभी के विरूद्ध बल का उपयोग करूँगा जो अन्यजातियाँ हैं। प्राकृतिक रूप से, यह कार्य उसी समय किया जाएगा जिस समय मेरा कार्य चुने हुओं के बीच किया जाएगा। जब मेरे लोग पृथ्वी पर शासन करेंगे और सामर्थ्य का उपयोग करेंगे तो यही वह दिन भी होगा कि पृथ्वी के सभी लोगों को जीत लिया गया है, और, इसके अतिरिक्त, यही वह समय होगा जब मैं विश्राम करूँगा—और केवल तभी मैं उन सबके सामने प्रकट होऊँगा जिन्हें जीता जा चुका है। मैं पवित्र राज्य पर प्रकट होता हूँ, और अपने आप को अपवित्र भूमि से छिपा लेता हूँ। वे सभी जिन्हें जीता जा चुका है और जो मेरे सामने आज्ञाकारी बन गए हैं अपनी आँखों से मेरे चेहरे को देखने में समर्थ हैं, और अपने कानों से मेरी आवाज़ को सुनने में समर्थ हैं। यह उन लोगों के लिए आशीष है जो अंत के दिनों में पैदा हुए हैं, यह मेरे द्वारा पहले से ही नियत किया गया आशीष है, और यह किसी भी मनुष्य के द्वारा अपरिवर्तनीय है। आज, मैं भविष्य के कार्य के वास्ते इस तरीके से कार्य करता हूँ। मेरा समस्त कार्य परस्पर-सम्बंधित है, इस सब में एक आह्वान और अनुक्रिया हैः कभी भी कोई कदम अचानक नहीं रुका है, और कभी भी किसी भी कदम को किसी भी अन्य कदम से स्वतन्त्र रूप से नहीं किया गया है। क्या यह ऐसा नहीं है? क्या अतीत का कार्य आज के कार्य की नींव नहीं है? क्या अतीत के वचन आज के वचनों के अग्रदूत नहीं हैं? क्या अतीत के कदम आज के कदमों के उद्गम नहीं है? जब मैं औपचारिक रूप से पुस्तक खोलता हूँ तो ऐसा तब होता है जब संपूर्ण ब्रह्माण्ड में लोगों को ताड़ना दी जाती है, जब दुनिया भर के लोगों को परीक्षणों के अधीन किया जाता है, और यह मेरे काम की पराकाष्ठा है; सभी लोग एक भूमि में प्रकाश के बिना रहते हैं, और सभी लोग अपने वातावरण के ख़तरे के बीच रहते हैं। दूसरे शब्दों में, यही वह जीवन है जिसे मनुष्य ने सृष्टि की उत्पत्ति के समय से आज के दिन तक कभी भी अनुभव नहीं किया है, और युगों भर में किसी ने भी इस प्रकार के जीवन का "आनन्द" नहीं लिया है, और इसलिए मैं कहता हूँ कि मैं ऐसा कार्य करता हूँ जैसा पहले कभी नहीं किया गया है। यह मामलों की सही स्थिति है, और यही आंतरिक अर्थ है। क्योंकि मेरा दिन समस्त मानवजाति के नज़दीक आता है, क्योंकि यह दूर प्रतीत नहीं होता है, परन्तु यह मनुष्य की आँखों के बिल्कुल सामने ही है, तो परिणामस्वरूप कौन भयभीत नहीं हो सकता है? और कौन इस में आनन्दित नहीं हो सकता है? बेबिलोन का गंदा शहर अंततः अपने अंत पर आ गया है; मनुष्य की मुलाकात एक बिलकुल नए संसार से हुई है, और स्वर्ग और पृथ्वी बदल दिए गए हैं और वे नवीकृत कर दिए गए हैं।
जब मैं सभी राष्ट्रों और सभी लोगों के सामने प्रकट होता हूँ, तो आसमान में सफेद बादल मन्थन करते हैं और मुझे ढक लेते हैं। इसलिए, पृथ्वी पर वातावरण को विशिष्ट रूप से दर्शाते हुए, पृथ्वी के पक्षी भी मेरे लिए आनन्द के साथ गाते और नृत्य करते हैं, और इस प्रकार पृथ्वी की सभी चीज़ों के लिए जागने, अब और "अवसाद" नहीं बल्कि इसके बजाए जीवन शक्ति से भरे हुए वातावरण के बीच रहने का कारण बनते हैं। जब मैं बादलों के बीच होता हूँ, तो मनुष्य अस्पष्ट रूप से ही मेरे चेहरे और मेरी आँखों को देखता है, और इस समय वह थोड़ा भयभीत महसूस करता है। अतीत में, उसने पौराणिक कथाओं में से मेरे बारे में ऐतिहासिक अभिलेखों को सुना था, और उसके परिणामस्वरूप वह मेरे प्रति केवल आधा विश्वासी और आधा संदिग्ध है। वह नहीं जानता है कि मैं कहाँ हूँ, या केवल मेरा चेहरा कितना बड़ा है—क्या यह समुद्र के समान विशाल है, या हरे चारागाहों जितना असीम है? कोई इन चीज़ों को नहीं जानता है। जब आज मनुष्य मेरा चेहरा बादलों में देखता है केवल तभी मनुष्य महसूस करता है कि पौराणिक कथा का मैं वास्तविक हूँ, और इसलिए वह मेरे प्रति थोडा अधिक अनुकूल हो जाता है, और यह केवल मेरे कर्मों के कारण है कि मेरे लिए उसकी प्रशंसा थोड़ी बढ़ जाती है। परन्तु मनुष्य अभी भी मुझे नहीं जानता है, और बादलों में केवल मेरा एक अंश ही देखता है। उसके बाद, मैं अपनी बाँहों को फैलाता हूँ और उन्हें मनुष्य को दिखाता हूँ। मनुष्य आश्चर्य चकित हो जाता है, और मेरे हाथों मार गिराए जाने से गहराई से भयभीत अचानक अपने हाथों को अपने मुहँ के ऊपर रख लेता है, और इसलिए वह अपनी प्रशंसा में थोड़ा आदर मिला देता है। मनुष्य मेरी हर हलचल के ऊपर अपनी आँखों को गड़ा देता है, और पूर्णतः डरा हुआ कि जब वह मुझ पर ध्यान नहीं दे रहा है तो वह मेरे द्वारा मार गिराया जाएगा—फिर भी मनुष्य के द्वारा देखे जाना मुझे प्रतिबन्धित नहीं करता है, और मैं अपने हाथों के कार्यों को करना जारी रखता हूँ। यह केवल उन सभी कर्मों में है जिन्हें मैं करता हूँ कि मनुष्य मेरे प्रति कुछ अनुकूल है, और इस प्रकार मेरे साथ सम्बद्ध होने के लिए धीरे-धीरे मेरे सामने आता है। जब मेरी सम्पूर्णता मनुष्य के सामने प्रकट होगी, तो मनुष्य मेरा चेहरा देखेगा, और उसके बाद से मैं मनुष्य से अपने आपको अब और नहीं छुपाऊँगा या अस्पष्ट करूँगा। संपूर्ण ब्रह्माण्ड में, मैं सभी लोगों के सामने सार्वजनिक रूप से प्रकट होऊँगा, और वे सभी जो लहू और माँस के हैं मेरे सभी कर्मों को देखेंगे। वे सभी जो आत्मा के हैं निश्चय ही मेरे घराने में शान्ति से रहेंगे, और वे निश्चित रूप से मेरे साथ-साथ अद्भुत आशीषों का आनन्द उठाएँगे। वे सभी जिनकी मैं परवाह करता हूँ निश्चित रूप से ताड़ना से बच निकलेंगे, और निश्चित रूप से आत्मा की पीड़ा और देह की यन्त्रणा से दूर रहेंगे। मैं सभी लोगों के सामने सार्वजनिक रूप से प्रकट होऊँगा और शासन करूँगा और सामर्थ्य का उपयोग करूँगा, ताकि लाशों की दुर्गन्ध संपूर्ण ब्रह्माण्ड में अब और न फैले; उसके बजाए, मेरी स्पष्ट सुगंध पूरे संसार में फैल जाएगी, क्योंकि मेरा दिन नज़दीक आ रहा है, मनुष्य जाग रहा है, पृथ्वी पर हर चीज़ व्यवस्थित है, और पृथ्वी के बचे रहने के दिन अब और नहीं हैं, क्योंकि मैं पहुँच गया हूँ!
6 अप्रैल 1992
Source From :  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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