सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर भाग एक" (भाग 1)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "चाहे देहधारी परमेश्वर बोले, कार्य करे, या चमत्कार प्रकट करे, वह अपने प्रबंधन के अंतर्गत महान कार्य कर रहा है, और इस प्रकार का कार्य उसके बदले मनुष्य नहीं कर सकता है। मनुष्य का कार्य केवल सृजन किए गए प्राणी के रूप में परमेश्वर के प्रबंधन के कार्य के किसी दिए गए चरण में सिर्फ़ अपना कर्तव्य करना है।
इस प्रकार के प्रबंधन के बिना, अर्थात्, यदि देहधारी परमेश्वर की सेवकाई खो जाती है, तो सृजित प्राणी का कर्तव्य भी खो जायेगा। अपनी सेवकाई को करने में परमेश्वर का कार्य मनुष्य का प्रबंधन करना है, जबकि मनुष्य का कर्तव्य करना सृष्टा की माँगों को पूरा करने के लिए अपने स्वयं के दायित्वों का प्रदर्शन है और किसी भी तरह से किसी की सेवकाई करना नहीं माना जा सकता है। परमेश्वर, अर्थात्, पवित्रात्मा के अंतर्निहित सार के लिए, परमेश्वर का कार्य उसका प्रबंधन है, किन्तु एक सृजन किए गए प्राणी का बाह्य स्वरूप पहने हुए देहधारी परमेश्वर के लिए, उसका कार्य अपनी सेवकाई को पूरा करना है। वह जो कुछ भी कार्य करता है वह अपनी सेवकाई को करने के लिए करता है, और मनुष्य केवल उसके प्रबंधन के क्षेत्र के भीतर और उसकी अगुआई के अधीन ही अपना सर्वोत्तम कर सकता है।"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "चाहे देहधारी परमेश्वर बोले, कार्य करे, या चमत्कार प्रकट करे, वह अपने प्रबंधन के अंतर्गत महान कार्य कर रहा है, और इस प्रकार का कार्य उसके बदले मनुष्य नहीं कर सकता है। मनुष्य का कार्य केवल सृजन किए गए प्राणी के रूप में परमेश्वर के प्रबंधन के कार्य के किसी दिए गए चरण में सिर्फ़ अपना कर्तव्य करना है।
इस प्रकार के प्रबंधन के बिना, अर्थात्, यदि देहधारी परमेश्वर की सेवकाई खो जाती है, तो सृजित प्राणी का कर्तव्य भी खो जायेगा। अपनी सेवकाई को करने में परमेश्वर का कार्य मनुष्य का प्रबंधन करना है, जबकि मनुष्य का कर्तव्य करना सृष्टा की माँगों को पूरा करने के लिए अपने स्वयं के दायित्वों का प्रदर्शन है और किसी भी तरह से किसी की सेवकाई करना नहीं माना जा सकता है। परमेश्वर, अर्थात्, पवित्रात्मा के अंतर्निहित सार के लिए, परमेश्वर का कार्य उसका प्रबंधन है, किन्तु एक सृजन किए गए प्राणी का बाह्य स्वरूप पहने हुए देहधारी परमेश्वर के लिए, उसका कार्य अपनी सेवकाई को पूरा करना है। वह जो कुछ भी कार्य करता है वह अपनी सेवकाई को करने के लिए करता है, और मनुष्य केवल उसके प्रबंधन के क्षेत्र के भीतर और उसकी अगुआई के अधीन ही अपना सर्वोत्तम कर सकता है।"
इस प्रकार के प्रबंधन के बिना, अर्थात्, यदि देहधारी परमेश्वर की सेवकाई खो जाती है, तो सृजित प्राणी का कर्तव्य भी खो जायेगा। अपनी सेवकाई को करने में परमेश्वर का कार्य मनुष्य का प्रबंधन करना है, जबकि मनुष्य का कर्तव्य करना सृष्टा की माँगों को पूरा करने के लिए अपने स्वयं के दायित्वों का प्रदर्शन है और किसी भी तरह से किसी की सेवकाई करना नहीं माना जा सकता है। परमेश्वर, अर्थात्, पवित्रात्मा के अंतर्निहित सार के लिए, परमेश्वर का कार्य उसका प्रबंधन है, किन्तु एक सृजन किए गए प्राणी का बाह्य स्वरूप पहने हुए देहधारी परमेश्वर के लिए, उसका कार्य अपनी सेवकाई को पूरा करना है। वह जो कुछ भी कार्य करता है वह अपनी सेवकाई को करने के लिए करता है, और मनुष्य केवल उसके प्रबंधन के क्षेत्र के भीतर और उसकी अगुआई के अधीन ही अपना सर्वोत्तम कर सकता है।"
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चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
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