2019/06/03

एकमात्र परमेश्वर का प्रभुत्व है इंसान की नियति पर



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • एकमात्र परमेश्वर का प्रभुत्व है इंसान की नियति पर
  •  
  • I
  • तुम अपने जीवन में चाहे कितनी ही दूर तक चले हो,
  • चाहे तुम कितने ही बुज़ुर्ग हो,
  • तुम्हारी यात्रा चाहे कितनी ही शेष हो,
  • तुम्हें परमेश्वर के अधिकार को पहचानना होगा,
  • वो तुम्हारा अद्वितीय स्वामी है, इसे पूरे ईमान से स्वीकारना होगा।
  • कितनी ही बड़ी हो काबिलियत किसी की,
  • दूसरों की नियति को कोई प्रभावित कर नहीं सकता,
  • आयोजित करने, बदलने या काबू करने की तो बात ही क्या।
  • इंसान की हर चीज़ पर प्रभुत्व है सिर्फ़ अद्वितीय परमेश्वर का,
  • क्योंकि इंसान की नियति पर सिर्फ़ उसी को अधिकार है शासन करने का।
  • इस तरह सिर्फ़ सृष्टिकर्ता ही स्वामी है इंसान का।
  • II
  • ज्ञान होना चाहिये सभी को, इंसान की नियति पर
  • परमेश्वर के प्रभुत्व का।
  • कुंजी है ये इंसानी ज़िंदगी को जानने की, सत्य को पाने की,
  • सबक है ये हर रोज़ परमेश्वर को जानने का।
  • छोटा मार्ग ले नहीं सकते तुम इस लक्ष्य को पाने का।
  • कितनी ही बड़ी हो काबिलियत किसी की,
  • दूसरों की नियति को कोई प्रभावित कर नहीं सकता,
  • आयोजित करने, बदलने या काबू करने की तो बात ही क्या।
  • इंसान की हर चीज़ पर प्रभुत्व है सिर्फ़ अद्वितीय परमेश्वर का,
  • क्योंकि इंसान की नियति पर सिर्फ़ उसी को अधिकार है शासन करने का।
  • इस तरह सिर्फ़ सृष्टिकर्ता ही स्वामी है इंसान का।
  • III
  • बच नहीं सकते परमेश्वर के प्रभुत्व से तुम।
  • परमेश्वर एकमात्र प्रभु है इंसान का।
  • एकमात्र स्वामी है वो इंसान की नियति का।
  • इसलिये ख़ुद अपनी नियति पर इंसान हुक्म चला नहीं सकता;
  • ये नामुमकिन है, इंसान इसके परे जा नहीं सकता।
  • कितनी ही बड़ी हो काबिलियत किसी की,
  • दूसरों की नियति को कोई प्रभावित कर नहीं सकता,
  • आयोजित करने, बदलने या काबू करने की तो बात ही क्या।
  • इंसान की हर चीज़ पर प्रभुत्व है सिर्फ़ अद्वितीय परमेश्वर का,
  • क्योंकि इंसान की नियति पर सिर्फ़ उसी को अधिकार है शासन करने का।
  • इस तरह सिर्फ़ सृष्टिकर्ता ही स्वामी है इंसान का।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से
  • स्रोत:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-सुसमाचारीय संगीत

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