सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——मार्ग... (5)
ऐसा हुआ करता था कि कोई भी पवित्र आत्मा को नहीं जानता था, और विशेष रूप से उन्हें नहीं पता होता था कि पवित्र आत्मा का मार्ग क्या है। यही कारण है कि लोग हमेशा परमेश्वर के सामने स्वयं मूर्ख बन जाते थे। यह कहा जा सकता है कि लगभग सभी लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, पवित्रात्मा को नहीं जानते हैं, बल्कि केवल एक भ्रमित प्रकार का विश्वास करते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि लोग परमेश्वर को नहीं समझते हैं, और भले ही वे कहते हों कि वे उस पर विश्वास करते हो, इसके सार के संदर्भ में, अपनी क्रियाओं के आधार पर वे स्वयं पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर पर नहीं।
ऐसा हुआ करता था कि कोई भी पवित्र आत्मा को नहीं जानता था, और विशेष रूप से उन्हें नहीं पता होता था कि पवित्र आत्मा का मार्ग क्या है। यही कारण है कि लोग हमेशा परमेश्वर के सामने स्वयं मूर्ख बन जाते थे। यह कहा जा सकता है कि लगभग सभी लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, पवित्रात्मा को नहीं जानते हैं, बल्कि केवल एक भ्रमित प्रकार का विश्वास करते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि लोग परमेश्वर को नहीं समझते हैं, और भले ही वे कहते हों कि वे उस पर विश्वास करते हो, इसके सार के संदर्भ में, अपनी क्रियाओं के आधार पर वे स्वयं पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर पर नहीं।