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2019/06/16

परमेश्वर पर विश्वास में, तुम्हें परमेश्वर के साथ सामान्य सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर में विश्वास करने में तुम्हें कम से कम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध रखने के विषय का समाधान करना चाहिए। परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध के बिना परमेश्वर में विश्वास करने का महत्व खो जाता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करना परमेश्वर की उपस्थिति में अपने हृदय को शांत करने के द्वारा ही किया जा सकता है।

2019/04/19

Hindi Christian Song | हर युग में नया कार्य करता है परमेश्वर | The Essence of God Never Changes

Hindi Christian Song | हर युग में नया कार्य करता है परमेश्वर | The Essence of God Never Changes


बदलती नहीं कभी बुद्धि परमेश्वर की, बदलता नहीं कभी चमत्कार परमेश्वर का, बदलती नहीं कभी धार्मिकता परमेश्वर की, बदलता नहीं कभी प्रताप परमेश्वर का। बदलता नहीं कभी सार-तत्व परमेश्वर का, बदलता नहीं कभी स्वरुप परमेश्वर का, और कार्य उसका आगे बढ़ रहा है, गहरा हो रहा है; कभी पुराना नहीं होता, सदा नया रहता है परमेश्वर। नया नाम, नया काम, नई इच्छा, नया स्वभाव होता है हर युग में। नया नाम, नया काम, नई इच्छा, नया स्वभाव होता है हर युग में।

2019/04/13

प्रश्न 6: हम सब-कुछ त्याग दें, प्रभु के सुसमाचार का प्रचार करें और कलीसिया की देखभाल करें। इस तरह के कामों से हम स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा कर पाएंगे। इस तरह से अभ्यास करना क्या कोई गलत है?

उत्तर: प्रभु के सुसमाचार को फैलाना और उनके लिये कार्य करना ही स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा करना नहीं होता। स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा करने के लिये ज़रूरी है कि प्रभु के रास्ते पर चला जाए और उनके आदेशों का पालन किया जाए। इंसान अपना फ़र्ज़ उसी तरह निभाये जैसा प्रभु चाहते हैं। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है, "तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख" (मत्ती 22:37-39)। जहां तक स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा करने की बात है, तो उसके लिये सबसे ज़रूरी है कि प्रभु यीशु के आज के वचनों का पालन किया जाए।

2019/04/04

प्रश्न 2: मैंने अपनी आधी से अधिक जिंदगी में मसीह पर विश्वास किया है। मैंने प्रभु के लिए अथक रूप से काम किया है और मुझे निरंतर उनके दूसरे आगमन की प्रतीक्षा रही है। अगर प्रभु आए हैं, तो मुझे उनका प्रकाशन क्यों नहीं मिला? क्या उन्होंने मुझे किनारे कर दिया है? इस बात ने मुझे बहुत दुविधा में डाल दिया है। आप इसे कैसे समझाएंगे?

उत्तर: मनुष्य सोचता है कि अगर वह अपनी आधी जिंदगी प्रभु में विश्वास करता है, प्रभु के लिए कठिन परिश्रम करता है, और सतर्कता से उनके दूसरे आगमन की प्रतीक्षा करता है, तो जब प्रभु दूसरी बार आएंगे, वे उन्हें प्रकाशन देंगें। यह मनुष्य की अवधारणा और परिकल्पना है, इसका परमेश्वर के कार्य की सच्चाई से कोई संबंध नहीं है। यहूदी फ़रीसियों ने परमेश्वर के रास्ते में फैली जमीन और समुद्र को घेर लिया था। क्या प्रभु यीशु ने कभी भी अपने आगमन पर उनको कोई प्रकाशन दिया? जहां तक प्रभु यीशु का अनुसरण करने वाले शिष्यों का प्रश्न है, उनमें से किसने प्रभु यीशु का अनुसरण इसलिए किया क्योंकि उन्हें प्रकाशन दिया गया था? एक ने भी नहीं! आप यह तर्क दे सकते हैं कि पतरस को परमेश्वर का प्रकाशन मिला था और उन्होंने पहचान लिया था कि प्रभु यीशु ही मसीह, परमेश्वर के पुत्र हैं, मगर ऐसा तब हुआ था जब पतरस कुछ समय से प्रभु यीशु का अनुसरण कर रहे थे और कुछ समय तक उनके उपदेश को सुना था और उनके बारे में कुछ जानकारी हासिल की थी।

2019/03/31

45. जो लोग बचाए और पूर्ण किये गए हैं उनके लिए परमेश्वर के क्या वादे हैं?

45. जो लोग बचाए और पूर्ण किये गए हैं उनके लिए परमेश्वर के क्या वादे हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अब मैं निर्बाध अपने लोगों के मध्य चल रहा हूं, मेरे लोगों के मध्य में रहता हूं। आज, जो मेरे लिए वास्तविक प्रेम रखते हैं, ऐसे लोग ही धन्य हैं; जो मुझे समर्पित रहते हैं वे धन्य हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में रहेंगे; जो मुझे जानते हैं वे धन्य हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में शक्ति प्राप्त करेंगे; जो मेरा अनुसरण करते हैं वे धन्य हैं, वे निश्चय ही शैतान के बंधनों से स्वतंत्र होंगे और मेरी आशीषों का आनन्द लेंगे; वे लोग धन्य हैं जो अपने आप को मेरे लिए त्यागते हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य को प्राप्त करेंगे और मेरे राज्य का उपहार पाएंगे। जो लोग मेरे खातिर मेरे चारों ओर दौड़ते हैं उनके लिए मैं उत्सव बनाऊंगा, जो लोग मेरे लिए अपने आप को समर्पित करते हैं मैं उन्हें आनन्द से गले लगाऊंगा, जो लोग मुझे भेंट देते हैं मैं उन्हें आनन्द दूंगा।

2019/03/26

40. अच्छे कर्म क्या हैं? अच्छे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं?

40. अच्छे कर्म क्या हैं? अच्छे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि तुम सत्य को धारण करते हो, तो तुम परमेश्वर का अनुसरण कर सकते हो। यदि तुम जीवन जीते हो, तो तुम परमेश्वर के वचन की अभिव्यक्ति हो सकते हो। यदि तुम्हारे पास जीवन है तो तुम परमेश्वर की आशीषों का आनन्द ले सकते हो। जो लोग सत्य को धारण करते हैं वे परमेश्वर के आशीष का आनन्द ले सकते हैं। परमेश्वर उनके कष्टों का निवारण सुनिश्चित करता है जो उसे सम्पूर्ण हृदय से प्रेम करते हैं और साथ ही कठिनाईयों और पीड़ाओं को सहते हैं, उनके नहीं जो केवल अपने आप से प्रेम करते हैं और शैतान के धोखों का शिकार हो चुके हैं।

2019/03/25

36. कितने धर्मी लोग विपत्तिओं में परमेश्वर के पास वापस आ जाएँगे?

36. कितने धर्मी लोग विपत्तिओं में परमेश्वर के पास वापस आ जाएँगे?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जैसे ही मैं बोलने के लिए विश्व की तरफ अपने चेहरे को घुमाता हूँ, सारी मानवजाति मेरी आवाज़ को सुनती है, और उसके बाद उन सभी कार्यों को देखती है जिसे मैंने समूचे ब्रह्माण्ड में गढ़ा है। वे जो मेरी इच्छा के विरूद्ध जाते हैं, अर्थात्, जो मनुष्य के कार्यों से मेरा विरोध करते हैं, वे मेरी ताड़ना के अधीन नीचे गिर जाएँगे। मैं स्वर्ग के असंख्य तारों को लूँगा और उन्हें फिर से नया कर दूँगा, और मेरे कारण सूर्य और चन्द्रमा को नया बना दिया जाएगा-आकाश अब और वैसा नहीं रहेगा जैसा वह था; पृथ्वी पर बेशुमार चीज़ों को फिर से नया बना दिया जाएगा।

2019/03/12

22. मनुष्य का अनुसरण करना किसे कहते हैं?

22. मनुष्य का अनुसरण करना किसे कहते हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
8. जो लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं, उन्हें परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिए और उसकी आराधना करनी चाहिए। तुम्हें किसी व्यक्ति को ऊँचा नहीं ठहराना चाहिए या किसी व्यक्ति पर श्रद्धा नहीं रखनी चाहिए; तुम्हें पहला स्थान परमेश्वर को, दूसरा स्थान उन लोगों को जिनकी तुम श्रद्धा करते हो, और तीसरा स्थान अपने आपको नहीं देना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को तुम्हारे हृदय में कोई स्थान नहीं लेना चाहिए, और तुम्हें लोगों को—विशेष रूप से उन्हें जिनका तुम सम्मान करते हो—परमेश्वर के समतुल्य, उसके बराबर नहीं मानना चाहिए। यह परमेश्वर के लिए असहनीय है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "दस प्रशासनिक आज्ञाएँ जिनका परमेश्वर के चयनित लोगों द्वारा राज्य के युग में पालन अवश्य किया जाना चाहिए" से
कुछ लोग सत्य में आनन्द नहीं मनाते हैं, न्याय की तो ही दूर है। बल्कि वे शक्ति और धन में आनन्द मनाते हैं; इस प्रकार के लोग मिथ्याभिमानी समझे जाते हैं।

2019/03/02

12. "सब कुछ पीछे छोड़कर परमेश्वर का अनुसरण करो" इसका क्या मतलब है?

12. "सब कुछ पीछे छोड़कर परमेश्वर का अनुसरण करो" इसका क्या मतलब है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
तुम अपना हृदय और शरीर और अपना समस्त वास्तविक प्यार परमेश्वर को समर्पित कर सकते हो, उसके सामने रख सकते हो, उसके प्रति पूरी तरह से आज्ञाकारी हो सकते हो, और उसकी इच्छा के प्रति पूर्णतः विचारशील हो सकते हो। शरीर के लिए नहीं, परिवार के लिए नहीं, और अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं के लिए नहीं, बल्कि परमेश्वर के परिवार के हित के लिए। तुम परमेश्वर के वचन को हर चीज में सिद्धांत के रूप में, नींव के रूप में ले सकते हो। इस तरह, तुम्हारे इरादे और तुम्हारे दृष्टिकोण सब सही जगह पर होंगे, और तुम ऐसे व्यक्ति होगे जो उसके सामने परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त करता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "जो लोग परमेश्वर की व्यावहारिकता के प्रति पूर्णतः आज्ञाकारी हो सकते हैं ये वे लोग हैं जो परमेश्वर से सचमुच प्यार करते हैं" से
तू परमेश्वर में विश्वास करता है और परमेश्वर का अनुसरण करता है, और इस प्रकार तुझे अपने ह्रदय में परमेश्वर से प्रेम करना होगा।

2019/02/28

10. अपने कर्तव्य को करने का क्या अर्थ है?

10. अपने कर्तव्य को करने का क्या अर्थ है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मनुष्य का अपना कर्तव्य निभाना, वास्तव में, उस सबका निष्पादन है जो मनुष्य के भीतर अन्तर्निहित है, अर्थात्, जो मनुष्य के लिए संभव है, उसका निष्पादन है। यह इसके बाद ही है कि उसका कर्तव्य पूरा होता है। मनुष्य की सेवा के दौरान मनुष्य के दोष उसके प्रगतिशील अनुभवों और न्याय के अनुभव की उसकी प्रक्रिया के माध्यम से धीरे-धीरे कम होते जाते हैं; वे मनुष्य के कर्तव्य में बाधा हैं या प्रभाव नहीं डालते हैं। वे लोग जो सेवा करना बंद कर देते हैं या हार मान लेते हैं और ऐसे दोषों के भय से पीछे हट जाते हैं जो सेवा में विद्यमान हो सकते हैं सभी मनुष्यों में सबसे कायर होते हैं।

2019/01/11

अपनी मंज़िल के लिए तुम्हें अच्छे कर्मों की पर्याप्तता की तैयारी करनी चाहिए

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अपनी मंज़िल के लिए तुम्हें अच्छे कर्मों की पर्याप्तता की तैयारी करनी चाहिए

मैंने तुम लोगों के बीच बहुत काम किया है और, निस्संदेह, बहुत से कथन भी कहे हैं। फिर भी मुझे पूरी तरह से महसूस होता है कि मेरे वचन और कार्य ने अंत के दिनों में मेरे कार्य के उद्देश्य को पूरी तरह से सम्पूर्ण नहीं किया है। क्योंकि, अंत के दिनों में, मेरा कार्य किसी खास व्यक्ति या खास लोगों के वास्ते नहीं है, बल्कि मेरे अन्तर्निहित स्वभाव को प्रदर्शित करने के लिए है। हालाँकि, असंख्य कारणों से—कदाचित् समय की दुर्लभता या कार्य का अति-व्यस्त कार्यक्रम—मेरे स्वभाव ने मनुष्य को मुझसे परिचित होने में जरा भी सक्षम नहीं बनाया। इसलिए अपने कार्य में एक नया पृष्ठ खोलने के लिए, मैं अपनी एक नयी योजना की ओर, अपने अंतिम कार्य में, कदम बढ़ाता हूँ ताकि वे सब जो मुझे देखते हैं मेरे अस्तित्व के कारण लगातार अपनी छाती पीटेंगे और रोएँगे और विलाप करेंगे।

2018/11/10

4. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के महत्व को, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से प्राप्त परिणामों में, देखा जा सकता है।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, परमेश्वर को जानना, परमेश्वर से प्रेम, विजयी

III. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से सम्बंधित सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

4. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के महत्व को, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से प्राप्त परिणामों में, देखा जा सकता है।
(1) अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय का कार्य मनुष्य को शुद्ध करने, बचाने और सिद्ध बनाने, तथा विजय प्राप्त करने वालों का एक समूह बनाने के लिए किया जाता है।
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"तू ने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिये मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूँगा जो पृथ्वी पर रहनेवालों के परखने के लिये सारे संसार पर आनेवाला है। मैं शीघ्र ही आनेवाला हूँ; जो कुछ तेरे पास है उसे थामे रह कि कोई तेरा मुकुट छीन न ले। जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा" (प्रकाशितवाक्‍य 3:10-12)।
"ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं" (प्रकाशितवाक्‍य 14:4-5)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अंत के दिनों का कार्य, सभी को उनके स्वभाव के आधार पर पृथक करना, परमेश्वर की प्रबंधन योजना का समापन करना है, क्योंकि समय निकट है और परमेश्वर का दिन आ गया है। परमेश्वर उन सभी को जिन्होंने उसके राज्य में प्रवेश कर लिया है अर्थात्, वे सभी लोग जो अंत तक उसके वफादार रहे हैं, स्वयं परमेश्वर के युग में ले जाता है।

2018/10/12

मार्ग ... (8)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, आशीषें, परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर से प्रेम

मार्ग ... (8)


जब परमेश्वर मानव जाति से मिलने-जुलने, उसके साथ जीवन व्यतीत करने के लिए आता है, तो वह केवल एक या दो दिनों के लिए नहीं आता है। हो सकता है कि इस समय तक लोग परमेश्वर को थोड़ा या ज़्यादा पहचानने लगे हों, और हो सकता है कि उन्हें परमेश्वर की सेवा करने के बारे में काफ़ी महत्वपूर्ण अंतर्ज्ञान प्राप्त हो चुका हो, और वे परमेश्वर पर अपने विश्वास में पक्के हो चुके हों। स्थिति चाहे जो भी हो, लोग काफ़ी हद तक परमेश्वर के स्वभाव को समझते हैं, और मानवीय स्वभाव की सभी अभिव्यक्तियों के प्रकार बहुत भिन्न होते हैं।

2018/10/08

मार्ग… (3)

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मार्ग… (3)


अपने पूरे जीवन में, मैं हमेशा स्वयं को तन और मन से पूरी तरह से, परमेश्वर को समर्पित करने के लिए तैयार हूँ। इस तरह, मेरे अंतःकरण पर कोई दोष नहीं है और मैं थोड़ी शांति प्राप्त कर सकता हूँ। एक व्यक्ति जो जीवन की खोज करता है, उसे सबसे पहले अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। यह एक पूर्व शर्त है। मैं अपने भाइयों और बहनों से चाहूँगा कि वे मेरे साथ परमेश्वर से प्रार्थना करें: "हे परमेश्वर!

2018/09/21

बीसवाँ कथन

परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर को जानना, परमेश्वर से प्रेम,

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——बीसवाँ कथन
मेरे घर की धन-सम्पति असंख्य और अथाह है, फिर भी उनका आनन्द उठाने के लिए मनुष्य मेरे पास कभी नहीं आया। वह अपने आप में उनका आनन्द उठाने में असमर्थ है, और न ही अपने स्वयं की कोशिशों से अपने आप को बचाने में समर्थ है; उसके बजाए, उसने हमेशा अपना भरोसा दूसरों पर रखा है। उन सब ने जिनको मैं देखता हूँ, किसी ने भी समझते-बूझते और प्रत्यक्ष रूप से मेरी खोज नहीं की है।

2018/09/17

मार्ग… (5)

              सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——मार्ग... (5)
ऐसा हुआ करता था कि कोई भी पवित्र आत्मा को नहीं जानता था, और विशेष रूप से उन्हें नहीं पता होता था कि पवित्र आत्मा का मार्ग क्या है। यही कारण है कि लोग हमेशा परमेश्वर के सामने स्वयं मूर्ख बन जाते थे। यह कहा जा सकता है कि लगभग सभी लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, पवित्रात्मा को नहीं जानते हैं, बल्कि केवल एक भ्रमित प्रकार का विश्वास करते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि लोग परमेश्वर को नहीं समझते हैं, और भले ही वे कहते हों कि वे उस पर विश्वास करते हो, इसके सार के संदर्भ में, अपनी क्रियाओं के आधार पर वे स्वयं पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर पर नहीं।

2018/09/16

सेवा के धार्मिक तरीके पर अवश्य प्रतिबंध लगना चाहिए


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——सेवा के धार्मिक तरीके पर अवश्य प्रतिबंध लगना चाहिए
संपूर्ण जगत में अपने कार्य की शुरूआत से ही, परमेश्वर ने अनेक लोगों को अपनी सेवा के लिए पूर्वनियत किया है, जिसमें हर व्यवसाय के लोग शामिल हैं। उसका प्रयोजन अपनी स्वयं की इच्छा को पूरा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि पृथ्वी पर उसके कार्य को निर्बाध रूप से सफलता तक पहुँचाया जाए। परमेश्वर का लोगों को अपनी सेवा हेतु चुनने का यही प्रयोजन है। परमेश्वर की सेवा करने वाले हर व्यक्ति को परमेश्वर की इस इच्छा को अवश्य समझना चाहिए।

2018/09/06

वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?

परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर से प्रेम, मसीह के कथन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?

परमेश्वर का कार्य निरंतर आगे बढ़ता रहता है, और यद्यपि उसके कार्य का प्रयोजन नहीं बदलता है, जिस मायनों वह कार्य करता है वे निरंतर बदलते रहते हैं, और फलस्वरूप वे लोग भी बदलते रहते हैं जो उसका अनुसरण करते हैं। जितना अधिक परमेश्वर का कार्य होगा, उतना ही अधिक मनुष्य परमेश्वर को जानेगा, और मनुष्य का स्वभाव भी परमेश्वर के कार्य के साथ बदलेगा। हालाँकि, ऐसा इसलिए है कि परमेश्वर का कार्य हमेशा बदलता रहता है कि जो लोग पवित्र आत्मा के कार्य के बारे में नहीं जानते हैं और सत्य को न जानने वाले विवेकहीन लोग परमेश्वर के विरोधी बन जाते हैं।

Hindi Christian Song | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे  अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र उतरी है आदम हव्वा से, लेकिन भविष्य की म...