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2019/05/28

देहधारण क्या है? देहधारण का सार क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
पहला देहधारी परमेश्वर पृथ्वी पर साढ़े तैंतीस साल रहा, फिर भी उसने अपनी सेवकाई को उन सालों में से केवल साढ़े तीन साल तक ही किया। अपना कार्य करने के दौरान और अपना कार्य आरम्भ करने से पहले, इन दोनों समयों में, वह अपनी सामान्य मानवता को धारण किए हुए था। वह अपनी साधारण मानवता में साढ़े तैंतीस साल तक रहा। पूरे साढ़े तीन साल तक उसने अपने आप को देहधारी परमेश्वर के रूप में प्रकट किया।

2019/05/21

परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य का महत्व।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अंत के दिनों का कार्य, सभी को उनके स्वभाव के आधार पर अलग करना, परमेश्वर की प्रबंधन योजना का समापन करना है, क्योंकि समय निकट है और परमेश्वर का दिन आ पहुँचा है। जिन्होंने उसके राज्य में प्रवेश कर लिया है अर्थात्, वे सभी लोग जो अंत तक उसके वफादार रहे हैं, परमेश्वर उन सभी को स्वयं परमेश्वर के युग में ले जाता है। हालाँकि स्वयं परमेश्वर के युग के आने से पहले परमेश्वर जो कार्य करने की इच्छा रखता है वह मनुष्य के कर्मों को देखना या मनुष्य जीवनों के बारे में पूछताछ करना नहीं है, बल्कि उनके विद्रोह का न्याय करना है, क्योंकि परमेश्वर अपने सिंहासन के सामने आने वाले सभी लोगों को शुद्ध करेगा।

2018/09/08

सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्यों को बचाने का कार्य भी है

अंतिम दिनों के मसीह के कथन, परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर को जानना

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनसुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्यों को बचाने का कार्य भी है

सभी लोगों को पृथ्वी पर मेरे कार्य के उद्देश्य को समझने की आवश्यकता है, अर्थात्, मेरे कार्य का अंतिम उद्देश्य और इससे पहले कि इसे पूरा किया जा सके कौन सा स्तर मुझे इस कार्य में अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए। यदि, आज के दिन तक मेरे साथ चलते रहे लोग यह नहीं समझते हैं कि मेरा समस्त कार्य किस बारे में है, तो क्या वे मेरे साथ व्यर्थ में नहीं चल रहे हैं? जो लोग मेरा अनुसरण करते हैं उन्हें मेरी इच्छा जाननी चाहिए। मैं हज़ारों सालों से पृथ्वी पर कार्य करता आ रहा हूँ, और आज के दिन तक अभी भी मैं अपना कार्य इसी तरह से कर रहा हूँ।

2018/09/03

स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है
देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है, तथा मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं।

Hindi Christian Song | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे  अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र उतरी है आदम हव्वा से, लेकिन भविष्य की म...