2019/05/25

इंसान का विद्रोह जगाता है परमेश्वर के क्रोध को



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • इंसान का विद्रोह जगाता है परमेश्वर के क्रोध को
  •  
  • I
  • हिलायेगा जब परमेश्वर का रोषपूर्ण क्रोध पर्वतों, नदियों को,
  • तो परमेश्वर मदद नहीं देगा कायर इंसानों को।
  • रोष में उन्हें वो पछताने का मौका नहीं देगा,
  • उनसे कोई उम्मीद नहीं रखेगा, जिसके लायक हैं वो सज़ा उन्हें देगा।
  • प्रचंड कुपित लहरों की तरह, भीषण गर्जनाएँ होंगी,
  • जैसे ढह रहे हों पर्वत हज़ारों।
  • इंसानों को उसके विद्रोह की वजह से गिराकर मार दिया जाएगा।
  • गर्जना और कड़कती बिजली में मिटा दिये जाएँगे जीव सारे, जीव सारे।
  • बहुत दूर चला जाता है इंसान परमेश्वर से, उसके क्रोध की वजह से।
  • क्योंकि अपमान किया है पवित्र आत्मा के सार का इंसान ने,
  • नाख़ुश किया है परमेश्वर को इंसान के विद्रोह ने।
  • II
  • एकाएक पूरी कायनात में उथल-पुथल हो जाती है,
  • सृष्टि ले नहीं पाती जीवन का मूल श्वास फिर से।
  • इंसान बच नहीं पाता भीषण गर्जनाओं से;
  • चमकती बिजलियों के बीच, प्रचंड धाराओं में,
  • पर्वतों से आती प्रचंड धारा में,
  • गिरकर बह जाते हैं इंसानी झुण्ड।
  • इंसान के “गंतव्य” में अचानक
  • “मानव” का विश्व जमा हो जाता है, लाशें बहती हैं समंदर में, समंदर में।
  • बहुत दूर चला जाता है इंसान परमेश्वर से, उसके क्रोध की वजह से।
  • क्योंकि अपमान किया है पवित्र आत्मा के सार का इंसान ने,
  • नाख़ुश किया है परमेश्वर को इंसान के विद्रोह ने।
  • मगर धरती पर बेख़ौफ़, दूसरे लोग गा रहे हैं,
  • हँसी और गीतों के मध्य,
  • परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं का आनंद ले रहे हैं,
  • जो पूरी की हैं परमेश्व ने महज़ उनके लिये, उनके लिये।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से
  • अनुशंसित: hindi prayer song

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