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2019/09/13

Hindi Christian Song | प्रभु हर युग में नए कार्य करते हैं | God's Work Is Always New and Never Old

  

    Hindi Christian Song | प्रभु हर युग में नए कार्य करते हैं | God's Work Is Always New and Never Old

बदलती नहीं कभी बुद्धि परमेश्वर की, बदलता नहीं कभी चमत्कार परमेश्वर का, बदलती नहीं कभी धार्मिकता परमेश्वर की, बदलता नहीं कभी प्रताप परमेश्वर का। बदलता नहीं कभी सार-तत्व परमेश्वर का, बदलता नहीं कभी स्वरुप परमेश्वर का, और कार्य उसका आगे बढ़ रहा है, गहरा हो रहा है; कभी पुराना नहीं होता, सदा नया रहता है परमेश्वर। नया नाम, नया काम, नई इच्छा, नया स्वभाव होता है हर युग में। नया नाम, नया काम, नई इच्छा, नया स्वभाव होता है हर युग में। लोग अगर न देख पाए इस स्वभाव को, तो चढ़ा देंगे सूली पर, सीमांकित कर देंगे परमेश्वर को! कार्य परमेश्वर का नया होता है सदा, कभी पुराना नहीं होता, मगर स्वरूप परमेश्वर का कभी परिवर्तित नहीं होता। परिभाषित कर नहीं सकते तुम गतिहीन भाषा में, 6,000 साल परमेश्वर के काम के। जितना समझते हो तुम उतना सरल नहीं है परमेश्वर, युगयुगांतर तक चलता है काम उसका। यहोवा से यीशु बदल गया नाम उसका। युगयुगान्तर में देखो बदल गया काम उसका! नया नाम, नया काम, नई इच्छा, नया स्वभाव होता है हर युग में। अग्रसर हो रहा है इतिहास, और आगे बढ़ रहा है। 6,000 साल की योजना का अंत करने, काम परमेश्वर का सदा आगे बढ़ रहा है। मगर अभी भी हर दिन, हर वर्ष, करने के लिये है नया काम। नए मार्ग, नया काल, नई चीज़ें और ज़्यादा बड़े काम। अटका नहीं है परमेश्वर पुराने तरीकों पर, सदा अविरल चल रहा है नया काम। नया नाम, नया काम, नई इच्छा, नया स्वभाव होता है हर युग में। नया नाम, नया काम, नई इच्छा, नया स्वभाव होता है हर युग में। "मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से


अनुशंसित: ईसाई गीत——चुने हुए भजनों को सूची——यह वास्तव में हृदय से गाया गया गीत है।

2019/06/11

परमेश्वर का अनुसरण करने और लोगों का अनुसरण करने में अंतर

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर का अनुसरण करने में प्रमुख महत्व इस बात का है कि हर चीज परमेश्वर के वास्तविक वचनों के अनुसार होनी चाहिए: चाहे तुम जीवन में प्रवेश कर रहे हो या परमेश्वर की इच्छा की पूर्ति, सब कुछ परमेश्वर के वास्तविक वचनों के आस-पास ही केंद्रित होना चाहिए। यदि तुम्हारा समागम और अनुसरण परमेश्वर के वास्तविक शब्दों के आसपास केंद्रित नहीं होते हैं, तो तुम परमेश्वर के शब्दों के लिए एक अजनबी हो, और पवित्र आत्मा के कार्य से पूरी तरह से वंचित हो।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और परमेश्वर के चरण-चिन्हों का अनुसरण करो" से

2019/06/05

परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल के योग्य कैसे हों



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • पूर्ण किये जाने के लिये परमेश्वर से सामान्य संबंध बनाओ
  •  I
  • जब रिश्ता सामान्य होगा तुम्हारा परमेश्वर से,
  • तभी तुम पा सकोगे पूर्णता परमेश्वर से,
  • तब तुम्हारे अंदर परमेश्वर का अनुशासन, शुद्धिकरण
  • और काट-छाँट लाएगा मनचाहा परिणाम।
  • अपने दिल में जगह रख पाते हो तुम परमेश्वर के लिये,
  • नहीं खोजते फ़ायदे अपने, नहीं सोचते भविष्य के बारे में।
  • बल्कि उठाते हो भार जीवन में प्रवेश का,
  • समर्पित होते हो परमेश्वर के कार्य को, अनुसरण करते उसके सत्य का।

2019/06/04

एकमात्र परमेश्वर का प्रभुत्व है इंसान की नियति पर



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • एकमात्र परमेश्वर का प्रभुत्व है इंसान की नियति पर
  •  
  • I
  • तुम अपने जीवन में चाहे कितनी ही दूर तक चले हो,
  • चाहे तुम कितने ही बुज़ुर्ग हो,
  • तुम्हारी यात्रा चाहे कितनी ही शेष हो,
  • तुम्हें परमेश्वर के अधिकार को पहचानना होगा,
  • वो तुम्हारा अद्वितीय स्वामी है, इसे पूरे ईमान से स्वीकारना होगा।

2019/05/25

इंसान का विद्रोह जगाता है परमेश्वर के क्रोध को



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • इंसान का विद्रोह जगाता है परमेश्वर के क्रोध को
  •  
  • I
  • हिलायेगा जब परमेश्वर का रोषपूर्ण क्रोध पर्वतों, नदियों को,
  • तो परमेश्वर मदद नहीं देगा कायर इंसानों को।
  • रोष में उन्हें वो पछताने का मौका नहीं देगा,
  • उनसे कोई उम्मीद नहीं रखेगा, जिसके लायक हैं वो सज़ा उन्हें देगा।
  • प्रचंड कुपित लहरों की तरह, भीषण गर्जनाएँ होंगी,
  • जैसे ढह रहे हों पर्वत हज़ारों।
  • इंसानों को उसके विद्रोह की वजह से गिराकर मार दिया जाएगा।
  • गर्जना और कड़कती बिजली में मिटा दिये जाएँगे जीव सारे, जीव सारे।
  • बहुत दूर चला जाता है इंसान परमेश्वर से, उसके क्रोध की वजह से।
  • क्योंकि अपमान किया है पवित्र आत्मा के सार का इंसान ने,
  • नाख़ुश किया है परमेश्वर को इंसान के विद्रोह ने।
  • II
  • एकाएक पूरी कायनात में उथल-पुथल हो जाती है,
  • सृष्टि ले नहीं पाती जीवन का मूल श्वास फिर से।
  • इंसान बच नहीं पाता भीषण गर्जनाओं से;
  • चमकती बिजलियों के बीच, प्रचंड धाराओं में,
  • पर्वतों से आती प्रचंड धारा में,
  • गिरकर बह जाते हैं इंसानी झुण्ड।
  • इंसान के “गंतव्य” में अचानक
  • “मानव” का विश्व जमा हो जाता है, लाशें बहती हैं समंदर में, समंदर में।
  • बहुत दूर चला जाता है इंसान परमेश्वर से, उसके क्रोध की वजह से।
  • क्योंकि अपमान किया है पवित्र आत्मा के सार का इंसान ने,
  • नाख़ुश किया है परमेश्वर को इंसान के विद्रोह ने।
  • मगर धरती पर बेख़ौफ़, दूसरे लोग गा रहे हैं,
  • हँसी और गीतों के मध्य,
  • परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं का आनंद ले रहे हैं,
  • जो पूरी की हैं परमेश्व ने महज़ उनके लिये, उनके लिये।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से
  • अनुशंसित: hindi prayer song

2019/05/02

केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने से ही उद्धार आ सकता है।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जब यीशु मनुष्य के संसार में आया, तो वह अनुग्रह का युग लाया, और उसने व्यवस्था का युग समाप्त किया। अंत के दिनों के दौरान, परमेश्वर एक बार फिर देहधारी बन गया, और इस बार जब उसने देहधारण किया, तो उसने अनुग्रह का युग समाप्त किया और परमेश्वर के राज्य का युग ले आया। उन सब को जो परमेश्वर के दूसरे देहधारण को स्वीकार करते हैं, राज्य के युग में ले जाया जाएगा, और वे व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर का मार्गदर्शन स्वीकार करने में सक्षम होंगे। यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया।

2019/05/01

Hindi Christian Song | परमेश्वर के स्वभाव का प्रतीक | God's Essence Is Good and Righteous

Hindi Christian Song | परमेश्वर के स्वभाव का प्रतीक | God's Essence Is Good and Righteous


परमेश्वर के स्वभाव में है शामिल मानव जाति के लिए उसका प्यार और दिलासा, शामिल है मानव जाति के लिए उसकी नफ़रत और उसकी पूरी समझ। परमेश्वर का स्वभाव, परमेश्वर का स्वभाव है मौजूद जीवित चीज़ों के शासक में, पूरी सृष्टि के प्रभु में। परमेश्वर का स्वभाव, करता है प्रतिनिधित्व सम्मान, शक्ति, कुलीनता का, महानता और सर्वोच्चता का।

2019/03/28

42. परमेश्वर किन लोगों को बचाता है? वह किन लोगों को हटा देता है?

42. परमेश्वर किन लोगों को बचाता है? वह किन लोगों को हटा देता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जो शैतान से संबंधित होते हैं वे परमेश्वर के वचनों को नहीं समझते हैं और जो परमेश्वर से संबंधित होते हैं वे परमेश्वर की आवाज़ को सुन सकते हैं। वे सभी लोग जो मेरे द्वारा बोले गए वचनों को महसूस करते और समझते हैं ऐसे लोग हैं जो बचाए जाएँगे, और परमेश्वर की गवाही देंगे; वे सभी लोग जो मेरे द्वारा बोले गए वचनों को नहीं समझते हैं परमेश्वर की गवाही नहीं दे सकते हैं, और ऐसे लोग हैं जो निकाल दिए जाएँगे।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है" से
परमेश्वर उन्हें बचाता है जो जीवित हो सकते हैं, जो परमेश्वर के उद्धार को देख सकते हैं, जो परमेश्वर के प्रति निष्ठावान हैं और जो परमेश्वर को खोजने के इच्छुक हैं। परमेश्वर उन्हें बचाता है जो परमेश्वर के अवतरण में विश्वास करते हैं और उसके प्रकटन में विश्वास करते हैं।

2019/03/27

41. बुरे कर्म क्या हैं? बुरे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं?

41. बुरे कर्म क्या हैं? बुरे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
भाइयों और बहनों के बीच जो हमेशा अपनी नकारात्मकता का गुबार निकालते रहते हैं, वे शैतान के अनुचर हैं और वे कलीसिया को परेशान करते हैं। ऐसे लोगों को अवश्य ही एक दिन निकाल और हटा दिया जाना चाहिए। परमेश्वर में अपने विश्वास को लेकर, अगर लोगों के अंदर परमेश्वर के प्रति श्रद्धा-भाव से भरा दिल नहीं है, अगर ऐसा दिल नहीं है जो परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी है, तो ऐसे लोग न सिर्फ परमेश्वर के लिये कोई कार्य कर पाने में असमर्थ होंगे, बल्कि वे ऐसे लोग बन जायेंगे जो परमेश्वर के कार्य में बाधा उपस्थित करते हैं और उनकी उपेक्षा करते हैं।

2019/03/10

20. एक अविश्वासी व्यक्ति क्या होता है?

20. एक अविश्वासी व्यक्ति क्या होता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मैं कहता हूं कि जो लोग सत्य को महत्व नहीं देते हैं वे अविश्वासी और सत्य के विश्वासघाती हैं ऐसे लोग मसीह के अनुमोदन को प्राप्त नहीं कर पायेंगे।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "क्या तुम परमेश्वर के एक सच्चे विश्वासी हो?" से
वे सभी जो परमेश्वर के वचनों की गलत समझ रखते हैं, वे सभी अविश्वासी हैं। उनमें कोई भी वास्तविक ज्ञान नहीं है, वास्तविक कद-काठी का तो सवाल ही नहीं है; वे वास्तविकता रहित अज्ञानी लोग हैं। कहने का अर्थ यह है कि, वे सभी जो परमेश्वर के वचनों के ज्ञान से बाहर जीवन जीते हैं, वे सभी अविश्वासी हैं।

2019/03/07

17. एक झूठा मसीह क्या होता है?

17. एक झूठा मसीह क्या होता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि कोई मनुष्य अपने आप को परमेश्वर कहता हो मगर अपनी दिव्यता को व्यक्त करने में, परमेश्वर स्वयं का कार्य करने में, या परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ हो, तो वह निसंदेह ही परमेश्वर नहीं है, क्योंकि उसमें परमेश्वर का सार नहीं है, और परमेश्वर जो अंतर्निहित रूप से प्राप्त कर सकता है वह उसके भीतर विद्यमान नहीं है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर" से
मसीह के अलावा, जो मसीह होने का झूठा दावा करते हैं उनके पास उसकी विशेषताएँ नहीं होती हैं। अभिमानी तथा आत्म-प्रशंसा करने के स्वभाव वाले झूठे मसीहों से तुलना करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि किस प्रकार की देह में वास्तव में मसीह है। जितने अधिक वे झूठे होते हैं, उतना ही अधिक इस प्रकार के झूठे मसीहे स्वयं का दिखावा करते हैं, तथा लोगों को धोखा देने के लिये वे और अधिक संकेतों और चमत्कारों को करने में समर्थ होते हैं।

2019/03/06

16. मसीह-शत्रु किसे कहते हैं?

16. मसीह-शत्रु किसे कहते हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
उन दिनों में जब परमेश्वर ने देहधारण नहीं किया था, तब क्या किसी मनुष्य ने परमेश्वर का विरोध किया है इसका मापन इस बात पर आधारित था कि क्या मनुष्य ने स्वर्ग के अदृश्य परमेश्वर की आराधना की और उनकी खोज की। "परमेश्वर के प्रति विरोध" की परिभाषा उस समय इतनी वास्तविक नहीं थी, क्योंकि तब मनुष्य परमेश्वर को समझ नहीं सकता था और न ही उसकी छवि को या इस बात को जान सकता था कि उन्होंने कैसे काम किया और बोला था। मनुष्य की परमेश्वर के बारे में कोई अवधारणा नहीं थी, और परमेश्वर पर अस्पष्ट रूप में विश्वास करता था, क्योंकि वे मनुष्यों पर प्रकट नहीं हुए थे।

2019/03/01

11. अपने कर्तव्य को करने और सेवा करने में क्या अंतर है?

11. अपने कर्तव्य को करने और सेवा करने में क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मनुष्य का अपना कर्तव्य निभाना, वास्तव में, उस सबका निष्पादन है जो मनुष्य के भीतर अन्तर्निहित है, अर्थात्, जो मनुष्य के लिए संभव है, उसका निष्पादन है। यह इसके बाद ही है कि उसका कर्तव्य पूरा होता है। मनुष्य की सेवा के दौरान मनुष्य के दोष उसके प्रगतिशील अनुभवों और न्याय के अनुभव की उसकी प्रक्रिया के माध्यम से धीरे-धीरे कम होते जाते हैं; वे मनुष्य के कर्तव्य में बाधा हैं या प्रभाव नहीं डालते हैं। … मनुष्य के कर्तव्य और क्या वह धन्य या श्रापित है के बीच कोई सह-सम्बन्ध नहीं है। कर्तव्य वह है जो मनुष्य को पूरा करना चाहिए; यह उसका आवश्यक कर्तव्य है और प्रतिफल, परिस्थितियों या कारणों पर निर्भर नहीं होना चाहिए।

2019/02/26

8. ईमानदार व्यक्ति और धोखेबाज व्यक्ति में क्या अंतर है?

8. ईमानदार व्यक्ति और धोखेबाज व्यक्ति में क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
ईमानदारी का अर्थ है अपना हृदय परमेश्वर को अर्पित करना; किसी भी चीज़ में उस से ढकोसला नहीं करना; सभी चीजों में उसके प्रति निष्कपट होना, सत्य को कभी भी नहीं छुपाना; कभी भी ऐसा कार्य नहीं करना जो उन लोगों को धोखा देता हो जो ऊँचे हैं और उन लोगों को भ्रम में डालता हो जो नीचे हैं; और कभी भी ऐसा काम नहीं करना जो केवल परमेश्वर की चापलूसी करने के लिए किया जाता है। संक्षेप में, ईमानदार होने का अर्थ है अपने कार्यों और वचनों में अशुद्धता से परहेज करना, और न तो परमेश्वर को और न ही मनुष्य को धोखा देना। जो मैं कहता हूँ वह बहुत साधारण है, किन्तु तुम लोगों के लिए दुगुना दुष्कर है।

2019/02/25

7. एक धोखेबाज व्यक्ति क्या है? धोखेबाज़ लोगों को क्यों नहीं बचाया जा सकता है?

7. एक धोखेबाज व्यक्ति क्या है? धोखेबाज़ लोगों को क्यों नहीं बचाया जा सकता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि तुम बहुत धोखेबाज हो, तो तुम्हारे पास एक संरक्षित हृदय होगा और सभी मामलों और सभी लोगों के बारे में संदेह के विचार होंगे। इसी कारण से, मुझ में तुम्हारा विश्वास संदेह कि नींव पर बना है। इस प्रकार के विश्वास को मैं कभी भी स्वीकार नहीं करूँगा। सच्चे विश्वास का अभाव होने पर, तुम सच्चे प्रेम से और भी अधिक दूर होगे। और यदि तुम परमेश्वर पर भी संदेह करने और अपनी इच्छानुसार उसके बारे में अनुमान लगाने में समर्थ हो, तो तुम संदेह से परे मनुष्यों में सबसे सबसे अधिक धोखेबाज हो।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें" से
जो लोग ईमानदारी से अपना जीवन नहीं जीते हैं, जो दूसरों के सामने होते हैं को किसी ऐसे व्यक्ति के जैसा होने का नाटक करते हैं जो वे नहीं हैं, जो नम्रता, धैर्य और प्रेम का दिखावा करते हैं, जबकि मूल रूप में वे कपटी, धूर्त हैं और परमेश्वर के प्रति उनकी कोई निष्ठा नहीं हैं, ऐसे मनुष्य अंधकार के प्रभाव में रहने वाले लोगों के विशिष्ट नमूने हैं, वे सर्पों के सपोले हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "अंधकार के प्रभाव से बच निकलें और आप परमेश्वर द्वारा जीत लिए जाएँगे" से
तुम लोगों को जानना चाहिए कि परमेश्वर एक ईमानदार मनुष्य को पसंद करता है। परमेश्वर के पास निष्ठा का सार है, और इसलिए उसके वचन पर हमेशा भरोसा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, उसका कार्य दोषरहित और निर्विवाद है। यही कारण है कि क्यों परमेश्वर उन लोगों को पसंद करता है जो उसके साथ पूरी तरह से ईमानदार हैं। … तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम्हारे भीतर सच्चा विश्वास और सच्ची वफादारी है कि नहीं, परमेश्वर के लिए कष्ट उठाने का तुम्हारा कोई अभिलेख है कि नहीं, और तुमने परमेश्वर के प्रति पूरी तरह से समर्पण किया है कि नहीं। यदि तुममें इन बातों का अभाव है, तो तुम्हारे भीतर अवज्ञा, धोखा, लालच, और शिकायत बची है। चूँकि तुम्हारा हृदय ईमानदार नहीं है, इसलिए तुमने कभी भी परमेश्वर से सकारात्मक स्वीकृति प्राप्त नहीं की है और कभी भी प्रकाश में जीवन नहीं बिताया है। अंत में किसी व्यक्ति का भाग्य कैसे सम्पन्न होता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके पास एक ईमानदार और रक्तिम हृदय है कि नहीं, और उसके पास एक शुद्ध आत्मा है कि नहीं। यदि तुम कोई ऐसे व्यक्ति हो जो अत्यधिक बेईमान है, जिसके पास ईर्ष्यालु हृदय है, और कोई ऐसे व्यक्ति हो जिसकी आत्मा अशुद्ध है, तो तुम्हारे भाग्य का अभिलेख निश्चित रूप से ऐसी जगह में है जहाँ मनुष्य को दण्ड दिया जाता है। यदि तुम अत्यधिक ईमानदार होने का दावा करते हो, मगर कभी भी सत्य के अनुसार कार्य करने या सत्य का एक भी वचन बोलने का प्रबंध नहीं करते हो, तो क्या तुम तब भी परमेश्वर से तुम्हें पुरस्कृत किए जाने की प्रतीक्षा करते हो? क्या तुम तब भी परमेश्वर से आशा करते हो कि वह तुम्हें अपनी आँखों के तारे के समान माने? क्या यह सोचने का हास्यास्पद तरीका नहीं है? तुम सभी बातों में परमेश्वर को धोखा देते हो, तो परमेश्वर का घर तुम जैसे किसी को कैसे जगह दे सकता है जिसके हाथ अशुद्ध हैं?
"वचन देह में प्रकट होता है" से "तीन चेतावनियाँ" से
Source From :सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

2019/02/18

प्रश्न 41: हमने चीनी कम्युनिस्ट सरकार और धार्मिक दुनिया के कई भाषण ऑनलाइन देखे हैं जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की बदनामी और झूठी निंदा करते हैं, उन पर आक्षेप और कलंक लगाते हैं (जैसे कि झाओयुआन, शेडोंग प्रांत की "5.28" वाली घटना)। हम यह भी जानते हैं कि सीसीपी लोगों से झूठ और गलत बातें कहने में, और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर लोगों को धोखा देने में माहिर है, साथ ही साथ उन देशों का जिनके यह विरोध में है, अपमान करने, उन पर हमला करने और उन का न्याय करने में भी माहिर है, इसलिए सीसीपी के कहे गए किसी भी शब्द पर बिल्कुल विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों के द्वारा कही गई कई बातें सीसीपी के शब्दों से मेल खाती हैं, इसलिए हमें सीपीपी और धार्मिक दुनिया से आने वाले निन्दापूर्ण, अपमानजनक शब्दों को कैसे परखना चाहिए?

उत्तर:
शैतान की बुरी ताकतें इस तरह परमेश्वर के कार्य पर हमला क्यों करती हैं, परमेश्वर के कार्य का आंकलन करते हुए? क्यों बड़े लाल अजगर की बुरी ताकतें उन्मत्त होकर परमेश्वर पर हमला और उसकी निंदा कर रही हैं, और परमेश्वर की कलीसिया को उत्पीडित कर रही हैं? क्यों शैतान की सभी बुरी ताकतें, धार्मिक मंडलियों के अंदर मसीह-विरोधी बिरादरी सहित, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करती हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि शैतान जानता है कि इसका अंत निकट है, कि परमेश्वर पहले से ही अपने राज्य को सुरक्षित कर चुका है और वह आ गया है, और यह कि अगर शैतान परमेश्वर के साथ एक निर्णायक लड़ाई में नहीं जुटता है तो वह तुरंत नष्ट हो जाएगा।

2019/02/17

प्रश्न 40: सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंतिम दिनों का मसीह, सत्य को व्यक्त करता है और मानवता को शुद्ध करने और बचाने के लिए न्याय का अपना कार्य करता है, और फिर भी वह धार्मिक दुनिया और चीनी कम्युनिस्ट सरकार, दोनों की बेतहाशा निंदा और क्रूर कार्यवाही का मुकाबला करता है, जहां वे मसीह का तिरस्कार करने, उसकी निन्दा करने, उसे पकड़ने और नष्ट करने के लिए उनके सशस्त्र बलों और सभी मीडिया तक को जुटाते हैं। जब प्रभु यीशु का जन्म हुआ, हेरोदेस ने सुना कि "इस्राएल का राजा" पैदा हो चुका था और उसने सभी नर बच्चों को जो बेतलेहेम में थे और दो वर्ष से कम उम्र के थे, मरवा डाला था; उसे मसीह को जीवित रहने देने की बजाय दस हजार बच्चों को गलत ढंग से मार डालना बेहतर लगा। परमेश्वर ने मानवजाति को बचाने के लिए देह-धारण किया है, तो धार्मिक दुनिया और नास्तिक सरकार क्यों परमेश्वर के प्रकटन और कार्य के खिलाफ अंधाधुंध तिरस्कार और निन्दा करती हैं? क्यों वे पूरे देश की ताकत को झुका देते हैं और मसीह को क्रूस पर कीलों से जड़ने के लिए कोई प्रयास बाक़ी नहीं रखते हैं? मानव जाति इतनी बुरी क्यों है, वह परमेश्वर से इतनी नफरत क्यों करती है और क्यों उसके खिलाफ खुद मोर्चा लेती है?

उत्तर:
सवाल बहुत अहम है, और पूरी मानवजाति में बहुत थोड़े-से लोग इस बात को अच्छी तरह समझ सकते हैं! मानवजाति इतने अंधाधुंध तरीके से परमेश्वर की अवज्ञा क्यों करती है, यह अब सुर्ख़ियों में है, और देहधारी मसीह के सूली पर चढ़ाए जाने की ऐतिहासिक त्रासदी फिर दोहराई जा रही है; यह एक तथ्य है। प्रभु यीशु ने कहा था: "और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे। क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए" (यूहन्ना 3:19-20)। "यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो कि उसने तुम से पहले मुझ से बैर रखा" (यूहन्ना 15:18)। "इस युग के लोग बुरे हैं" (लूका 11:29)। और 1 यूहन्ना 5:19 में कहा गया है "और सारा संसार उस दुष्‍ट के वश में पड़ा है।" मानवजाति की करनी और मसीह के प्रति उनका रवैया यह साबित करने के लिए काफी है कि संपूर्ण संसार शैतान के कब्जे और उसकी शक्ति में है।

2019/02/16

प्रश्न 38: हाल के वर्षों में, धार्मिक संसार में विभिन्न मत और संप्रदाय अधिक से अधिक निराशाजनक हो गए हैं, लोगों ने अपना मूल विश्वास और प्यार खो दिया है और वे अधिक से अधिक नकारात्मक और कमज़ोर बन गए हैं। हम उत्साह का मुरझाना भी देखते हैं और हमें लगता है कि हमारे पास प्रचार करने के लिए कुछ नहीं है और हम सभी ने पवित्र आत्मा के कार्य को खो दिया है। कृपया हमें बताओ, पूरी धार्मिक दुनिया इतनी निराशाजनक क्यों है? क्या परमेश्वर वास्तव में इस दुनिया से नफरत करता है और क्या उसने इसे त्याग दिया है? हमें 'प्रकाशित वाक्य' पुस्तक में धार्मिक दुनिया के प्रति परमेश्वर के शाप को कैसे समझना चाहिए?

उत्तर:
वास्तव में, धार्मिक समुदाय का परमेश्वर के विरोध का इतिहास कम से कम व्यवस्था के युग के अंत से शुरू हुआ। जब परमेश्वर ने अनुग्रह के युग के दौरान पहली बार देह धारण की और अपना कार्य किया, उस समय भी धार्मिक समुदाय पर फरीसियों और मसीह विरोधियों ने बहुत पहले से ही कब्जा कर लिया था। यह प्रभु यीशु के पाप मुक्ति के कार्य के लिए विरोधी बन गया था। जब, अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट होते हैं और अपना कार्य करते हैं, वे लोग जो धार्मिक समुदाय में हैं वे अभी भी परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय के कार्य के सामने एक दुश्मन की तरह खडे हो जाते हैं। वे न सिर्फ पागलपन के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और तिरस्कार करते हैं, बल्कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर अत्याचार करने और दमन के लिए शैतानी सीसीपी शासन के साथ मिल जाते हैं।

2019/02/13

प्रश्न 35: धार्मिक दुनिया के अधिकांश लोग मानते हैं कि पादरियों और प्राचीन लोगों को परमेश्वर के द्वारा चुना और प्रतिष्ठित किया गया है, और यह कि वे सभी धार्मिक कलीसियाओं में परमेश्वर की सेवा करते हैं; अगर हम पादरियों और प्राचीन लोगों का अनुसरण और आज्ञा-पालन करते हैं, तो हम वास्तव में परमेश्वर का ही अनुसरण और आज्ञा-पालन करते हैं। यथार्थतः मनुष्य का अनुसरण और आज्ञा-पालन करने का क्या मतलब है, और वास्तव में परमेश्वर का अनुसरण और आज्ञा-पालन करने का क्या अर्थ है, ज्यादातर लोग सच्चाई के इस पहलू को नहीं समझते हैं, तो कृपया हमारे लिए यह सहभागिता करो।

उत्तर:
धर्म में, कुछ लोग सोचते हैं कि सभी धार्मिक पादरी और एल्डर्स प्रभु द्वारा चुने और प्रतिष्ठित किये जाते है। इसलिए लोगों को उनका आज्ञापालन करना चाहिए। क्या इस तरह की धारणा का बाइबल में कोई आधार है? क्या प्रभु के वचन में इसका कोई प्रमाण है? क्या इसमें पवित्र आत्मा की गवाही और पवित्र आत्मा के कार्य की स्वीकृति है? अगर सारे जवाब 'नहीं' हैं, तो क्या बहुमत का यह विश्वास कि सभी पादरी और एल्डर्स प्रभु द्वारा चुने और प्रतिष्ठित किए जाते हैं, लोगों की अवधारणाओं और कल्पनाओं से नहीं आया है? आइए इस बारे में विचार करें। व्यवस्था के युग में मूसा को परमेश्‍वर द्वारा चुना और प्रतिष्ठित किया गया था। क्या इसका यह मतलब है कि व्यवस्था के युग में सभी यहूदी नेताओं को परमेश्‍वर द्वारा चुना और प्रतिष्ठित किया गया था? अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु के 12 प्रेरितों को स्वयं प्रभु यीशु द्वारा चुना और अभिषिक्त किया गया था।

2019/02/12

प्रश्न 34: धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों को बाइबल का सशक्त ज्ञान है, वे प्रायः लोगों के समक्ष बाइबल का विस्तार करते हैं और उन्हें बाइबल का सहारा बनाये रखने के लिए कहते हैं, इसलिए बाइबल की व्याख्या करना और उसकी प्रशंसा करना क्या वास्तव में परमेश्वर की गवाही देना और प्रशंसा करना है? ऐसा क्यों कहा जाता है कि धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग ढोंगी फरीसी हैं? हम अभी भी इसको समझ नहीं सकते हैं, तो क्या तुम हमारे लिए इसका जवाब दे सकते हो?

उत्तर:
लोगों के लिए, बाइबल की व्याख्या करना गलत नहीं होना चाहिए, परंतु, बाइबल की व्याख्या करते वक्त वे वास्तव में ऐसे काम करते हैं जिनसे परमेश्वर का विरोध होता है। ये किस तरह के लोग हैं? क्या वे पाखंडी फरीसी नहीं हैं? क्या वे परमेश्वर-विरोधी मसीह-विरोधी नहीं हैं? पादरी और एल्डर्स, बाइबल की व्याख्या करना परमेश्वर का विरोध करना कैसे हो सकता है? इससे परमेश्वर की निंदा कैसे होती है? अभी भी ऐसे लोग हैं जो समझ नहीं पा रहे हैं और अभी भी सोचते हैं कि बाइबल की व्याख्या करना परमेश्वर को गौरवान्वित करना और उनकी गवाही देना है। उस ज़माने के यहूदी मुख्य पादरी, धर्मगुरु और फरीसी सभी धर्मग्रंथों के अध्येता और विद्वान थे, जो लोगों के सामने अक्सर धर्मग्रंथों की व्याख्या किया करते थे।

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