परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज अधिकाँश लोग यह महसूस नहीं करत: वे मानते हैं कि दुःख उठाने का कोई महत्व नहीं है, वे संसार के द्वारा त्यागे जाते हैं, उनके पारिवारिक जीवन में परेशानी होती है, वे परमेश्वर के प्रिय भी नहीं होते, और उनकी अपेक्षाएँ काफी निराशापूर्ण होती हैं। कुछ लोगों के कष्ट एक विशेष बिंदु तक पहुँच जाते हैं, और उनके विचार मृत्यु की ओर मुड़ जाते हैं।