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2019/06/01

देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
देहधारण का महत्व यह है कि वह साधारण, सामान्य मनुष्य परमेश्वर स्वयं के कार्यों को करता है; अर्थात्, कि परमेश्वर अपने दिव्य कार्य को मानवता में करता है और उसके द्वारा शैतान को परास्त करता है। देहधारण का अर्थ है कि परमेश्वर का आत्मा देह बन जाता है, अर्थात्, परमेश्वर देह बन जाता है; जो कार्य वह देह में करता है वह पवित्रात्मा का कार्य होता है, जो देह में प्राप्त होता है, देह द्वारा अभिव्यक्त होता है।

2019/05/30

देहधारी परमेश्वर के कार्य और पवित्रात्मा के कार्य के बीच में क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि देह में किए गए परमेश्वर के कार्य में अनेक अकल्पनीय मुश्किलें शामिल होती हैं, फिर भी वे प्रभाव जिन्हें वह अंततः हासिल करता है वे उन कार्यों से कहीं बढ़कर होते हैं जिन्हें आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर किया जाता है। देह के कार्य में काफी कठिनाईयां साथ में जुड़ी होती हैं, और देह आत्मा के समान वैसी ही बड़ी पहचान को धारण नहीं कर सकता है, और आत्मा के समान उन्हीं अलौकिक कार्यों को क्रियान्वित नहीं कर सकता है, और वह आत्मा के समान उसी अधिकार को तो बिलकुल भी धारण नहीं कर सकता है।

2019/05/23

बचाए जाने एवं सिद्ध बनाए जाने के लिए तुम्हें परमेश्वर पर किस प्रकार विश्वास करना चाहिए?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि लोग "परमेश्वर" शब्द और "परमेश्वर का कार्य" जैसे वाक्यांश से परिचित हैं, किंतु वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं, और उससे भी कम वे उसके कार्य को जानते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि तब वे सभी जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे दुविधायुक्त विश्वास रखते हैं।

2018/09/26

अट्ठाइसवाँ कथन

परमेश्वर को जानना, परमेश्वर की इच्छा, मसीह के कथन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——अट्ठाइसवाँ कथन
जब मैं सिय्योन से आया सभी चीज़ों ने मेरी प्रतीक्षा की और जब मैं वापस सिय्योन गया, सभी मनुष्यों ने मेरा अभिवादन किया। जब मैं आया और गया, मेरे कदमों को उन चीज़ों के द्वारा कभी बाधित नहीं किया गया जो मुझ से शत्रुता रखती थीं, और इसलिए मेरा कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ता गया।

2018/09/24

पच्चीसवाँ कथन

मसीह के कथन, परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर को जानना,

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——पच्चीसवाँ कथन
समय गुज़रा, और पलक झपकते ही आज का दिन आ गया है। मेरे आत्मा के मार्गदर्शन में, सभी लोग मेरे प्रकाश के बीच में रहते हैं, और कोई भी अतीत के बारे में अब और नहीं सोचता है या बीते कल पर अब और ध्यान नहीं देता है। कौन वर्तमान दिन में कभी नहीं रहा है? किसने राज्य में खुबसूरत दिनों और महिनों को नहीं बिताया है? कौन सूर्य के नीचे नहीं रहा है? यद्यपि, राज्य लोगों के बीच उतर चुका है, फिर भी किसी ने भी वास्तव में उसकी गर्मी को महसूस नहीं किया है; मनुष्य इसके सार को नहीं समझते हुए इसे केवल बाहरी तौर पर ही समझता है। जब मेरा राज्य आकार लेता है उस दौरान, कौन उसकी वजह से खुश नहीं होता है? क्या पृथ्वी के राष्ट्र वास्तव में बच निकल सकते हैं? क्या बड़ा लाल अजगर अपनी धूर्तता के कारण वास्तव में बच निकलने में समर्थ है? मेरी प्राशसनिक आज्ञाएँ पूरे विश्व में घोषित की जाती हैं, और वे सभी लोगों के बीच मेरा अधिकार स्थापित करती हैं, और विश्व भर में प्रभावी होती है; तथापि, मनुष्य ने सच में इसे कभी नहीं जाना है। जब मेरी प्राशसनिक आज्ञाएँ विश्व के सामने प्रकट होती हैं तो ऐसा उस समय होता है जब मेरा कार्य भी पृथ्वी पर पूरा होने ही वाला होता है।

2018/09/20

उन्नीसवाँ कथन

मसीह के कथन, परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर को जानना

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——उन्नीसवाँ कथन
मानवजाति का मुख्य कार्य यह है कि वह अपने अस्तित्व के आधार के लिए मेरे वचनों को ग्रहण करे। मनुष्य को मेरे कथन के प्रत्येक भाग को अपने व्यक्तिगत हिस्से में स्थापित करना ही होगा; यदि वह ऐसा नहीं करता है तो वह अपने ऊपर संकट को निमंत्रण देता है और अपना ही नाश खोज रहा है। मानवजाति मुझे नहीं जानती है, और इसी कारण से, अपने स्वयं के जीवन को मुझे बदले में सौंपने के बजाय, वह मेरे सामने अपने हाथों की तुच्छ चीज़ों का प्रदर्शन करता है, ताकि वह मुझे संतुष्ट कर सके।

2018/09/19

अठारहवाँ कथन

मसीह के कथन, परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर को जानना, परमेश्वर की इच्छा

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——अठारहवाँ कथन
बिजली की एक चमक पर, प्रत्येक जानवर अपने असली स्वरूप में प्रकट हो जाता है। उसी तरह, मेरे प्रकाश से रोशन मानवजाति ने भी उस पवित्रता को पुनःप्राप्त कर लिया है जिससे वह कभी सम्पन्न थी।

2018/09/13

"जीतने वाले कार्य का भीतरी सत्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—"जीतने वाले कार्य का भीतरी सत्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन
1. मनुष्यजाति, जो शैतान के द्वारा अत्यधिक भ्रष्ट कर दी गई है, नहीं जानती है कि एक परमेश्वर भी है और इसने परमेश्वर की आराधना करना भी समाप्त कर दिया है। आरम्भ में, जब आदम और हव्वा को रचा गया था, यहोवा का प्रताप और साक्ष्य सर्वदा उपस्थित था। परन्तु भ्रष्ट होने के पश्चात, मनुष्य ने उस प्रताप और साक्ष्य को खो दिया, क्योंकि सभी ने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया और उसका सम्मान करना पूर्णतया बन्द कर दिया। आज का विजय कार्य उस सम्पूर्ण साक्ष्य और उस सम्पूर्ण प्रताप को पुनः प्राप्त करने, और सभी मनुष्यों से परमेश्वर की आराधना करवाने के लिए है, जिससे सृष्ट वस्तुओं में साक्ष्य हो। कार्य के इस पड़ाव में यही किए जाने की आवश्यकता है। मनुष्यजाति को किस प्रकार जीता जाए?

2018/09/10

उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक "सफेद बादल" पर सवार होकर वापस आ चुका है

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक "सफेद बादल" पर सवार होकर वापस आ चुका है

कई हज़ारों सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को एक सफेद बादल पर देखने की इच्छा की है जब वह व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच में अवरोहण करता है जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता की वापसी और लोगों के साथ उसके फिर से जुड़ने की लालसा की है, अर्थात्, उद्धारकर्त्ता यीशु के लिए कि वह उन लोगों के पास वापस आए जिनसे वह हज़ारों सालों से अलग रहा है। और मनुष्य आशा करता है कि वह एक बार फिर से छुटकारे के उस कार्य को करेगा जो उसने यहूदियों के बीच किया था, वह मनुष्य के प्रति करूणामय और प्रेममय होगा, मनुष्य के पापों को क्षमा करेगा, वह मनुष्य के पापों को सहन करेगा, और यहाँ तक कि वह मनुष्य के सभी अपराधों को सहन करेगा और मनुष्य को उसके पापों से मुक्त करेगा।

2018/09/07

व्यवस्था के युग में कार्य

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन——व्यवस्था के युग में कार्य

वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया। इस्राएल वह जगह है जहाँ परमेश्वर ने आदम और हव्वा की रचना की, और उस जगह की धूल से यहोवा ने मनुष्य को बनाया; यह स्थान पृथ्वी पर उसके कार्य का आधार बन गया। इस्राएली, जो नूह के वंशज थे, और आदम के भी वंशज थे, पृथ्वी पर यहोवा के कार्य की मानवीय बुनियाद थे।

2018/09/06

वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?

परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर से प्रेम, मसीह के कथन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?

परमेश्वर का कार्य निरंतर आगे बढ़ता रहता है, और यद्यपि उसके कार्य का प्रयोजन नहीं बदलता है, जिस मायनों वह कार्य करता है वे निरंतर बदलते रहते हैं, और फलस्वरूप वे लोग भी बदलते रहते हैं जो उसका अनुसरण करते हैं। जितना अधिक परमेश्वर का कार्य होगा, उतना ही अधिक मनुष्य परमेश्वर को जानेगा, और मनुष्य का स्वभाव भी परमेश्वर के कार्य के साथ बदलेगा। हालाँकि, ऐसा इसलिए है कि परमेश्वर का कार्य हमेशा बदलता रहता है कि जो लोग पवित्र आत्मा के कार्य के बारे में नहीं जानते हैं और सत्य को न जानने वाले विवेकहीन लोग परमेश्वर के विरोधी बन जाते हैं।

2018/09/05

देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर

मसीह के कथन, परमेश्वर को जानना, अवतरण, परमेश्वर को जानना

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर
तुम लोगों को अवश्य परमेश्वर के कार्य के दर्शन को जान लेना चाहिए और उसके कार्य के सामान्य निर्देशों को समझ लेना चाहिए। यह एक सकारात्मक तरीके से प्रवेश है। एक बार जब तुम दर्शन के सत्यों में परिशुद्धता से निपुण हो जाते हो, तो तुम्हारा प्रवेश सुरक्षित बन जाता है; इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उसका कार्य कैसे बदलता है, तुम अपने हृदय में अडिग बने रहोगे, दर्शन के बारे में स्पष्ट रहोगे, और तुम्हारे पास तुम्हारे प्रवेश और तुम्हारी तलाश के लिए एक लक्ष्य होगा। इस तरह से, तुम्हारे भीतर का समस्त अनुभव और ज्ञान और गहराई से बढ़ेगा और अधिक परिष्कृत हो जाएगा। एक बार जब तुम बड़ी तस्वीर को उसकी सम्पूर्णता में समझ जाते हो, तो तुम जीवन में कोई नुकसान नहीं भुगतोगे, और तुम खोओगे नहीं।

2018/09/04

परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे

परमेश्वर का प्रेम, मसीह के कथन, परमेश्वर को जानना

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे
आरंभ में परमेश्वर विश्राम कर रहा था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था, और परमेश्वर ने किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। परमेश्वर ने अपने प्रबंधन के कार्य को केवल तब आरंभ किया जब एक बार मानवजाति अस्तित्व में आ गई और एक बार जब मानव जाति भ्रष्ट कर दी गई। इसके बाद से, परमेश्वर ने अब और विश्राम नहीं किया बल्कि इसके बजाय उसने स्वयं को मनुष्यजाति के बीच व्यस्त रखना आरंभ कर लिया।

Hindi Christian Song | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे  अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र उतरी है आदम हव्वा से, लेकिन भविष्य की म...