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2019/08/19

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | जो नये काम को स्वीकारते हैं वो धन्य हैं

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | जो नये काम को स्वीकारते हैं वो धन्य हैं

धन्य हैं वो सभी जो, हैं सक्षम आज्ञा पालन में उस पवित्र आत्मा के, वास्तविक कथनों की। फर्क नहीं पड़ता वो कैसे थे, कैसे पवित्र आत्मा, कैसे पवित्र आत्मा, उनमें काम किया करती थी, जिन्हों ने पा लिए नव अवसर, सबसे अधिक धन्य हैं वो। नव अवसर पालन में, जो नाकाम हो जाएं वो तो लुप्त हो जायेंगे। प्र भु उन्हें ही चाहतें हैं, नयी रोशनी को जो माने, और उनके नए काम को जो, स्वीकारें और जानें। क्यूँ होना है तुम्हें, एक पवित्र कुंवारी? क्यूँ की वो ही है जो ढूंढ़ सके, कार्य पवित्र आत्मा के, नयी चीज़ों को अपनाकर, वो त्याग सकती है पुराने विचार, आज है सक्षम चलने में वो, प्रभु के आज्ञानुसार। ये लोग जो स्वीकारते हैं, नव अवसरों को आज के, जिन्हें नियुक्त किये प्रभुने दुनिया के आगे, वो सबसे ज़्यादा धन्य हैं। तुम सुनते वाणी प्रभु की, निहारते उनकी मौजूदगी, तो, हर काल-खंड और पीढ़ियों में, इस धरती अम्बर में, कोई इतना धन्य है नहीं, जितने तुम हो, तुम सब हो। “वचन देह में प्रकट हुआ” से

स्रोत:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

अनुशंसित:परमेश्वर के भजन - चुने हुए भजनों को सूची - परमेश्वर प्रेम को ब्यक्त करना


2019/07/24

उम्मीद करता है परमेश्वर कि इंसान उसके वचनों के प्रति निष्ठावान बन सके




  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • उम्मीद करता है परमेश्वर कि इंसान उसके वचनों के प्रति निष्ठावान बन सके
  •  
  • I
  • तुम्हारी मंज़िल और नियति तुम्हारी,
  • तुम्हें लगती है सबसे अहम।
  • ऐसा मानते हो तुम ना रहे ख़बरदार अगर
  • तो तबाह कर दोगे तुम लोग उन्हें।
  • II
  • तमाम कोशिशें तुम्हारी बेकार हैं
  • अपनी मंज़िल के लिये,
  • क्या एहसास है तुम्हें?
  • कपट हैं, धोखा हैं वो।

2019/07/15

अपने हृदय को परमेश्वर के आगे शांत करने के तरीके



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • अपने हृदय को परमेश्वर के आगे शांत करने के तरीके
  •  
  • I
  • परमेश्वर के आगे हृदय को शांत करने के हैं ये तरीके:
  • हटा लो दिल अपना बाहरी चीज़ों से, हो जाओ शांत सामने परमेश्वर के,
  • अखंड हृदय से प्रार्थना करो परमेश्वर से।
  • खाओ-पियो परमेश्वर के वचन, आनंद लो उनका, आनंद लो उनका,
  • परमेश्वर के आगे शांत हृदय से।
  • चिंतन करो परमेश्वर के प्रेम पर, मनन करो उसके कार्य पर अपने हृदय में।
  • प्रार्थना से आरंभ करो पहले।

2019/04/07

प्रश्न 3: बाइबल कहती है, "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)। हम इसकी व्याख्या कैसे करें?

उत्तर: हमें प्रभु की वापसी की आशा, उनकी भविष्यवाणियों के आधार पर करनी चाहिए। यही सही तरीका है। आप दरअसल, किनका हवाला दे रहीं हैं? प्रभु के वचनों का या इंसानों के वचनों का? "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें;" ये बात किसने कही? क्या ये प्रभु यीशु के वचन हैं? प्रभु यीशु ने, ऐसी बात कभी नहीं कही। न ही पवित्र आत्मा ने कभी ऐसा कहा। आप जिन वचनों का हवाला दे रहीं हैं, वे पौलुस के वचन हैं। क्या पौलुस के वचन प्रभु यीशु के वचनों को दर्शाते हैं? क्या वे परमेश्वर का, प्रतिनिधित्व कर सकते हैं? इस रहस्य का जवाब सिर्फ परमेश्वर जानते हैं।

2019/04/05

प्रश्न 1: प्रभु ने काफी पहले हमें वचन दिया है: "क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु ने पहले ही हमारे लिये स्वर्ग में जगह तैयार कर दी है। जब वे वापस आएंगे, तो हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाएँगे। अगर प्रभु वापस आ चुके हैं, तो उनके सारे संत अभी भी धरती पर क्यों हैं? हमें आरोहित क्यों नहीं किया गया है?

उत्तर: प्रभु ने अपने विश्वासियों के लिये एक जगह तैयार कर दी है। यह सच है। लेकिन यह जगह धरती पर है या स्वर्ग में? इस बारे हम यकीन से नहीं कह सकते। हमारा ख़्याल है कि स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है, लेकिन यह हमारी अपनी मान्यताओं और कल्पनाओं की बुनियाद पर है। लेकिन क्या यह वाकई सच है? आइये देखें प्रभु यीशु ने क्या कहा है: "हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो" (मत्ती 6:9-10)। प्रभु यीशु ने हमें साफ़ तौर पर बताया है परमेश्वर का राज्य धरती पर है, न कि स्वर्ग में। परमेश्वर की इच्छा जैसी स्वर्ग में है वैसी ही धरती पर पूरी की जाएगी।

2019/03/30

44. परमेश्वर की प्रजा में कौन होते हैं? सेवाकर्त्ता कौन होते हैं?

44. परमेश्वर की प्रजा में कौन होते हैं? सेवाकर्त्ता कौन होते हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
ऐसा होने के कारण अब एक नया दृष्टिकोण होगा: जो लोग मेरा वचन पढ़ते हैं और इसे अपने जीवन के ही रूप में स्वीकार करते हैं, वे मेरे राज्य के लोग हैं। चूंकि वे मेरे राज्य में हैं, इसलिए राज्य में वे मेरी प्रजा हैं। क्योंकि वे मेरे वचनों के द्वारा निर्देशित होते हैं, हालांकि उन्हें मेरी प्रजा के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह पदवी किसी भी तरह मेरे "पुत्रों" की तरह बुलाये जाने से कम नहीं है। मेरी प्रजा के रूप में, सभी को मेरे राज्य में वफ़ादार होना चाहिए और उन्हें अपने कर्तव्यों को पूरा करना चाहिए, और वे जो मेरे प्रशासनिक आदेशों का अनादर करते हैं, उनको मेरी सजा मिलनी ही चाहिए।

2019/03/26

40. अच्छे कर्म क्या हैं? अच्छे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं?

40. अच्छे कर्म क्या हैं? अच्छे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि तुम सत्य को धारण करते हो, तो तुम परमेश्वर का अनुसरण कर सकते हो। यदि तुम जीवन जीते हो, तो तुम परमेश्वर के वचन की अभिव्यक्ति हो सकते हो। यदि तुम्हारे पास जीवन है तो तुम परमेश्वर की आशीषों का आनन्द ले सकते हो। जो लोग सत्य को धारण करते हैं वे परमेश्वर के आशीष का आनन्द ले सकते हैं। परमेश्वर उनके कष्टों का निवारण सुनिश्चित करता है जो उसे सम्पूर्ण हृदय से प्रेम करते हैं और साथ ही कठिनाईयों और पीड़ाओं को सहते हैं, उनके नहीं जो केवल अपने आप से प्रेम करते हैं और शैतान के धोखों का शिकार हो चुके हैं।

2019/03/25

36. कितने धर्मी लोग विपत्तिओं में परमेश्वर के पास वापस आ जाएँगे?

36. कितने धर्मी लोग विपत्तिओं में परमेश्वर के पास वापस आ जाएँगे?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जैसे ही मैं बोलने के लिए विश्व की तरफ अपने चेहरे को घुमाता हूँ, सारी मानवजाति मेरी आवाज़ को सुनती है, और उसके बाद उन सभी कार्यों को देखती है जिसे मैंने समूचे ब्रह्माण्ड में गढ़ा है। वे जो मेरी इच्छा के विरूद्ध जाते हैं, अर्थात्, जो मनुष्य के कार्यों से मेरा विरोध करते हैं, वे मेरी ताड़ना के अधीन नीचे गिर जाएँगे। मैं स्वर्ग के असंख्य तारों को लूँगा और उन्हें फिर से नया कर दूँगा, और मेरे कारण सूर्य और चन्द्रमा को नया बना दिया जाएगा-आकाश अब और वैसा नहीं रहेगा जैसा वह था; पृथ्वी पर बेशुमार चीज़ों को फिर से नया बना दिया जाएगा।

2019/03/22

33. विपत्ति के पहले स्वर्गारोहण क्या है? ऐसा विजयी किसे कहते हैं जिसे विपत्ति से पहले पूर्ण किया जाता हो?

33. विपत्ति के पहले स्वर्गारोहण क्या है? ऐसा विजयी किसे कहते हैं जिसे विपत्ति से पहले पूर्ण किया जाता हो?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जिन लोगों को परमेश्वर जीतने वाले रूप में संदर्भित करता है ये वे लोग हैं जो अभी भी गवाह बनने, और शैतान के प्रभाव में होने और शैतान की घेराबंदी में होने पर, अर्थात्, जब अंधकार की शक्तियों के भीतर हों, तो अपना आत्मविश्वास और अपनी भक्ति बनाए रखने में सक्षम हैं। यदि तुम अभी भी परमेश्वर के लिए पवित्र दिल और अपने वास्तविक प्यार को बनाए रखने में सक्षम हो, तो चाहे कुछ हो जाए, तुम परमेश्वर के सामने गवाह बनते हो, और यही वह है जिसे परमेश्वर एक विजेता होने के रूप में संदर्भित करता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति अवश्य बनाए रखनी चाहिए" से
परमेश्वर पर विश्वास करने वाले व्यक्ति के रूप में, तुम को यह समझना चाहिए कि, आज, इन अंतिम दिनों में परमेश्वर का कार्य और तुम में परमेश्वर की योजना के सारे कार्य को पाने में, तुमने परमेश्वर की ओर से उत्कर्ष और उद्धार को वास्तव में पा लिया है।

2019/03/20

31. बुद्धिमान कुंवारियाँ कौन हैं? मूर्ख कुंवारियाँ कौन हैं?

31. बुद्धिमान कुंवारियाँ कौन हैं? मूर्ख कुंवारियाँ कौन हैं?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज, जो लोग परमेश्वर के वास्तविक वचनों का पालन करते हैं, वे पवित्र आत्मा की धारा में हैं; जो लोग परमेश्वर के वास्तविक वचनों से अनभिज्ञ हैं, वे पवित्र आत्मा की धारा के बाहर हैं, और परमेश्वर की सराहना ऐसे लोगों के लिए नहीं है। … "पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण" करने का मतलब है आज परमेश्वर की इच्छा को समझना, परमेश्वर की वर्तमान अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करने में सक्षम होना, आज के परमेश्वर का अनुसरण और आज्ञापालन करने में सक्षम होना, और परमेश्वर के नवीनतम कथनों के अनुसार प्रवेश करना। केवल ऐसा व्यक्ति ही है जो पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण करता है और पवित्र आत्मा की धारा में है।

2019/03/12

23. गेहूं और जंगली पौधे के बीच क्या अंतर है?

23. गेहूं और जंगली पौधे के बीच क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उन्हें किस प्रकार परखा जाता है, उन लोगों की स्वामी भक्ति अपरिवर्तनीय बनी रहती है जिनके हृदय में परमेश्वर है, किन्तु उनके लिए जिनके हृदय में परमेश्वर नहीं है, जब एक बार परमेश्वर का कार्य उनकी देह के लिए फायदेमन्द नहीं होता है, तो वे परमेश्वर के विषय में अपने दृष्टिकोण को बदल देते हैं, और यहाँ तक कि परमेश्वर को छोड़कर चले जाते हैं। इस प्रकार के लोग ऐसे मनुष्य हैं जो अंत में दृढ़ता से स्थिर नहीं रहेंगे, जो केवल परमेश्वर की आशीषों को ही खोजते हैं और उनके पास परमेश्वर के लिए अपने आपको विस्तृत करने और उसके प्रति अपने आपका समर्पण करने की कोई इच्छा नहीं होती है।

2019/03/02

12. "सब कुछ पीछे छोड़कर परमेश्वर का अनुसरण करो" इसका क्या मतलब है?

12. "सब कुछ पीछे छोड़कर परमेश्वर का अनुसरण करो" इसका क्या मतलब है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
तुम अपना हृदय और शरीर और अपना समस्त वास्तविक प्यार परमेश्वर को समर्पित कर सकते हो, उसके सामने रख सकते हो, उसके प्रति पूरी तरह से आज्ञाकारी हो सकते हो, और उसकी इच्छा के प्रति पूर्णतः विचारशील हो सकते हो। शरीर के लिए नहीं, परिवार के लिए नहीं, और अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं के लिए नहीं, बल्कि परमेश्वर के परिवार के हित के लिए। तुम परमेश्वर के वचन को हर चीज में सिद्धांत के रूप में, नींव के रूप में ले सकते हो। इस तरह, तुम्हारे इरादे और तुम्हारे दृष्टिकोण सब सही जगह पर होंगे, और तुम ऐसे व्यक्ति होगे जो उसके सामने परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त करता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "जो लोग परमेश्वर की व्यावहारिकता के प्रति पूर्णतः आज्ञाकारी हो सकते हैं ये वे लोग हैं जो परमेश्वर से सचमुच प्यार करते हैं" से
तू परमेश्वर में विश्वास करता है और परमेश्वर का अनुसरण करता है, और इस प्रकार तुझे अपने ह्रदय में परमेश्वर से प्रेम करना होगा।

2019/02/27

9. ईमानदार व्यक्ति बनने में प्रवेश का अभ्यास कैसे करना चाहिए?

9. ईमानदार व्यक्ति बनने में प्रवेश का अभ्यास कैसे करना चाहिए?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
तुम्हें ईमानदार होना आवश्यक है, और तुम्हें अपने हृदय की धूर्तता से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करना आवश्यक है। जब तुम जरुरत के समय स्वयं को शुद्ध करने के लिए प्रार्थना का प्रयोग करते हो, और परमेश्वर के आत्मा के द्वारा स्पर्श किए जाने के लिए इसका प्रयोग करते हो, तो तुम्हारा स्वभाव धीरे-धीरे बदलता जाएगा।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "प्रार्थना की क्रिया के विषय में" से
परमेश्वर द्वारा लोगों से माँग किया जाने वाला सबसे निम्नतम स्तर यह है कि वे अपने हृदयों को परमेश्वर के प्रति खोल सकें। यदि मनुष्य अपना सच्चा हृदय परमेश्वर को दे दे और परमेश्वर से वह कहे जो वास्तव में उसके हृदय में परमेश्वर के लिए है, तो परमेश्वर मनुष्य में कार्य करने के लिए तैयार है; परमेश्वर मनुष्य का विकृत हृदय नहीं चाहता, बल्कि उसका शुद्ध और खरा हृदय चाहता है। यदि मनुष्य सच्चाई के साथ परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय से नहीं बोलता है, तो परमेश्वर मनुष्य के हृदय को स्पर्श नहीं करता या उसके भीतर कार्य नहीं करता।

2019/02/24

6. एक ईमानदार व्यक्ति क्या होता है? परमेश्वर ईमानदार लोगों को क्यों पसंद करता है?

6. एक ईमानदार व्यक्ति क्या होता है? परमेश्वर ईमानदार लोगों को क्यों पसंद करता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
ईमानदारी का अर्थ है अपना हृदय परमेश्वर को अर्पित करना; किसी भी चीज़ में उस से ढकोसला नहीं करना; सभी चीजों में उसके प्रति निष्कपट होना, सत्य को कभी भी नहीं छुपाना; कभी भी ऐसा कार्य नहीं करना जो उन लोगों को धोखा देता हो जो ऊँचे हैं और उन लोगों को भ्रम में डालता हो जो नीचे हैं; और कभी भी ऐसा काम नहीं करना जो केवल परमेश्वर की चापलूसी करने के लिए किया जाता है।

2019/02/23

5. परमेश्वर के साथ कोई एक सामान्य सम्बन्ध कैसे स्थापित कर सकता है?

5. परमेश्वर के साथ कोई एक सामान्य सम्बन्ध कैसे स्थापित कर सकता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
तहेदिल से परमेश्वर की आत्मा को स्पर्श करके लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, उससे प्रेम करते हैं, और उसे संतुष्ट करते हैं, और इस प्रकार वे परमेश्वर की संतुष्टि प्राप्त करते हैं; जब वे तहेदिल से परमात्मा के शब्दों को समझते हैं, तो परमेश्वर की आत्मा का उन पर भावनात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि तुम एक उचित आध्यात्मिक जीवन प्राप्त करना चाहते हो और परमेश्वर के साथ एक उचित संबंध स्थापित करना चाहते हैं, तो तुमको पहले उसे अपना हृदय अर्पित करना होगा, और अपने हृदय को उनके सामने शांत करना होगा। अपने पूरे हृदय को परमेश्वर की स्तुति में डुबोकर ही तुम धीरे-धीरे एक उचित आध्यात्मिक जीवन का विकास कर सकते हो।

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