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2019/07/04

अध्याय 8 विभिन्न प्रकार के लोगों और मनुष्य को की गई परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अंत।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
क्या अब तुम समझ गए कि न्याय क्या है और सत्य क्या है? यदि तुम अब समझ गए हो, तो मैं तुम्हें न्याय के प्रति समर्पित होने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ, अन्यथा तुम्हें कभी भी परमेश्वर की प्रशंसा पाने का या परमेश्वर द्वारा उसके राज्य में ले जाए जाने का अवसर नहीं मिलेगा। जो केवल न्याय को ग्रहण करते हैं परन्तु कभी भी शुद्ध नहीं हो सकते हैं, अर्थात्, जो न्याय के कार्य के मध्य ही भाग जाते हैं, वे हमेशा के लिए परमेश्वर द्वारा नफ़रत किए और अस्वीकार कर दिए जाएँगे।

2019/05/27

इन्सान का जीवन पूरी तरह है परमेश्वर की प्रभुता में



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • इन्सान का जीवन पूरी तरह है परमेश्वर की प्रभुता में
  •  
  • I
  • गर कोई इंसाँ माने बस नियति को,
  • लेकिन जान पाए नहीं,
  • गर कोई इंसाँ माने बस नियति को,
  • लेकिन पहचान पाए नहीं,
  • गर कोई इंसाँ माने बस नियति को,
  • पर समर्पण कर पाए नहीं,
  • इंसाँ की नियति पर सृष्टिकर्ता की,
  • प्रभुता को स्वीकार कर पाए नहीं,
  • तो जीवन उसका एक त्रासदी है,
  • व्यर्थ में जिया उसने अपना जीवन,
  • उसके जीवन का कोई अर्थ नहीं है,
  • वो परमेश्वर के प्रभुत्व को समर्पित नहीं हो पाता है,
  • उसके अनुसार नहीं बन पाता है,
  • जो सृजित प्राणी होने का असल अर्थ है,
  • और सृष्टिकर्ता की स्वीकृति का आनंद नहीं ले पाता है,
  • आनंद नहीं ले पाता है।

2019/04/30

Hindi Christian Song | एक दूसरा युग, दूसरा दिव्य कार्य | Do You Know the Work of God in the New Age?

Hindi Christian Song | एक दूसरा युग, दूसरा दिव्य कार्य | Do You Know the Work of God in the New Age?


अंतिम दिनों में, प्रमुख रूप से यह सत्य कि "वचन देहधारी हुआ" परमेश्वर के द्वारा पूर्ण किया जाता है। अपने वास्तविक कार्यों के द्वारा ज़मीं पे, ईश्वर कारण बनता है कि मानव उसे जाने, कारण बनता है कि मानव उससे जुड़ता है, और मानव को दिखाता है अपने असली कर्म। वह मानव को स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वो चिह्न और चमत्कार दिखाता है कभी और कभी नहीं दिखाता।

2018/12/24

2. अगर कोई केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लेता है, तो क्या यह परमेश्वर पर विश्वास की वास्तविक गवाही है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, उद्धार, आशीषें, परमेश्वर का प्रेम,

XVIII. परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण क्या है और परमेश्वर में विश्वास की सच्ची गवाही क्या है, इस पर हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

2. अगर कोई केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लेता है, तो क्या यह परमेश्वर पर विश्वास की वास्तविक गवाही है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
शांतिमय पारिवारिक जीवन या भौतिक आशीषों के साथ, यदि तुम केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लेते हैं, तो तुमने परमेश्वर को प्राप्त नहीं किया है, और परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास पराजित हो गया है। परमेश्वर ने शरीर में अनुग्रह के कार्य के एक चरण को पहले ही पूरा कर लिया है, और मनुष्य को भौतिक आशीषें प्रदान कर दी हैं - परंतु मनुष्य को केवल अनुग्रह, प्रेम और दया के साथ सिद्ध नहीं किया जा सकता। मनुष्य के अनुभवों में वह परमेश्वर के कुछ प्रेम का अनुभव करता है, और परमेश्वर के प्रेम और उसकी दया को देखता है, फिर भी कुछ समय तक इसका अनुभव करने के बाद वह देखता है कि परमेश्वर का अनुग्रह और उसका प्रेम और उसकी दया मनुष्य को सिद्ध बनाने में असमर्थ हैं, और उसे प्रकट करने में भी असमर्थ है जो मनुष्य में भ्रष्ट है, और न ही वे मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव से उसे आज़ाद कर सकते हैं, या उसके प्रेम और विश्वास को सिद्ध बना सकते हैं।

2018/11/21

1. हर किसी को यह समझना चाहिए कि प्रभु यीशु द्वारा अनुग्रह के युग में फैलाया गया संदेश केवल पश्चाताप का मार्ग था।

VII. अंतिम दिनों का मसीह जो लाता है केवल वही अनन्त जीवन का मार्ग है, इस बारे में अवश्य ही हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

1. हर किसी को यह समझना चाहिए कि प्रभु यीशु द्वारा अनुग्रह के युग में फैलाया गया संदेश केवल पश्चाताप का मार्ग था।
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है" (मत्ती 4:17)।
"क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये fपापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है" (मत्ती 26:28)।
"और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा" (लूका 24:47)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आरम्भ में, यीशु ने सुसमाचार को फैलाया और पश्चाताप के मार्ग का उपदेश दिया, फिर वह मनुष्य को बपतिस्मा देने लगा, बीमारियों को चंगा करने लगा, और दुष्टात्माओं को निकालने लगा। अंत में, उसने मानवजाति को पाप से छुटकारा दिया और सम्पूर्ण युग के अपने कार्य को पूरा किया।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "देहधारण का रहस्य (1)" से
जो कार्य यीशु ने किया वह उस युग में मनुष्य की आवश्यकताओं के अनुसार था। उसका कार्य मानवजाति को छुटकारा दिलाना, उन्हें उनके पापों के लिए क्षमा करना था, और इसलिए उसका स्वभाव पूरी तरह से विनम्रता, धैर्य, प्रेम, धर्मपरायणता, सहनशीलता, दया और करूणामय-प्यार था। उसने मानवजाति को प्रचुरता से धन्य किया और वह उनके लिए ढेर सारा अनुग्रह लाया, और वे सभी चीज़ें जिनका वे संभवतः आनन्द ले सकते थे, उसने उन्हें उनके आनंद के लिए दी: शांति और प्रसन्नता, अपनी सहनशीलता और प्रेम, अपनी दया और अपना करूणामय-प्यार।

2018/11/20

2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, उद्धार, विजयी, परमेश्वर का प्रेम

VI. अनुग्रह के युग में बचाए जाने और राज्य के युग में उद्धार पाने के बीच रहे अंतर की सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैयव्यवस्था 11:45)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था।

2018/11/07

1. अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने मानव जाति को छुटकारा दिलाया था, तो क्यों आखिरी दिनों में उसे न्याय के अपने कार्य को करने की अब भी आवश्यकता है?

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, अनुग्रह का युग, उद्धार, परमेश्वर को जानना

III. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से सम्बंधित सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने मानव जाति को छुटकारा दिलाया था, तो क्यों आखिरी दिनों में उसे न्याय के अपने कार्य को करने की अब भी आवश्यकता है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:45)।
"सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)।
"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (युहन्ना 12:47-48)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
उस समय यीशु का कार्य समस्त मानव जाति का छुटकारा था। उन सभी के पापों को क्षमा कर दिया गया था जो उसमें विश्वास करते थे; जितने समय तक तुम उस पर विश्वास करते थे, उतने समय तक वह तुम्हें छुटकारा देगा; यदि तुम उस पर विश्वास करते थे, तो तुम अब और पापी नहीं थे, तुम अपने पापों से मुक्त हो गए थे। यही है बचाए जाने, और विश्वास द्वारा उचित ठहराए जाने का अर्थ। फिर भी जो विश्वास करते थे उन लोगों के बीच, वह रह गया था जो विद्रोही था और परमेश्वर का विरोधी था, और जिसे अभी भी धीरे-धीरे हटाया जाना था।

2018/11/02

9. न्याय के कार्य को करने के लिए देह-धारण किया हुआ परमेश्वर किस तरह मानव जाति के अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास को और शैतान के प्रभुत्व के अंधेरे युग को समाप्त करता है?

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9. न्याय के कार्य को करने के लिए देह-धारण किया हुआ परमेश्वर किस तरह मानव जाति के अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास को और शैतान के प्रभुत्व के अंधेरे युग को समाप्त करता है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे। बहुत से देशों के लोग आएँगे, और आपस में कहेंगे: आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्‍वर के भवन में जाएँ; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे। क्योंकि यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा। वह जाति जाति का न्याय करेगा, और देश देश के लोगों के झगड़ों को मिटाएगा; और वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हँसिया बनाएँगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे। हे याकूब के घराने, आ, हम यहोवा के प्रकाश में चलें" (यशायाह 2:2-5)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर का आगमन अनुग्रह के युग के अंत को लाया है। वह मुख्य रूप से अपने वचनों को कहने, मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए वचनों का उपयोग करने, मनुष्य को रोशन और प्रबुद्ध करने, और मनुष्य के हृदय से अज्ञात परमेश्वर के स्थान को हटाने के लिए आया है। यह कार्य का वह चरण नहीं है जो यीशु ने तब किया था जब वह आया था।

2018/11/01

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?

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7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा" (इब्रानियों 9:28)।
"आदि में वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था, और वचन परमेश्‍वर था" (युहन्ना 1:1)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
प्रथम देहधारण यीशु की देह के माध्यम से मनुष्य को पाप से छुटकारा देने के लिए था, अर्थात्, उसने मनुष्य को सलीब से बचाया, परन्तु भ्रष्ट शैतानी स्वभाव तब भी मनुष्य के भीतर रह गया था। दूसरा देहधारण अब और पापबलि के रूप में कार्य करने के लिए नहीं है परन्तु उन्हें पूरी तरह से बचाने के लिए है जिन्हें पाप से छुटकारा दिया गया था।

2018/08/26

छुटकारे के युग में कार्य के पीछे की सच्ची कहानी

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—छुटकारे के युग में कार्य के पीछे की सच्ची कहानी
मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, ऐसी योजना जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों में राज्य का युग। प्रत्येक युग की प्रकृति के अनुसार मेरा कार्य इन तीनों युगों में तत्वतः अलग-अलग है, परन्तु प्रत्येक चरण में यह मनुष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है—या बल्कि, अधिक स्पष्ट कहें तो, यह उन छलकपटों के अनुसार किया जाता है जो शैतान उस युद्ध में काम में लाता है जो मैं उसके विरुद्ध शुरू करता हूँ। मेरे कार्य का उद्धेश्य शैतान को हराना, अपनी बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता को व्यक्त करना, शैतान के सभी छलकपटों को उजागर करना और परिणामस्वरूप समस्त मानवजाति को बचाना है, जो उसके अधिकार क्षेत्र के अधीन रहती है।

2018/08/01

तुम किस के प्रति वफादार हो?

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन—तुम किस के प्रति वफादार हो?

जो जीवन तुम हर दिन जीते हो वह अब तुम्हारी नियति और तुम्हारी तकदीर के लिए निर्णायक और बहुत ही महत्वपूर्ण है। अतः जो कुछ तुम्हारे पास है और हर मिनट जो गुज़रता जाता है उसमें तुम्हें आनन्दित होना चाहिए। खुद को सबसे बड़ा लाभ देने के लिए तुम्हें अपने समय का हर सम्भव सदुपयोग करना चाहिए, ताकि तुम अपने जीवन को व्यर्थ में न जियो। शायद तुम इसके बारे में भ्रमित हो कि मैं ये वचन क्यों कह रहा हूँ? खुलकर कहूँ, तो मैं तुम में से किसी के भी कार्यों से प्रसन्न नहीं हूँ। क्योंकि तुम्हारे लिए मुझ में जो आशाएँ हैं वे वैसी नहीं हैं जैसे तुम अब हो। इस प्रकार, मैं इसे इस तरह से प्रकट कर सकता हूँ: तुम सभी खतरे के मुहाने पर हो। उद्धार के लिए तुम्हारा पहले का रोना और सत्य का अनुसरण करने और ज्योति की खोज करने के लिए तुम्हारी पूर्व आकांक्षाएँ खत्म होने वाली हैं।

2018/04/25

परमेश्वर में अपने विश्वास में तुम्हें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए

परमेश्वर, प्रार्थना, सत्य, उद्धार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन-परमेश्वर में अपने विश्वास में तुम्हें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए


तुम परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हो? अधिकांश लोग इस प्रश्न से हैरान हैं। उनके पास व्यावहारिक परमेश्वर और स्वर्ग के परमेश्वर के बारे में हमेशा से बिलकुल दो भिन्न दृष्टिकोण रहे हैं, जो दिखाता है कि वे आज्ञापालन के लिए नहीं, बल्कि कुछ निश्चित लाभों को प्राप्त करने, या विपत्तियों के कष्ट से बच निकलने के लिए परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।

Hindi Christian Song | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे  अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र उतरी है आदम हव्वा से, लेकिन भविष्य की म...